हिमाचल प्रदेश चुनाव : जानें कौन हैं शिमला ग्रामीण सीट से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह, PM मोदी की कर चुके हैं तारीफ

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हिमाचल प्रदेश चुनाव : जानें कौन हैं शिमला ग्रामीण सीट से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह, PM मोदी की कर चुके हैं तारीफ

शिमला ग्रामीण से विधायक विक्रमादित्य सिंह

शिमला ग्रामीण सीट राजघराने के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है. यहां से हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री  वीरभद्र सिंह के बेटे और उनके गुजरने के बाद राजा बने 33 साल के विक्रमादित्य सिंह मैदान में हैं. वह वर्तमान में यहां से विधायक भी हैं. विक्रमादित्य सिंह राजा वीरभद्र सिंह के बेटे हैं. वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री रहे और उनकी मौत के बाद विक्रमादित्य को राजा बनाया गया है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में अब भी राजा और राजघरानों की तूती बोलती है. इस साल ही मंडी लोकसभा उपचुनाव में वीरभद्र की पत्नी और रानी प्रतिभा सिंह ने बीजेपी के उम्मीदवार को हरा दिया था. विक्रमादित्य सिंह की मां रानी प्रतिभा सिंह हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं. विक्रमादित्य हिमाचल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. बीजेपी लगातार विक्रमादित्य और उनका मां प्रतिभा सिंह को लेकर परिवारवाद का आरोप लगा रही है. यही वजह है कि बीजेपी चुनाव प्रचार के दौरान हिमाचल कांग्रेस को मां-बेटे की कांग्रेस बता रही है. 

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दिल्ली के हंसराज कॉलेज से की है पढ़ाई

विक्रमादित्य का जन्म 1989 में हुआ और उन्होंने हिमाचल के बिशप स्कूल से पढ़ाई की है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से पढ़ाई की. वह खेलों में खासी रुचि रखते हैं. उन्होंने नेशनल लेवल पर राज्य का प्रतिनिधित्व किया है. 2007 में उन्होंने ट्रैप शूटिंग में कांस्य पदक जीता था.

2013 में शुरू हुई राजनीतिक यात्रा

विक्रमादित्य की सक्रिय राज्य राजनीतिक यात्रा 2013 में शुरू हुई और वे हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस कमेटी से जुड़े. उन्हें साल 2013 में 2017 तक हिमाचल प्रदेश राज्य युवा कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में चुना गया था.

पीएम मोदी की कर चुके हैं तारीफ

बता दें कि वह पीएम मोदी के एक फैसले की तारीफ करके सुर्खियों में आ चुके हैं. जब पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने का फैसला किया तो उन्होंने इसका स्वागत किया. उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्यपथ करना एक स्वागत योग्य कदम है. अब ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया है. ऐसे में हर इमारत पर अंग्रेजों के नाम बदले जाने चाहिए.

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