सीरिया में बशर के शासन का अंत, देश पर विद्रोहियों का कब्जा; जानिए अब यहां से आगे क्या हैं रास्ते

0 7


नई दिल्ली:

सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद (Bashar Al Assad) के शासन के अंत के बाद देश की भविष्य को लेकर कई तरह की अनिश्चितता है. लंबे समय तक सीरिया पर शासन करने वाले  बशर अल-असद की सत्ता का हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) नामक समूह के नेतृत्व में हुए हमलों के बाद समाप्ति हो गयी. बशर अल-असद अपने पिता हाफ़िज़ अल-असद के बाद 2000 में सत्ता में आए थे. हाफ़िज़ अल-असद  ने लगभग तीन दशकों तक सीरिया पर मजबूत पकड़ के साथ शासन किया था. शुरुआत में उम्मीदें थीं कि बशर सीरिया में सुधार और खुलापन लाएंगे. हालांकि, बहुत जल्द ही यह उम्मीदे टूट गयी और उन्होंने अपने पिता के शासन व्यवस्था को ही कायम रखा. 

विरोध प्रदर्शन को संभालने में असफल रहे अशद
सीरिया में 2011 में हुए विरोध प्रदर्शन को संभालने में असद की विफलता ने सीरिया को गृहयुद्ध में झोंक दिया. पांच लाख से अधिक लोग मारे गए, छह लाख शरणार्थी बन गए.  रूस और ईरान के सैन्य समर्थन के कारण हालांकि असद उस दौरान बंटे हुए विद्रोहियों से बच गए. इस दौरान उन्हें रूस की वायुसेना और हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों का साथ मिला. 

हालांकि ईरान और रूस पर उनकी निर्भरता का असर यह हुआ कि जब रूस यूक्रेन के युद्ध में व्यस्त हो गया और ईरान भी इजरायल के साथ सर्घष में फंसा रहा इस बीच विद्रोहियों ने असद के शासन पर जोरदार हमला कर दिया. इस हमले में विद्रोही अलेप्पो, हामा और होम्स जैसे प्रमुख शहरों पर कब्जा करते हुए दामिश्क पर पहुंच गए. 

किसके हाथ होगी सीरिया की कमान?
विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-गोलानी, जिन्हें अब उनके असली नाम अहमद अल-शरा के नाम से जाना जाता है ने सत्ता हस्तांतरण के लिए तात्काल एक कमिटि बनाने की बात कही है. एक बयान में, अल-जलाली ने सीरियाई लोगों द्वारा चुने गए किसी भी नेतृत्व के साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की है. हालांकि इन प्रयासों के बावजूद, एचटीएस का इतिहास – अल-कायदा से जुडा हुआ रहा है.  ऐसे में शासन को लेकर इसकी क्षमता को लेकर संदेह देखने को मिल रहा है. 

Latest and Breaking News on NDTV

रूस को लगा है बड़ा झटका
असद का पतन मध्य पूर्व में रूसी प्रभाव के लिए एक बड़ा झटका है. 2015 में अपने हस्तक्षेप के बाद से, रूस शासन का सबसे दृढ़ समर्थक रहा है, जिसने टार्टस नौसैनिक सुविधा और लताकिया में हमीमिम एयरबेस जैसी रणनीतिक संपत्तियों को बनाए रखा है.  ये अड्डे भूमध्य सागर और अफ़्रीका में शक्ति संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं. हालांकि, रूस का सैन्य ध्यान वर्तमान में यूक्रेन में युद्ध पर केंद्रित है. सीरिया में नियंत्रण खोने से क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पैठों की सुरक्षा करने की मॉस्को की क्षमता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. 

Latest and Breaking News on NDTV

ईरान के कमजोर हो रहे हैं हालात
ईरान के लिए, असद का जाना एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. भौगोलिक तौर पर सीरिया पर नियंत्रण कमजोर होने के कारण उसे परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. ईरान को सीरिया लेबनान से जोड़ता है. यह नेटवर्क हथियारों के स्थानांतरण और क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण रहा है. इजराइल के साथ अपने हालिया संघर्ष और यमन और इराक में ईरान के प्रतिनिधियों के दबाव में हिजबुल्लाह के कमजोर होने के कारण, ईरान को झटके लगे हैं. अब उसे रणनीति बदलने पर विचार करना पड़ सकता है. 

Latest and Breaking News on NDTV

तुर्की की क्या भूमिका
असद के पतन में तुर्की की भूमिका अभी तक साफ नहीं हुई है.जबकि राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने लंबे समय से सीरियाई संघर्ष के राजनयिक समाधान की वकालत करते रहे थे. लेकिन असद ने उनके आह्वान को लगातार खारिज कर दिया था. तीस लाख से अधिक सीरियाई शरणार्थी तुर्की की में हैं. तुर्की उनकी घर वापसी चाहती है. 

इजराइल की क्या है रणनीतिक सोच
इज़राइल के लिए, असद शासन का पतन अवसर और जोखिम दोनों लेकर आया है. सीरिया में ईरान के प्रमुख सहयोगी के पतन से हिजबुल्लाह के साथ उसके कनेक्शन टूट गए हैं.  लेकिन एक प्रमुख शक्ति के रूप में एचटीएस का उदय नई अनिश्चितताओं को लेकर आया है. इजरायली सेना ईरान और हिजबुल्लाह द्वारा उन्नत हथियार हासिल करने के लिए अराजकता का फायदा उठाने से भी सावधान है.

ये भी पढ़ें-: 

इधर सीरिया के राष्ट्रपति असद भागे रूस, तो उधर अमेरिका ISIS पर बरसाने लगा बम


Source link

Leave A Reply

Your email address will not be published.