नहीं रहे पूर्व PM मनमोहन सिंह, 92 साल की उम्र में निधन

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पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की आयु में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हो गया. आज शाम उनकी तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया. दिल्ली एम्स की ओर से आधिकारिक बुलेटिन जारी किया गया है.

भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. कल होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है. साथ ही 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया जाएगा. कल सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक होगी.

दिल्ली एम्स ने एक पत्र जारी कर कहा, ‘अत्यंत दुःख के साथ हम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के 92 वर्ष की आयु में निधन की सूचना दे रहे हैं. उन्हें रात 8:06 बजे नई दिल्ली के एम्स की मेडिकल इमरजेंसी में लाया गया. तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लिखा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी उन विरल राजनेताओं में से एक थे, जिन्होंने शिक्षा जगत और प्रशासन दोनों में समान रूप से सहजता से काम किया. सार्वजनिक कार्यालयों में अपनी विभिन्न भूमिकाओं में, उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्हें राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा, उनके बेदाग राजनीतिक जीवन और उनकी अत्यंत विनम्रता के लिए हमेशा याद किया जाएगा. उनका जाना हम सभी के लिए बहुत बड़ी क्षति है. मैं भारत के महानतम सपूतों में से एक को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं.’
 

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर PM मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘डॉ. मनमोहन सिंह जी और मैं उस समय नियमित रूप से बातचीत करते थे जब वे प्रधानमंत्री थे और मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था. हम शासन से संबंधित विभिन्न विषयों पर गहन विचार-विमर्श करते थे. उनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता हमेशा देखने को मिलती थी. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं डॉ. मनमोहन सिंह जी के परिवार, उनके मित्रों और असंख्य प्रशंसकों के साथ हैं. ओम शांति.’

कांग्रेस नेता ने राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, मनमोहन सिंह जी ने असीम बुद्धिमत्ता और निष्ठा के साथ भारत का नेतृत्व किया. उनकी विनम्रता और अर्थशास्त्र की गहरी समझ ने देश को प्रेरित किया.मैंने एक गुरु और मार्गदर्शक खो दिया है। हममें से लाखों लोग जो उनके प्रशंसक थे, उन्हें अत्यंत गर्व के साथ याद करेंगे.

मनमोहन सिंह ने दो बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. इससे पहले भी उन्हें कई बार स्वास्थ्य कारणों से अस्पताल में भर्ती कराया जा चुका था. उनके निधन से देश ने एक महान नेता को खो दिया है, जिनके नेतृत्व में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाए. 

डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति के एक प्रमुख नेता थे और उनके नेतृत्व में भारत ने अभूतपूर्व आर्थिक वृद्धि और विकास देखा. 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने भारत को एक मजबूत वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके निधन से भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति हुई है.
 

डॉ. मनमोहन सिंह 1991 से राज्यसभा के सदस्य थे, जहां वे 1998-2004 तक विपक्ष के नेता रहे. 2004 और 2009 में कांग्रेस पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद, उन्होंने 22 मई, 2004 और फिर 22 मई, 2009 को प्रधानमंत्री का पद संभाला था.

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि यह बहुत दुखद है. वह एक महान प्रधानमंत्री थे जिन्होंने देश की सेवा की. हम अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर रहे हैं और दिल्ली वापस जा रहे हैं.

अविभाजित भारत (अब पाकिस्तान) के पंजाब प्रांत के गाह गांव में 26 सितंबर, 1932 को गुरमुख सिंह और अमृत कौर के घर जन्मे सिंह ने 1948 में पंजाब में अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की. उनका शैक्षणिक करियर उन्हें पंजाब से ब्रिटेन के कैंब्रिज तक ले गया जहां उन्होंने 1957 में अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी ऑनर्स की डिग्री हासिल की. ​​सिंह ने इसके बाद 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नाफील्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में ‘डी.फिल’ की उपाधि प्राप्त की.

पूर्व पीएम राजीव गांधी की सरकार में वह 1985 से 1987 तक भारतीय योजना आयोग के प्रमुख के पद पर भी रहे. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के साथ भी काम किया. इसके अलावा वह 1982 से 1985 तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर भी रहे. इस दौरान उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र में कई सुधार किए. जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है.

साल 1987 से 1990 तक डॉ. मनमोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र में दक्षिण आयोग के महासचिव के तौर पर जिम्मा संभाला. मनमोहन सिंह साल 1991 में असम से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए. वह साल 1995, 2001, 2007 और 2013 में फिर उच्च सदन के सदस्य रहे. साल 1998 से 2004 तक जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार थी, तब मनमोहन सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे. 

साल 1999 में वह दक्षिणी दिल्ली से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन वह जीत नहीं सके. दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस ने 2009 का लोकसभा चुनाव मनमोहन सिंह के नेतृत्व में लड़ा था. मगर, वह खुद चुनावी दंगल में नहीं उतरे थे. राज्यसभा का सदस्य रहते हुए प्रधानमंत्री बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम दर्ज है.

डॉ. मनमोहन सिंह ने देश में हुए आर्थिक सुधारों में अहम रोल निभाया था. वह साल 1991 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री भी रहे. उन्होंने बजट के दौरान उदारीकरण, निजीकरण और वैश्विकरण से जुड़े कई ऐलान किए थे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिली.

मनमोहन सिंह को साल 1987 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से नवाजा गया. इसके अलावा उन्हें 1995 में जवाहरलाल नेहरू बर्थ सेंटेनरी अवॉर्ड ऑफ द इंडियन साइंस कांग्रेस,1993 में वर्ष के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवॉर्ड, 1956 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का एडम स्मिथ पुरस्कार जैसे कई सम्मान से सम्मानित किया गया है. इसके साथ ही उन्हें कैम्ब्रिज और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी सहित कई विश्वविद्यालयों की ओर से मानद उपाधियां दी गई.

26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मनमोहन सिंह का जन्म हुआ था. उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय और ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से शिक्षा पूरी की. इसके बाद उन्होंने 1962 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डी. फिल भी किया.


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