कनाडा: खालिस्तानी हमलों के बाद भारत ने टोरांटो में कैंसिल किए काउंसुलर कैंप, सुरक्षा कारणों से लिया फैसला

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नई दिल्ली:

कनाडा और भारत के बीच तल्खियां बढ़ती जा रही है. ब्रैमप्टन में खालिस्तानी आंतकियों के एक हिंदू मंदिर को निशाना बनाए जाने के बाद भारत ने टोरांटो में काउंसुलर कैंप फिलहाल कैंसिल कर दिए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से ये फैसला लिया गया है. काउंसुलर कैंप एक तरह के रूटीन ऑपरेशन होते हैं. कनाडा में इंडियन डेप्लोमेटिक मिशन, ओटावा में हाई कमीशन इन्हें ऑर्गेनाइज करता है. वहीं, वैनकूवर और टोरांटो में कॉन्सुलेट ऐसे कैंप आयोजित करते हैं. काउंसुलर कैंप के जरिए भारतीय नागरिकों को डॉक्युमेंटेशन और सर्टिफिकेट बनाने में मदद की जाती है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने टोरांटो में काउंसुलर कैंप कैंसिल करने की जानकारी दी. उन्होंने कहा, “आपने टोरांटो में हमारे कॉन्सुलेट के मैसेज पोस्ट देखे होंगे. उन्होंने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से काउंसुलर कैंप कैंसिल करने का फैसला लेना पड़ा. क्योंकि इस कैंप के लिए कनाडा सरकार की ओर से पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं करवाई गई थी.”

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भारतीय कांसुलेट की पोस्ट में कहा गया, “सुरक्षा एजेंसियों द्वारा कम्युनिटी कैंप आयोजकों को न्यूनतम सुरक्षा मुहैया करने में असमर्थता जाहिर करने के मद्देनजर, कॉन्सुलेट ने कुछ निर्धारित कांसुलेट कैंप्स को रद्द करने का निर्णय लिया है.” टोरांटो के पास ब्रैमप्टन में हिंदी सभा मंदिर के बाहर कांउसुलर कैंप का आयोजन किया जाना था. रविवार को खालिस्तानी समर्थकों ने इस मंदिर में घुसकर हमला किया था. मंदिर में तोड़फोड़ भी की गई थी.    

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘जानबूझकर किया गया हमला’ बताते हुए नाराजगी जाहिर की थी. मोदी ने कहा था कि इस तरह के हमले भारत के राजनयिक मिशन के इरादों को कमजोर नहीं कर सकेंगे. कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग ने ब्रैमप्टन में हिंसक हमले को लेकर एक बयान जारी किया था और इसकी निंदा की थी.

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इंडियन कॉन्सुलेट ने कहा, “भारत विरोधी तत्वों के इन प्रयासों के बावजूद, हमारा कॉन्सुलेट भारतीय और कनाडाई आवेदकों को 1000 से अधिक लाइफ सर्टिफिकेट जारी करने में सक्षम था. 2 और 3 नवंबर को वैंकूवर और सरे में आयोजित इसी तरह के कैंपों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई थी. 

इंडियन कॉन्सुलेट ने कहा कि हम भारतीय नागरिकों सहित आवेदकों की सुरक्षा के लिए भी बहुत चिंतित हैं, जिनकी मांग पर ही इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

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