सावधान! आगे स्पीड ब्रेकर है… सड़क पर हवा में उछालते मौत के ‘स्पॉट’ की खौफनाक कहानी जानिए
नई दिल्ली:
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में बुधवार को हादसों को रोकने के लिए एक सड़क पर बना स्पीड ब्रेकर ही हादसों का कारण बन गया.वहां 15 मिनट में सात हादसे दर्ज किए गए. इनमें कुछ लोग घायल भी हुए हैं. वहीं अक्तूबर में हरियाणा के गुड़गांव में बने एक स्पीड ब्रेकर पर एक कार हवा में उड़ती नजर आई थी.वहीं पिछले साल मार्च में मुंबई में एक जगुआर कार एक स्पीड ब्रेकर पर फंस गई थी.ये स्पीड ब्रेकर से जुड़े कुछ ऐसे मामले हैं, जो पिछले कुछ समय में सामने आए हैं. ये स्पीड ब्रेकर सड़कों पर गाड़ियों की रफ्तार को कम करने के लिए बनाए जाते हैं. लेकिन कई मामलों में यह देख जा सकता है कि ये स्पीड ब्रेकर ही हादसों का कारण बन जा रहे हैं. आइए जानते हैं कि देश में स्पीड ब्रेकर को लेकर दिशा-निर्देश क्या हैं और सड़कों पर सच्चाई क्या है. आइए जानते हैं कि देश में सड़क हादसों की स्थिति क्या है और उनमें स्पीड ब्रेकरों का कितना योगदान है.
कितने जानें लेता है स्पीड ब्रेकर
केंद्र सरकार ने संसद में 21 जुलाई 2017 को बताया था कि देश में स्पीड ब्रेकर की वजह से होने वाले हादसों में रोजाना नौ लोगों की जान चली जाती है और 30 लोग घायल हो जाते हैं. इसे अगर साल के हिसाब से देखें तो हर साल 1104 लोगों की जान स्पीड ब्रेकर से होने वाले हादसों में जाती है और करीब 11 हजार लोग इन हादसों में घायल हो जाते हैं. सरकार की ओर से पेश आंकड़ों के मुताबिक 2015 में हाइवे पर 11 हजार 84 हादसे स्पीड ब्रेकर की वजह से हुए. इन हादसों में तीन हजार 409 लोगों की जान चली गई और नौ हजार 764 लोग जख्मी हो गए. भारत में सबसे अधिक दिक्कत उन स्पीड ब्रेकर से है, जो अनमार्क है या जिन्हें बिना किसी मानक के ऐसे ही तैयार कर लिया गया है.
ये आंकड़े बताते हैं कि स्पीड ब्रेकर के कारण भारत में जितने लोगों की मौतें होती हैं, उससे कम लोग ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में होने वाले सड़क हादसों में मरते हैं. साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया में सड़क दुर्घटनाओं में दो हजार 937 और ब्रिटेन में तीन हजार 409 लोगों की मौत हुई थी.
Yet another incident in which a 42-year old Paresh Jingar went into comma after menacing stray dogs chased him in Chhipwad area of Vadodara and he lost control of bike on speedbreaker last weekend pic.twitter.com/qcp9hvFLiC
— DeshGujarat (@DeshGujarat) March 13, 2023
सरकार ने माना था कि यह समस्या पूरे देश में है. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि वो राज्य सरकारों के लिखेंगे कि वे सुनिश्चित करें कि स्पीड ब्रेकर बनाते समय नियमों का पालन हो.उन्होंने कहा था कि उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि स्पीड ब्रेकर एक निश्चित स्थान पर सोच-विचार कर बनाया जाएं. दरअसल बिना मानक वाले स्पीड ब्रेकर सड़क निर्माण, ट्रैफिक नियंत्रित करने वाले निकायों और सड़क सुरक्षा का ध्यान रखने वाले संगठनों में तालमेल न होने का परिणाम है.
Ouch!
This seems to have happened on a newly made unmarked speed breaker on golf course road in Gurugram!Got it in one of my groups. Damn!
