भारत के दो सैटेलाइनट ने 3 मीटर करीब पहुंचकर एक दूसरे को निहारा…ISRO ने आज अंतरिक्ष में किया बड़ा चमत्कार
नई दिल्ली:
धरती से हजारों मील दूर अंतरिक्ष में एक अनूठा चमत्कार हुआ.भारत के वैज्ञानिकों ने धरती से इसे अंजाम दिया है. अंतरिक्ष में तैर रहे भारत के दो उपग्रहों ने 3 मीटर नजदीक आकर एक दूसरे को निहारा और फिर टाटा-गुडबाय कहते हुए अपने मिशन पर निकल गए. भारतीय अंतरिक्ष इतिहास की यह बड़ी घटना है. अपने दो उपग्रहों की इतनी करीबी मुलाकात करवाने वाला भारत चौथा देश है. अंतरक्षि विज्ञान की भाषा में इसे ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ (स्पैडेक्स) कहते हैं. उपग्रहों को धरती की एक कक्षा में लाने की यह कोशिश काफी दिनों से चल रही थी. उपग्रहों की यह मुलाकात धीरे-धीरे और बहुत सेफ तरीके से करवाई गई. शुक्रवार शाम तक दोनों 1.5 किलोमीटर दूर थे. रविवार को दोनों 230 मीटर, फिर 15 मीटर और आखिर में 3 मीटर की दूरी पर आए.
ISRO ने सोशल मीडिया पोस्ट कर दी जानकारी
SpaDeX Docking Update:
A trial attempt to reach up to 15 m and further to 3 m is done.
Moving back spacecrafts to safe distance
The docking process will be done after analysing data further.
Stay tuned for updates.#SpaDeX #ISRO
— ISRO (@isro) January 12, 2025
स्पैडेक्स परियोजना पहले ही 7 और 9 जनवरी को ‘डॉकिंग’ प्रयोगों के लिए घोषित दो समय सीमा को चूक गई है. इसरो ने 30 दिसंबर को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में भेजा था. इसरो के अनुसार, स्पैडेक्स मिशन दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग कर अंतरिक्ष में डॉकिंग के लिए एक किफायती प्रौद्योगिकी मिशन है जिसे पीएसएलवी के जरिये लॉन्च किया गया था.
यह प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं जैसे चंद्रमा पर भारतीय मिशन, चंद्रमा से नमूने वापस लाना, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण और संचालन आदि के लिए आवश्यक है. इस मिशन के माध्यम से, भारत अंतरिक्ष डॉकिंग प्रौद्योगिकी रखने वाला दुनिया का चौथा देश बनने की ओर अग्रसर है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने SpaDex मिशन को लेकर रविवार तड़के एक बड़ा अपडेट दिया था.ISRO ने इस मिशन को लेकर कहा था कि इसमें शामिल उसके दोनों सैटेलाइट्स सामान्य स्थिति में हैं. ISRO ने ये जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करके दी है. इस पोस्ट में ISRO ने लिखा है कि इंटर सैटेलाइट को 230 मीटर की दूरी पर रोक लिया गया है, सभी सेंसर का मूल्यांकन किया जा रहा है. अंतरिक्ष यान पूरी तरह से सुरक्षित है. आपको बता दें कि ISRO अंतरिक्ष में ये मिशन डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करने के उद्देश्य से किया गया है. जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.
ISRO ने इस मिशन को लेकर बड़ा अपडेट दिया है…
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SpaDeX Docking Update:
At 15m we see each other clearer and clearer, we are just 50 feet away for an exciting handshake 🤝 #SPADEX #ISRO
— ISRO (@isro) January 11, 2025
‘हम सिर्फ 50 फीट दूर हैं’
ISRO ने दोनों सैटेलाइट्स के और करीब आने को लेकर पहले कहा था कि जब ये दोनों सैटेलाइट्स 15 मीटर की दूरी पर होंगे तो हम एक दूसरे को और साफ-साफ देख सकेंगे. हम बस 50 फीट ही दूर हैं. ये रोमांचित करने वाला मिलन अब कुछ समय ही दूर है. बताया जा रहा है कि ग्राउंड स्टेशनों का इंतजार किया जा रहा है ताकि वास्तविक डॉकिंग प्रयोग के लिए सिग्नल प्राप्त किया जा सके.
SpaDex मिशन आखिर है क्या ?
ISRO के इस मिशन में दो सैटेलाइट्स हैं. पहले सैटेलाइट का नाम चेसर और दूसरे का टारगेट है. इसरो के अनुसार चेसर सैटेलाइट टारगेट को पकडे़गा और डॉकिंग करेगा. बताया जा रहा है कि इसके अलावा एक महत्वपूर्ण टेस्ट और हो सकता है. इसरो से मिली जानकारी के अनुसार इस सैटेलाइट से एक रोबोटिक ऑर्म बाहर निकले हुए हैं, जो हुक के जरिए यानी टेथर्ड तरीके से टारगेट को अपनी ओर खींचेगा.
स्पेस डॉकिंग क्या होती है?
जानकार बताते हैं कि स्पेस डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो अंतरिक्ष यान या सैटेलाइट एक दूसरे के पहले बहुत करीब आते हैं और फिर एक साथ जुड़ जाते हैं. यह एक जटिल प्रक्रिया होती है. इसे खासतौर पर अंतरिक्ष अभियानों में इस्तेमाल किया जाता है. डॉकिंग कराने के पीछे कुछ अहम उद्देश्य भी होते हैं. ऐसा करके दो उपग्रहों को एक दूसरे से जोड़कर डेटा शेयर किया जा सकता है, पावर सोर्सेज को जोड़ा जा सकता है या किसी विशेष मिशन को अंजाम दिया जा सकता है. स्पेस डॉकिंग के दौरान एक अंतरिक्ष यान को दूसरे यान के पास लाकर उसे बेहद नियंत्रित तरीके का इस्तेमाल कर उन्हें जोड़ना पड़ता है.