आम लोगों के बाद अब IAS-IPS के नाम पर ठगी, SP की फर्जी आईडी बनाकर ऐंठे पैसे

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बेंगलुरु:

इन दिनों साइबर अपराधियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि अब वे सिर्फ आम नागरिक नहीं, बल्कि आईएएस (IAS) और आईपीएस (IPS) अधिकारी तक को अपने निशाने पर ले रहे हैं. ताजा मामला कर्नाटक के बेलगावी का है, जहां एसपी के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया गया और फिर लोगों से ठगी की गई.

अपराधियों ने बेलगावी के एसपी डॉ. भीमा शंकर गुलैड के नाम से एक फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाया. इस अकाउंट से अधिकारियों और आम लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा गया. भरोसा में लेने के बाद लोगों से पैसों की ठगी शुरू हुई. ठग मैसेज भेजते कि एसपी का ट्रांसफर हो गया है और वे अपने महंगे फर्नीचर सस्ते दामों पर बेच रहे हैं. जो भी लेना चाहे, वो तुरंत पैसे ट्रांसफर कर दे.

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जैसे ही एसपी डॉ. गुलैड को इस धोखाधड़ी का पता चला, उन्होंने तुरंत मामला दर्ज कराया. जांच के बाद पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से एक मध्य प्रदेश तो दूसरा राजस्थान का रहने वाला है.

पूछताछ में खुलासा हुआ कि इन अपराधियों ने सिर्फ एसपी डॉ. गुलैड ही नहीं, बल्कि कई अन्य IAS और IPS अधिकारियों के नाम से भी फर्जी अकाउंट बनाकर लोगों से ठगी की.

पुलिस अधिकारियों से ठगी के पुराने मामले
2015 में कर्नाटक के तत्कालीन डीजीपी ओम प्रकाश से 10 हजार रुपये ठग लिए गए थे, जबकि पूर्व डीजीपी शंकर बिदरी के अकाउंट से 89 हजार रुपये निकाले गए थे.

व्हाट्सएप फ्रॉड की नई चाल
अब साइबर अपराधियों ने व्हाट्सएप का सहारा लिया है. बड़े और धनवान लोगों को निशाना बनाते हुए उनसे पैसे वसूले जा रहे हैं. सिर्फ बेंगलुरु शहर में इस साल अगस्त तक लगभग 1,200 करोड़ रुपये की साइबर ठगी दर्ज की गई है. अब तक 12,356 मामले सामने आए हैं, लेकिन पुलिस केवल 111 करोड़ रुपये (8.9%) ही रिकवर ही कर पाई है.

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साइबर क्राइम से निपटने की नई रणनीति
साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने गृह मंत्रालय को इस विभाग की जिम्मेदारी DGP रैंक के अधिकारी को सौंपने की मंजूरी दी है. अब जल्द ही CEN (Cyber Economics and Narcotics) विंग को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा. इसमें DGP की मदद के लिए एक एडीजीपी रैंक के अधिकारी के साथ-साथ 7 एसपी रैंक के अधिकारी भी होंगे.

सुरक्षा के लिए सतर्कता बेहद जरूरी
इस पूरे मामले ने साफ कर दिया है कि डिजिटल दुनिया में सतर्कता बेहद जरूरी है. सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि हो तो तुरंत पुलिस को सूचित करें. ठगों के मंसूबे तभी नाकाम होंगे, जब सब मिलकर जागरूक और सतर्क रहेंगे.



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