Can anyone from Gurgaon confirm this pic.twitter.com/EZMmvq7W1f
— Bunny Punia (@BunnyPunia) October 28, 2024
भारत में एक साल में होते हैं कितने हादसे
देश में सड़कों पर होने वाले हादसों को लेकर सरकार ‘रोड एक्सिडेंट इन इंडिया’ के नाम से एक रिपोर्ट जारी करती है. साल 2022 के लिए जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में सड़कों पर हुए कुल हादसों में से 72.4 फीसदी हादसे ओवर स्पीड की वजह से होते हैं. वहीं इन हादसों में होने वाली मौतों में से 75.2 फीसदी मौतों का कारण ओवर स्पीड है. केंद्र सरकार के मुताबिक 2022 में कुल चार लाख 61 हजार 312 सड़क हादसे दर्ज किए गए.इन सड़क हादसों में एक लाख 68 हजार 491 लोगों की जान गई और चार लाख 43 हजार 366 लोग घायल हो गए. विश्व स्वास्थ्य संगठन की सड़क सुरक्षा पर एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में सड़क पर होने वाले हादसों में हर साल 12 लाख 40 हजार लोगों की जान जा रही है. दुनिया में होने वाली मौतें जिन वजहों से होती है, उनमें सड़क पर होने वाले हादसे दसवें नंबर पर है.
सड़क पर हादसों को बड़ा कारण ओवर स्पीडिंग है. इस ओवर स्पीडिंग को रोकने के लिए ही सड़कों पर स्पीड ब्रेकर बनाए जाते हैं.इन स्पीड ब्रेकरों से गाड़ियों की रफ्तार कमकर करीब 25 किलोमीटर प्रति घंटा तक लाने की कोशिश की जाती है.
भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी)ने 1996 में स्पीड ब्रेकर बनाने को लेकर दिशा-निर्देश बनाए थे. इन दिशा-निर्देशों के मुताबिक एक आदर्श स्पीड ब्रेकर की ऊंचाई 10 सेंटीमीटर, लंबाई 3.5 मीटर और कर्वेचर रेडियस (वृत्ताकार क्षेत्र) 17 मीटर होनी चाहिए.इसके अलावा ड्राइवरों को स्पीड ब्रेकर की जानकारी देने के लिए स्पीड ब्रेकर से 40 मीटर पहले एक चेतावनी बोर्ड लगाने का भी नियम है. इस पर 20 सेमी ऊंची और 60 सेमी लंबा बोर्ड लगाया जाना चाहिए.सड़कों पर गाड़ियों की रफ्तार कम करने के लिए कई और तरीके भी अपनाए जाते हैं, जैसे साइन बोर्ड लगाना और स्पीड पर नजर रखने के लिए कैमरे लगाना.
नेशनल हाइवे से स्पीड ब्रेकर क्यों हटवाती है सरकार
स्पीड ब्रेकर को गाड़ियों की रफ्तार को कम करने के लिए बनाया जाता है. लेकिन केंद्र सरकार ने 11 अप्रैल 2016 को दिए अपने एक आदेश में राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी नेशनल हाइवे पर कोई स्पीड ब्रेकर न बनने पाए.सरकार ने यह आदेश उस वादे को पूरा करने के लिए दिया है, जिसमें कहा गया है कि नेशनल हाइवे पर गाड़ियों को बिना किसी बाधा के हाई स्पीड से चलने दिया जाएगा. हालांकि सरकार ने यह भी कहा है कि नेशनल हाइवे पर दुर्घटना संभावित इलाकों, तेज घुमावों और सघन इलाकों में रंबल स्ट्रीप (रबड़ के स्पीड ब्रेकर) लगाई जाएं. यह स्थिति तब है जब भारत में सड़कों पर होने वाले हादसों में से 32.9 फीसदी हादसे नेशनल हाइवे पर ही होते हैं. सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 61 हजार 38 लोगों की मौत नेशनल हाइवे पर हुए हादसों में हुई. सरकार ने अभी गुरुवार को ही लोकसभा में बताया कि 2013 से 2022 के बीच हुए सड़क हादसों में 15 लाख दो हजार 416 लोगों की जान चली गई.
सड़कों पर स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए मानक तो तय कर दिए गए हैं, लेकिन उन मानकों का पालन कितना होता है, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है.आमतौर पर रिहायशी इलाकों, स्कूलों और अस्पतालों के दोनों किनारे पर स्पीड ब्रेकर बनाने का प्रावधान है. लेकिन होता यह है कि जिसे जरूरत होती है वहीं स्पीड ब्रेकर बनवा देते हैं.इन स्पीड ब्रेकरों को बनाने में किसी मानक का पालन नहीं किया जाता है.कई जगहों पर लोग ट्रैफिक नियंत्रण करने के लिए ईंटों की मदद से डीआईवाई बंप्स (हाथ से बने स्पीड ब्रेकर) बना देते हैं.
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