Kojagiri Purnima 2022: कोजागरी पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा होती है खास, जानें शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व
Kojagiri Purnima 2022 Lakshmi Puja: आश्विन मास की पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों पर बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं. धर्म ग्रंथों के मुताबिक कोजागरी पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी समुद्र मंथन के बाद प्रकट हुई थीं. यही वजह है कि इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना का खास महत्व है. धर्म ग्रंथों में ऐसा वर्णन मिलता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी विशेष प्राप्त होती है. कोजागरी पूर्णिमा के दिन निशिता काल में मां लक्ष्मी की पूजा अत्यंत फलदायी होती है. आइए जानते हैं कोजागरी पूर्णिमा के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.
कोजागर पूजा 2022 शुभ मुहूर्त | Kojagara Puja Shubh Muhurat
कोजागर पूजा 2022 तिथि- रविवार, 9 अक्टूबर 2022
कोजागर पूजा निशिता काल- रात 11:44 मिनट से 12:33 मिनट तक
निशिता काल की कुल अवधि – 49 मिनट
कोजागर पूजा के दिन चंद्रोदय – 05:51 पी एम
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 09 अक्टूबर 2022 को सुबह 03:41 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 10 अक्टूबर 2022 को 02:24 ए एम
कोजागिरी पूर्णिमा 2022 पूजन विधि | Kojagiri Purnima Puja Vidhi
पौराणिक मान्यता के अनुसार, कोजागिरी पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था. मां लक्ष्मी दिवाली से पहले कोजागर पूजा के दिन रात में भ्रमण पर निकलती हैं. इस दौरान वो ये देखती हैं कि कौन जागकर उनकी पूजा कर रहा है. ऐसे में जो कोई इस दिन रात में निशिता काल मुहूर्त में मां लक्ष्मी की पूजा करत है, मां लक्ष्मी उसकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. कहा जाता है कि इस दिन घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए. ताकि मां लक्ष्मी का घर में प्रवेश और वास हो सके. कोजागिरी पूर्णिमा का पूजन रात्रि काल में चंद्रोदय के बाद किया जाता है. निशिता काल में अष्ट लक्ष्मी की पूजा करके उन्हें खीर का भोग लगाया जाता है. कहा गया है कि इस दिन खीर को एक पात्र में साफ कपड़े से बांध कर चंद्रमा की रोशनी में रात भर के लिए रख देना चाहिए. इसके बाद अगले दिन सुबह प्रसाद रूप में इसे ग्रहण करने से घर में संपन्नता बनी रहती है.
कोजागिरी पूर्णिमा महत्व | Kojagiri Purnima Importance
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, कोजागिरी पूजा के दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण के लिए पधरती हैं. इस दौरान वो पूछती हैं कि ‘को जाग्रतः’ यानी कौन जाग रहा है. यही कारण है कि शरद पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. कहते हैं कि जो कोई कोजागिरी पूजा के दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगता है, उसे आर्थिक संकटों का सामना नहीं करना पड़ता.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)