बिहार में दीघा-सोनपुर 6 लेन पुल को मिली मंजूरी, मोदी कैबिनेट ने लिए कई अहम फैसले

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बिहार में दीघा-सोनपुर 6 लेन पुल को मिली मंजूरी, मोदी कैबिनेट ने लिए कई अहम फैसले

नई दिल्ली:

केंद्रीय कैबिनेट (Central cabinet) की बुधवार को बैठक हुई. बैठक में कई अहम फैसले लिए गए.  बिहार के पटना के दीघा से सोनपुर के बीच गंगा नदी पर 6 लेन पुल के निर्माण को मंजूरी दी गयी है. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बात की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि गंगा पर 4.5 किलोमीटर लंबा पुल बनेगा.दीघा, पटना और गंगा नदी के दक्षिणी तट और सोनपुर सारण जिले में गंगा नदी के उत्तरी तट पर स्थित है. वर्तमान में ये केवल हल्के वाहनों की आवाजाही के लिए रेल सह सड़क पुल से जुड़े हुए हैं.ऐसे में वर्तमान सड़क का उपयोग माल और वस्तुओं के परिवहन के लिए नहीं किया जा सकता है. यह वस्तुओं की तेज आवाजाही के रास्ते में एक बड़ी बाधा है.  बयान के अनुसार, दीघा और सोनपुर के बीच नये पुल से बाधा दूर होगी। पुल बन जाने के बाद माल और वस्तुओं का परिवहन किया जा सकेगा, जिससे क्षेत्र की आर्थिक क्षमता सही तरीके से उपयोग हो सकेगा. 

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सरकार ने खोपरा का MSP 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया

 केंद्र सरकार ने कई फसलों के लिए एमएसपी भी तय कर दिया है. खोपरा के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 12000 रुपया तय किया गया है. अनुराग ठाकुर ने कहा कि मिलिंग खोपरा का एमएसपी 300 रुपये प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए बढ़ाया गया है.  उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हुई कि वर्ष 2024 के लिए मिलिंग खोपरा (नारियल) के लिए एमएसपी 2023 से अधिक होगा. 

खोपरा को लेकर लगातार गंभीर रही है सरकार

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, इससे मिलिंग खोपरा (तेल निकालने के लिए उपयोग होने वाला) के लिए 51.84 प्रतिशत और बॉल खोपरा (मेवा) के लिए 63.26 प्रतिशत का मार्जिन सुनिश्चित होगा, जो उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत से 1.5 गुना से भी अधिक है.  पिछले 10 साल में सरकार ने मिलिंग खोपरा और बॉल खोपरा के लिए एमएसपी को 2014-15 में क्रमशः 5,250 रुपये प्रति क्विंटल और 5,500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2024-25 के सत्र में 11,160 रुपये प्रति क्विंटल और 12,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है.

कैबिनेट ने नॉर्थ ईस्‍ट को भी सौगात दिया है. खोवाई से हरिना तक सड़क बनाने के काम को मंजूरी दी गई है. 25 महीने में इस काम को पूरा करने की योजना है. इस योजना का लाभ असम और त्रिपुरा के लोगों को मुख्य रूप से मिलेगा. 

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