Karwa Chauth 2023: इस करवा चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी चंद्रदेव की पूजा, जानिए चंद्र पूजा का मुहूर्त, अर्घ्य और पारण का समय
Karwa Chauth 2023: सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए और द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. इस व्रत से सुगाहिनों को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. करवा चौथ के व्रत में निर्जला व्रत के बाद चंद्रमा का दर्शन कर उन्हें अर्घ्य (Arghya) देने से ही व्रत का पुण्य प्राप्त होता है. आइए जानते हैं करवा चौथ की तिथि, पूजा का मुहुर्त और चंद्र अर्घ्य व पारण का समय. (Karwa chauth Date,puja,tithi and muhurat)
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कब है करवा चौथ(Date of Karwa Chauth)
पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट से शुरु होकर 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक है. उदया तिथि और चंद्रोदय के अनुसार 1 नवंबर बुधवार को करवा चौथ मनाई जाएगी.
करवा चौथ पूजा का मुहूर्त (Karwa Chauth Muhurt)
1 नवंबर को करवा चौथ व्रत का समय सुबह 6 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 26 मिनट तक है और करवा चौथ पूजा का मुहुर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट से रात 7 बजकर 2 मिनट तक है. व्रती महिलाओं को पूजा के लिए 1 घंटा 18 मिनट का समय मिलेगा.
करवा चौथ को योग
इस वर्ष करवा चौथ पर तीन योग बन रहे हैं. सुबह 6 बजकर 33 मिनट से अगले दिन प्रात: 4 बजकर 36 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग है. दोपहर 2 बजकर 7 मिनट से परिध योग और उसके बाद शिव योग है. सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत शुभ माना जाता है. इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं. करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग में चंद्रमा पूजन के कारण यह बहुत शुभ फल देने वाला होगा.
चंद्रमा पूजा और अर्घ्य का समय
करवा चौथ के दिन चंद्रोदय राज 8 बजकर 15 मिनट पर होगा. उस समय चंद्रदेव के दर्शन के बाद अर्घ्य दिया जा सकता है. चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा हो जाता है.
पारण का समय
करवा चौथ के दिन चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से जल पीने के बाद पारण किया जा सकता है.सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए और द्रौपदी ने पांडवों के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. इस व्रत से सुगाहिनों को अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है. करवा चौथ के व्रत में निर्जला व्रत के बाद चंद्रमा का दर्शन कर उन्हें अर्घ्य देने से ही व्रत का पुण्य प्राप्त होता है. आइए जानते हैं करवा चौथ की तिथि, पूजा का मुहुर्त और चंद्र अर्घ्य व पारण का समय.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)