बाइडेन और हैरिस ने ट्रंप को दी जीत की बधाई, कनाडा के पीएम ट्रडो क्यों चिंतित? जानिए क्या बोले

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US Election Analysis: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (joe Biden) और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (Kamala Harris) ने आखिरकार चुनाव में हार मान ली. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) को फोन करके 2024 का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए उन्होंने बधाई दी है. एएफपी के अनुसार, जो बाइडेन ट्रंप को फोन किया और जीत की बधाई दी. साथ ही आश्वासन दिया कि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण ढंग से होगा. बाइडेन ने जल्द ट्रंप से व्हाइट हाउस में मिलने की उम्मीद जताई और देश के लिए साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई. इससे पहले कमला हैरिस ने डोनाल्ड ट्रंप के साथ सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण पर बात की. साथ ही उन्हें सभी अमेरिकियों के लिए राष्ट्रपति होने के महत्व पर चर्चा की.  साथ ही साथ बराक ओबामा ने भी ट्रंप को बधाई दे दी है. जाहिर है अब अमेरिका में सभी ने मान लिया है कि डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीत चुके हैं. वो 7 जनवरी को शपथ लेंगे.

हार के बाद कमला हैरिस बोलीं…

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इसके कुछ घंटों बाद कमला हैरिस ने सार्वजनिक रूप से आकर अपने समर्थकों से कहा कि हमें अमेरिकी चुनाव के नतीजों को स्वीकार करना चाहिए. साथ ही व्हाइट हाउस में वापस आने पर डोनाल्ड ट्रंप की मदद करने का वादा किया. हैरिस ने वाशिंगटन में हॉवर्ड विश्वविद्यालय में एक रियायती भाषण में समर्थकों से कहा, “हमें इस चुनाव के परिणामों को स्वीकार करना चाहिए, आज पहले, मैंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप से बात की और उन्हें उनकी जीत पर बधाई दी. मैंने उनसे यह भी कहा कि हम उन्हें और उनकी टीम को सत्ता हस्तांतरण में मदद करेंगे और हम सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण में शामिल होंगे.” कमला हैरिस ने अपनी हार स्वीकार करते हुए अपने समर्थकों से “लड़ाई जारी रखने” का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इस चुनाव का परिणाम वह नहीं है, जो हम चाहते थे, वह नहीं जिसके लिए हम लड़े, वह नहीं जिसके लिए हमने वोट दिया, लेकिन जब मैं कहती हूं कि अमेरिका का भविष्य तब तक उज्ज्वल रहेगा जब तक हम हार नहीं मानते और जब तक हम लड़ते रहते हैं. पूरा भाषण यहां पढ़ें

कनाडा चिंतित क्यों?

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हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप की जीत से दुनिया के कई देशों में हलचल है और इसमें कनाडा भी शामिल है. कनाडा के हलचल का अंदाजा उसके पीएम जस्टिन ट्रूडो और डिप्टी पीएम क्रिस्टिया फ़्रीलैंड के बयानों से आसानी से लग सकता है.  ये दोनों बुधवार को अपने देश को आश्वस्त करने की कोशिश में लगे रहे कि व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से उस पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा. प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने ओटावा में संवाददाताओं से कहा, “हम इसके लिए तैयारी कर रहे थे. हम यह सुनिश्चित करने जा रहे हैं कि कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच यह असाधारण दोस्ती और गठबंधन का फायदा सिर्फ कनाडा ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी हो.”

कनाडा ने ट्रंप पर क्या कहा?

कनाडाई अधिकारियों ने मंगलवार के चुनाव में ट्रंप को उनकी निर्णायक और ऐतिहासिक जीत की बधाई तो दी, लेकिन इस बात पर चिंता व्यक्त की गई है कि जलवायु, व्यापार, सुरक्षा और आप्रवासन पर रिपब्लिकन की नीतियां कनाडा को प्रभावित कर सकती हैं. उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ़्रीलैंड ने पत्रकारों से कहा, “मुझे पता है कि बहुत सारे कनाडाई चिंतित हैं और मैं कनाडावासियों से पूरी ईमानदारी और दृढ़ विश्वास के साथ कहना चाहती हूं कि कनाडा बिल्कुल ठीक होगा. संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हमारे मजबूत संबंध हैं. राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी टीम के साथ हमारे मजबूत संबंध हैं.”

कनाडा का ट्रंप क्या करेंगे?

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Photo Credit: AFP

ट्रंप नाटो में कनाडा के कम खर्च करने और कनाडा, अमेरिका और मैक्सिको के बीच एक महाद्वीपीय मुक्त व्यापार समझौते को लेकर आक्रामक हैं और ये दोनों देशों के संबंधों को बहुत ज्यादा प्रभावित आने वाले समय में कर सकता है. ट्रंप ने 2019 में यूएसएमसीए समझौते पर हस्ताक्षर किए और यह अगले वर्ष लागू हो गया, लेकिन यह जल्द ही समीक्षा के लिए आएगा. कारण ये है कि ट्रंप ने संयुक्त राज्य अमेरिका में आयातित सभी वस्तुओं पर नए टैरिफ लगाने का वादा किया है.  कनाडा संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए सबसे बड़े निर्यात बाजारों में से एक है. इसे लेकर फ्रीलैंड ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार अमेरिकी श्रमिकों के लिए अच्छा है. जाहिर है ट्रंप फ्रीलैंड की राय सुनकर खुश तो नहीं होंगे. पत्रकारों से अलग से बात करते हुए, कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि नाटो के लिए कनाडा अपने जीडीपी के दो प्रतिशत के रक्षा बजट को तीन गुना करने की योजना बना रहा है. कनाडा वर्तमान में रक्षा पर जीडीपी का लगभग 1.37 प्रतिशत खर्च करता है. जोली ने अपने यूक्रेनी समकक्ष से बात करने के बाद कहा कि कनाडा का लक्ष्य नाटो गठबंधन को मजबूत करना है और वह यूक्रेन में शांति और स्थिरता की उम्मीद करता है.हालांकि, ट्रंप ने यूक्रेन को दी जा रही मदद को बंद करने की घोषणा चुनाव के दौरान पहले ही कर रखी है.

भारत से कनाडा लड़ पाएगा?

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हालांकि, ट्रूडो और कनाडा की चिंता सिर्फ इन्हीं बातों को लेकर नहीं है. ट्रंप लगातार पीएम मोदी के संपर्क में हैं और उन्हें व भारत को अपना दोस्त बता रहे हैं. पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की फोन पर बात भी हो चुकी है. ट्रंप अमेरिका पर फोकस करना चाहते हैं और पहले भी उनके ट्रूडो से बहुत अच्छे संबंध नहीं रहे हैं. अब ऐसे में भारत पर झूठे आरोप लगाना ट्रूडो के लिए मुश्किल हो जाएगा. कारण ये है कि डोनाल्ड ट्रंप कनाडा के इस खेल में खुद को शामिल करना पसंद नहीं करेंगे और खुद कनाडा के लिए अकेले भारत से निपटना असंभव है. वहीं 2025 में कनाडा में भी चुनाव होने हैं. ऐसे में ट्रडो और कनाडा के नेताओं को भारत विरोध करना अंतरराष्ट्रीय स्तर पाकिस्तान की तरह अलग-थलग कर सकता है. कारण अमेरिका ट्रूडो के खालिस्तान राग को ट्रंप के रहते समर्थन करेगा नहीं और रूस कनाडा को छोड़ेगा नहीं. क्योंकि अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा सबसे ज्यादा कनाडा ही यूक्रेन के सपोर्ट में कूद रहा था. 

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