इस तस्वीर में कितने नंबर पढ़ पाए आप? ये बताएगा आपकी आंखों में कलर ब्लाइंडनेस का लेवल, जान लें इसके लक्षण और कारण
कुछ रंगों के शेड्स को अलग अलग देख पाने की क्षमता में कमी को आम तौर पर कलर ब्लाइंडनेस कहा जाता है. हालांकि कलर ब्लाइंडनेस का सही अर्थ होता है सब कुछ काले या सफेद के शेड्स में नजर आना और यह स्थिति का काफी दुर्लभ होती है. अधिकतर मामलों में कलर ब्लाइंडनेस जेनेटिक होता है और जन्म से ही यह समस्या होती है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों में जेनेटिक कलर ब्लाइंडनेस ज्यादा पाया जाता है. कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित अधिकतर लोग लाल और हरे रंगों के कुछ शेड्स में अंतर नहीं कर पाते हैं वहीं कुछ लोगों को ब्लू और पीले रंग के शेड्स की पहचान में दिक्कत आती है. आंखों की कुछ बीमारियों समेत कुछ अन्य बीमारियों के कारण भी कलर ब्लाइंडनेस हो सकती है. आइए जानते हैं कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण (Symptoms of Color blindness) और कारण (Causes of Color blindness)
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क्या है Color Blindness, जानिए क्यों होती है रंगों को नहीं पहचान पाने वाली यह बीमारी | Color Blindness: Types, Causes & Treatment
कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण (Symptoms of Color blindness)
कभी कभी कलर ब्लाइंडनेस का लंबे समय तक पता नहीं चलता है. कलर ब्लाइंडनेस से प्रभावित लोग इन रंगों में अंतर नहीं कर पाते हैं
- लाल और हरे रंग के अलग अलग शेड्स
- ब्लू और हरे रंग के अलग अलग शेड्स
- कोई रंग
कलर ब्लाइंडनेस में सबसे सामान्य लाल और हरे रंग के अलग-अलग शेड्स की पहचान नहीं कर पाना है. कई बार पीड़ित पूरी तरह से रंगों की पहचान में असमर्थ नहीं होता है. यह परेशानी हल्की, मध्यम या गंभीर स्तर की हो सकती है. अगर आपको लगे कि रंगों की पहचान में परेशानी होती है तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. खासकर बच्चों को यह परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. जेनेटिक असर से हुई कलर ब्लाइंडनेस का इलाज नहीं है, लेकिन आंखों की बीमारी के कारण यह समस्या होती है तो उसका उपचार किया जा सकता है.
कलर ब्लाइंडनेस के कारण (Causes of Color blindness)
जेनेटिक डिसऑर्डर : कलर ब्लाइंडनेस का कारण वंशानुगत हो सकता है. जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कलर ब्लाइंडनेस के मामले ज्यादा होते हैं. लाल और हरे रंगों की शेड्स में अंतर नहीं कर पाना सबसे सामान्य कलर ब्लाइंडनेस है. वंशानुगत कारणों से हल्का, मध्यम या गंभीर किस्म का कलर ब्लाइंडनेस हो सकता है.
बीमारियां : कई बीमारियों जैसे सिकलसेल, एनीमिया, डायबिटीज, अल्जाइमर, मैक्यूलर डिजनरेशन, मल्टीपल स्केलेरोसिस, ग्लूकोमा, पार्किंसंस, बहुत ज्यादा शराब पीने की आदत और ल्यूकेमिया के कारण कलर ब्लाइंडनेस की समस्या हो सकती है. इसमें एक आंख ज्यादा या कम प्रभावित हो सकती है. बीमारियों के इलाज से यह समस्या कम हो सकती है.
दवाएं : कुछ दवाओं के कारण भी रंगों को पहचानने की क्षमता पर असर पड़ता है. ऑटोइम्यून बीमारियों, हार्ट डिजीज, हाई बीपी, इंफेक्शन, नर्व डिसऑर्डर और मनोवैज्ञानिक समस्याओं के उपचार के लिए दिए जाने वाली दवाओं के कारण कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा रहता है.
उम्र : उम्र बढ़ने के साथ रंगों को अलग-अलग देखने की क्षमता कम हो सकती है.
केमिकल : कई कैमिकल्स का भी असर रंगों को अलग-अलग देखने की क्षमता पर पड़ता है. कार्बन डाइसल्फाइड और फर्टिलाइजर के कारण कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा होता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)