गणतंत्र के स्पेशल 26: T-90 भीष्म टैंक को देख क्यों थर्रा जाता है दुश्मन, एक मिनट में दागता है 800 गोले

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गणतंत्र के स्पेशल 26: T-90 भीष्म टैंक को देख क्यों थर्रा जाता है दुश्मन, एक मिनट में दागता है 800 गोले

India के T-90 Bhishma Tank के सामने घुटने टेक देते हैं दुश्मन…

गणतंत्र के स्पेशल 26 (Gantantra ke Special 26) में जानें उस टैंक के बारे में जो भारतीय सेना को अलग ताकत देता है.  भीष्म टैंक टी-90 (T-90 Bhishma Tank) को दुनिया के सबसे शक्तिशाली टैंक (Powerful Tank) में शुमार किया जाता है. जमीनी लड़ाई में ये टैंक भारतीय सेना (Indian Army) का सबसे भरोसेमंद साथी है. इसे पहले रूस से खरीदा जाता था लेकिन अब इसे भारत में ही बनाया जाता है. टी90 टैंक युद्ध (War) के मैदान में किसी भी विरोधी के हौंसले को पस्त कर सकता है. इसी टैंक के बारे में यहां जानिए.

जंगल पहाड़ दलदल में भी तेजी से चल सकता है भीष्म

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इस टैंक में बस तीन लोग होते हैं- कमांडर, गनर और ड्राइवर. 40 से 48 टन का ये टैंक जब मैदान में उतरता है तो इसकी धमक महसूस की जा सकती है.  इस टैंक की लंबाई 9.6 मीटर है और चौड़ाई 2.78 मीटर. ये ज़मीन से 2.22 मीटर ऊंचा चलता है. आकार में छोटा होने की वजह से ये जंगल पहाड़ दलदल वाले इलाकों तक में तेजी से चल सकता है. करीब 60 किलोमीटर तक इसकी रफ्तार है. इसमें 125 मिलीमीटर की मोटाई वाला स्मूथबोर टैंक गनर लगा हुआ है, जो इसका ख़ास हथियार है. इससे कई तरह के गोले दागे जा सकते हैं और मिसाइलें भी.

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एंटी एयरक्राफ्ट गन 2 KM की रेंज तक हेलीकॉप्टर गिरा सकती है

इसके साथ ही इससे 100 मीटर से 4 किलोमीटर तक की रेंज में सटीक निशाना लगाया जा सकता है.  इस टैंक के ऊपर एंटी एयरक्राफ्ट गन भी लगी हुई है, जो 2 किलोमीटर रेंज में हेलीकॉप्टर को मार गिरा सकती है. इस गन से एक मिनट में 800 गोले छोड़े जा सकते हैं. टैंक में ऑटोमेटिक और मैन्युअल तरीके से भी मिसाइल और गोलियां फायर की जा सकती हैं. टैंक में थर्मल इमेज की क्षमता भी है, जिसके जरिए 6 किलोमीटर दूर तक किसी का पता लग जाता है. 

भीष्म यानी ऐसी दीवार, जिसे कोई भेद ना पाए

वैसे भीष्म की ऑपरेशनल रेंज 550 किलोमीटर तक है. यही नहीं, भीष्म कई तरह के रॉकेट भी झेल सकता है. इसमें एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर है, जिसे आप टैंक का बुलेट प्रूफ जैकेट भी कह सकते हैं. यह जैविक और रासायनिक हमले से निपटने में भी सक्षम है.  शायद इसकी ताक़त और क्षमता देखते हुए ही इसे भीष्म का नाम दिया गया है- यानी ऐसी दीवार का, जिसे कोई भेद नहीं सकता

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