महाराष्ट्र के राज्यपाल को पद से हटाने के लिए बॉम्बे HC में याचिका, शिवाजी महाराज पर दिया था बयान
मुंबई:
महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari)के एक बयान को लेकर सियासत तेज हो गई है. कोश्यारी को राज्यपाल पद से हटाने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता दीपक दिलीप जगदेव की ओर से एडवोकेट नितिन सतपुते ने ये याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि वर्तमान राज्यपाल ने छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj), सावित्रीबाई फुले, ज्योतिबा फुले का अपमान किया है. लोगों के भावनाएं आहत हुई हैं. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 61 और 156 के तहत महाभियोग की कार्यवाही की मांग की गई है. औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज ‘‘पुराने दिनों” के प्रतीक थे.
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कोश्यारी की इस टिप्पणी से महाराष्ट्र में राजनीतिक घमासान जारी है. कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र के लिए नया राज्यपाल नियुक्त किया जाना चाहिए. छत्रपति शिवाजी महाराज पर टिप्पणी के लिए भगत सिंह कोश्यारी को उनके पद से हटा दिया जाना चाहिए. चव्हाण नांदेड़ में राज्यपाल के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए प्रदर्शन के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और अन्य संगठनों के कार्यकर्ता कोश्यारी को पद से हटाए जाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. चव्हाण ने दावा किया कि यह पहली बार नहीं है जब राज्यपाल ने ऐसा विवादास्पद बयान दिया है, और कहा कि संवैधानिक पद संभालने वाले व्यक्ति का ऐसी टिप्पणी करना अनुचित है. कांग्रेस नेता ने कहा कि कोश्यारी को महाराष्ट्र से बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए और राज्य के लिए नया राज्यपाल नियुक्त किया जाना चाहिए. चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र के प्रति किसी भी तरह का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
इस बीच, कांग्रेस की औरंगाबाद शहर और जिला इकाइयों ने शहर के क्रांति चौक पर प्रदर्शन किया और मांग की कि राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल को वापस बुलाया जाए. जिला कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व विधायक कल्याण काले ने कहा, ‘‘कोश्यारी को राष्ट्रपति (द्रौपदी मुर्मू) द्वारा वापस बुलाया जाना चाहिए. राज्यपाल को नहीं पता कि छत्रपति शिवाजी की तुलना किसके साथ की जाए.”
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