क्यों एक दूसरे के विरोधी बने तालिबान-पाकिस्तान? जानिए असली वजह

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अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद एक लंबा मुद्दा रहा है. लेकिन हाल के दिनों में यह और भी गहरा गया है. पाकिस्तान ने हाल ही में अफगानिस्तान के भीतर आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसमें कई तालिबान लड़ाके मारे गए. इस घटना के बौखलाए अफगानिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की और अब यह दावा किया कि पाकिस्तान की सेना अफगानिस्तान की सीमा में घुस आई है. दोनों देशों के बीच चल रहे इस संघर्ष को लेकर अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं,  जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है.

24 दिसंबर को पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान पर भीषण एयर स्ट्राइक में कथित तौर पर महिलाओं और बच्चों सहित 46 लोग मारे गए थे. पाकिस्तानी सेना का कहना है कि उन्होंने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP के आतंकियों को निशाना बनाया है, जिनका उद्देश्य पाकिस्तान की सरकार को उखाड़ फेंकना और इस्लामिक शासन की स्थापना करना है. पाकिस्तान का आरोप है कि यह समूह अफगान क्षेत्र से काम कर रहा है और इसी के चलते मुल्क में बीते कुछ महीनों से आतंकी हमले बढ़े हैं.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव की असल वजह ऐतिहासिक है, जो 1893 में अंग्रेजों द्वारा खींची गई डुरंड लाइन (Durand Line) से जुड़ी है. यह सीमा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच है और अफगान सरकार ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया. यह विवाद आज भी जारी है, क्योंकि अफगानिस्तान इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है.

जानकारों के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सबसे बड़ा मुद्दा सीमा विवाद ही है. यह तनाव तब और बढ़ गया जब पाकिस्तान की सरकार ने तालिबान से यह उम्मीद की कि वह पाकिस्तान के खिलाफ काम कर रहे टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) जैसे चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करे, लेकिन तालिबान ने ऐसा करने से इंकार कर दिया.

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अफगान राष्ट्रवाद को कमजोर करने के लिए धार्मिक चरमपंथ को बढ़ावा दिया. 1980 के दशक में, जब सोवियत सेना अफगानिस्तान में घुसी, पाकिस्तान ने अफगान शरणार्थियों को लड़ाई के लिए तैयार करने के लिए धार्मिक स्कूलों का सहारा लिया. इन स्कूलों में शरणार्थी लड़कों को युद्ध के लिए ट्रेनिंग दी गई, ताकि वे अफगानिस्तान में सोवियत सेना के खिलाफ लड़ सकें. पाकिस्तान ने यह कदम अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए उठाया. लेकिन अब, यह नीति पाकिस्तान के लिए उलटी पड़ गई है, क्योंकि ऐसे ही चरमपंथी समूह अब पाकिस्तान में आतंक फैला रहे हैं, जैसे टीटीपी.

आपको बता दें पाकिस्तान और TTP ने 2021 और 2022 में कमज़ोर युद्धविराम समझौते किए थे, लेकिन विश्वास की कमी और वैचारिक मतभेदों के कारण ये टूट गए. पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हुए हालिया संघर्ष से दोनों देशों के रिश्ते में तनाव और बढ़ गया है. साथ ही दोनों देशों ने सीमा पर अपनी सेना को तैनात कर दिया है.



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