मनमोहन सिंह ने ऐसे कौन से किए 4 बड़े काम, जिससे देश को बनाया खुद का कर्जदार

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Manmohan Singh Biggest Achievements: भारत की तस्वीर और तकदीर बदलने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात 9:51 पर निधन हो गया. वे न सिर्फ भारत के 14वें प्रधानमंत्री थे, बल्कि एक महान अर्थशास्त्री, विद्वान और नेता भी थे. 1991 से 1996 तक वे भारत के वित्त मंत्री भी रहे. आज की युवा पीढ़ी उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में जानती है, लेकिन वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने जो काम किए, वो आज भी भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव हैं. यहां जानिए उनके वो 4 सबसे बड़े फैसले, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था और समाज को हमेशा के लिए बदल दिया.

पहला फैसलाः आर्थिक उदारीकरण (1991)

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1991 का साल भारत के लिए बहुत मुश्किल था. देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था. विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था, और देश दिवालिया होने की कगार पर था. ऐसे कठिन समय में, वित्त मंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह ने कमान संभाली. उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के साथ मिलकर, अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए क्रांतिकारी फैसले लिए. पहले भारत में कोई भी उद्योग शुरू करने के लिए सरकार से कई तरह के लाइसेंस लेने पड़ते थे. इस प्रक्रिया में बहुत समय लगता था और भ्रष्टाचार भी बहुत था. डॉ. सिंह ने इस “लाइसेंस राज” को खत्म कर दिया, जिससे व्यापार करना आसान हो गया. उन्होंने आयात और निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को कम किया, जिससे विदेशी कंपनियों के लिए भारत में व्यापार करना आसान हो गया. डॉ. सिंह ने विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया. इससे देश में नई तकनीक आई, रोजगार बढ़ा और अर्थव्यवस्था मजबूत हुई. इन सुधारों को “आर्थिक उदारीकरण” कहा जाता है. इन सुधारों का नतीजा ये हुआ कि भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ने लगी, विदेशी निवेश बढ़ा, और भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया. आज जो आप भारत की तरक्की देख रहे हैं, उसकी नींव 1991 में डॉ. मनमोहन सिंह ने ही रखी थी.

दूसरा फैसलाः राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) (2005)

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2004 में डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने गरीबों और ग्रामीण भारत के विकास पर विशेष ध्यान दिया. 2005 में उन्होंने “राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” (नरेगा) लागू किया. इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हर परिवार को साल में कम से कम 100 दिन मजदूरी की गारंटी दी गई. अगर सरकार 100 दिन का काम नहीं दे पाती थी, तो उसे बेरोजगारी भत्ता देना पड़ता था. इस योजना से ग्रामीण इलाकों में गरीबी कम हुई और लोगों का शहरों की ओर पलायन भी कम हुआ. बाद में इस योजना का नाम बदलकर “महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम” (मनरेगा) कर दिया गया. यह योजना आज भी ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.

तीसरा फैसलाः सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) (2005)

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डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने 2005 में “सूचना का अधिकार अधिनियम” (RTI) लागू किया. यह एक क्रांतिकारी कानून था, जिसने आम आदमी को सशक्त बनाया. इस कानून के तहत भारत का कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी मांग सकता है. इससे सरकारी कामों में पारदर्शिता आई और भ्रष्टाचार कम हुआ. सरकारी अधिकारियों को अब पता था कि उनके काम पर जनता की नजर है, इसलिए वे ज्यादा जिम्मेदारी से काम करने लगे.

चौथा फैसलाः भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (2005)

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डॉ. मनमोहन सिंह ने 2005 में अमेरिका के साथ एक ऐतिहासिक “परमाणु समझौता” किया. इस समझौते को “123 समझौता” भी कहा जाता है. इस समझौते के तहत भारत को अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु तकनीक और ईंधन मिलने का रास्ता खुल गया. भारत ने “परमाणु अप्रसार संधि” (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, फिर भी यह समझौता हुआ. यह डॉ. मनमोहन सिंह की कूटनीतिक सफलता थी. इस समझौते से दुनिया में भारत का कद बढ़ा और भारत को एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में मान्यता मिली. इस समझौते ने भारत के विकास को नई गति दी. तो ये थे डॉ. मनमोहन सिंह के 4 सबसे बड़े फैसले, जिन्होंने भारत को बदल दिया. वे एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने भारत को आर्थिक संकट से निकाला, गरीबों को सशक्त बनाया, प्रशासन में पारदर्शिता लाई और दुनिया में भारत का कद बढ़ाया. उनकी कमी हमेशा महसूस होगी.



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