मनमोहन सिंह के निधन को लेकर फिल्मी सितारों पर क्यों भड़के TMC सांसद अभिषेक बनर्जी, पढ़े क्या है पूरा मामला 

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मनमोहन सिंह के निधन को लेकर फिल्मी सितारों पर क्यों भड़के TMC सांसद अभिषेक बनर्जी, पढ़े क्या है पूरा मामला 

अभिषेक बनर्जी ने फिल्मी सितारों और खेल जगत की हस्तियों पर उठाए सवाल


नई दिल्‍ली :

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनके स्मारक को लेकर मचे घमासान के बीच तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी ने उन फिल्मी सितारों और खेल जगत की हस्तियों पर निशाना साधा है, जिन्होंने मनमोहन सिंह के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कोई सोशल मीडिया पोस्ट नहीं किया और चुप्पी साधी रखी. उन्होंने इसे लेकर एक सोशल मीडिया पोस्ट भी साझा किया. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि अक्सर ‘रोल मॉडल’ मानी जाने वालीं खेल और फिल्म उद्योग की प्रमुख हस्तियों को पूरी तरह चुप्पी साधे हुए देखना चौंकाने वाला और निराशाजनक है. डॉ.सिंह के निधन पर शोक जताने में अनिच्छा उनकी प्राथमिकताओं, जिम्मेदारी और ईमानदारी के बारे में असहज कर देने वाले सवाल खड़े करती है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस चुप्पी की वजह सरकार का डर है क्योंकि राष्ट्रीय मुद्दों पर चुप रहना इनमें से कई तथाकथित हस्तियों की आदत बन गई है. 

उन्होंने कहा कि ये वही व्यक्ति हैं जो किसानों के विरोध प्रदर्शन, सीएए-एनआरसी आंदोलन और मणिपुर में जारी संकट को लेकर मूक बने रहे हैं.सांसद बनर्जी ने कहा कि उन्होंने आम लोगों से मिले प्रेम का लाभ उठाकर अपनी संपत्ति बनाई और प्रसिद्धि हासिल की,फिर भी जब देश को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो वे नैतिक रुख अपनाने से भी कतराते हैं. 

अमेरिका, फ्रांस और रूस ने मनमोहन सिंह के निधन पर जताया था शोक

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर दुनिया के अलग-अलग मुल्‍कों के नेताओं ने उन्‍हें याद किया है. उनके निधन पर अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, रूस, पाकिस्तान और श्रीलंका समेत दुनियाभर के नेताओं ने शोक व्यक्त किया और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को याद किया. भारत में आर्थिक सुधारों के जनक मनमोहन सिंह (92) का गुरुवार रात एम्स में निधन हो गया था. उनके परिवार में पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं. अफगानिस्तान, मालदीव, मॉरीशस और नेपाल के नेताओं ने भी सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि डॉ. सिंह अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी के सबसे बड़े समर्थकों में एक थे और पिछले दो दशकों में हमारे देशों द्वारा मिलकर हासिल की गई अधिकतर उपलब्धियों की नींव उन्होंने ही रखी थी.’


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