चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल हुआ नेपाल, नई दिल्ली को ओली ने फिर दी टेंशन
China Nepal vs India: नेपाल और चीन ने बहुप्रतीक्षित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) सहयोग मसौदा समझौते पर बुधवार को हस्ताक्षर किए. इस समझौते से बीआरआई परियोजनाओं के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है. इस समझौते पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की चीन की आधिकारिक यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए. चौथी बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के बाद ओली ने पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए भारत की जगह पहला विदेशी दौरा बीजिंग का करने का फैसला किया. प्रधानमंत्री ओली (KP Sharma Oli) ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी पोस्ट में कहा, ‘‘आज हमने बेल्ट एंड रोड सहयोग के मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए. चीन की मेरी आधिकारिक यात्रा समाप्त होने के साथ, मैं प्रधानमंत्री ली क्वींग के साथ द्विपक्षीय वार्ता, एनपीसी के अध्यक्ष झांग लेजी के साथ चर्चा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) के साथ अत्यंत उपयोगी बैठक से सम्मानित महसूस कर रहा हूं.” उन्होंने कहा कि बेल्ट एंड रोड सहयोग मसौदा समझौते के तहत नेपाल-चीन आर्थिक सहयोग और मजबूत होगा.
The Government of Nepal and the Government of the People’s Republic of China signed the Framework for Belt and Road Cooperation today. pic.twitter.com/6oTlDvTzIe
— MOFA of Nepal 🇳🇵 (@MofaNepal) December 4, 2024
प्रधानमंत्री सचिवालय के मुताबिक विदेश सचिव अमृत बहादुर राय और चीन के राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग के लियू सुशे ने बीआरआई मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर किए. काठमांडू पोस्ट अखबार के मुताबिक समझौते में चीनी पक्ष ने नेपाली पक्ष द्वारा प्रस्तावित ‘‘अनुदान” शब्द को हटा दिया और बीआरआई के तहत परियोजनाओं के लिए इसके स्थान पर ‘‘निवेश” शब्द रखने का सुझाव दिया. अखबार के मुताबिक नए नियमों और शर्तों की समीक्षा के बाद, अधिकारियों ने एक समाधान तलाशा और नेपाल में परियोजना निष्पादन के संबंध में ‘‘सहायता और तकनीकी मदद” वाक्यांश को शामिल करने का निर्णय लिया.
सात सालों से अटका था मामला
2017 में, नेपाल चीन की मेगा बेल्ट एंड रोड परियोजना का हिस्सा बनने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हो गया था. बीआईआई सड़कों, परिवहन गलियारों, हवाई अड्डों और रेल लाइनों का एक विशाल नेटवर्क है, जो चीन को एशिया, यूरोप और उससे आगे के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. हालांकि, उचित ढांचे की कमी के कारण पिछले सात वर्षों में इसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई है. काठमांडू को भी इस मुद्दे पर राजनीतिक सहमति पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा.
चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, हालांकि महत्वाकांक्षी है. मगर इसके चक्कर में कई देश कर्ज के जाल में फंस गए हैं. इसे अक्सर चीन की “ऋण कूटनीति” कहा जाता है, जिसमें चीन अर्थव्यवस्था के मामले में एक छोटे से देश को उधार देकर एक मेगा परियोजना बनाता है, और जब देश ऋण या ब्याज का भुगतान नहीं कर सकता है, तो बीजिंग या तो जीवन भर के लिए परियोजना को अपने कब्जे में ले लेता है या अपने विस्तारवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जमीन हथिया लेता है.
बीआरआई माने कर्ज का जाल
चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का अन्य देशों की संप्रभुता का उल्लंघन करने का इतिहास रहा है. नेपाल की सरकार और विपक्ष के कई नेता पहले से ही दबाव में चल रही अर्थव्यवस्था में बढ़ते कर्ज की चिंताओं से चिंतित हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री ओली की सरकार के भीतर भी, चीन की इस मेगा परियोजनाओं में संभावित जोखिमों पर भयंकर बहस चल रही है. नेपाल कांग्रेस, जो पीएम ओली की पार्टी की एक प्रमुख सहयोगी है, ने चीनी ऋण द्वारा वित्त पोषित किसी भी परियोजना का जोरदार विरोध किया है.
भोगने के बाद भी नेपाल फंसा
चीन ने नेपाल के दूसरे सबसे बड़े शहर पोखरा में हवाई अड्डा परियोजना के लिए 20 करोड़ डॉलर से अधिक का ऋण देकर वित्त पोषण किया था. भारत द्वारा गंभीर चिंताएं जताए जाने के बावजूद नेपाल इस परियोजना को आगे बढ़ा और पिछले साल हवाई अड्डा खोल दिया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की कमी के कारण हवाई अड्डे को नुकसान से जूझना पड़ा. काठमांडू से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित पोखरा वाणिज्यिक उड़ान से भारतीय सीमा से 20 मिनट से भी कम दूरी पर है. भारत को राष्ट्रीय सुरक्षा की मजबूरी में अपना हवाई क्षेत्र बंद करना पड़ा था, क्योंकि काठमांडू ने नई दिल्ली की चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया था कि चीन हवाई अड्डे का उपयोग अपने सैन्य विमानों और हेलीकॉप्टरों को तैनात करने के लिए कर सकता है.