अखिलेश यादव की काट में BJP का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा बदल देगा सभी चुनावी समीकरण, विस्तार से समझिए 

0 3


नई दिल्ली:

“बंटेगें तो कटेंगे” यूपी के उपचुनाव मे ये नारा अब चल पड़ा है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का ये नारा हरियाणा चुनाव में काम आया.पीएम नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में इसका समर्थन किया. अब तो RSS भी इस मुद्दे पर साथ है.यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 अगस्त को ऐसा कहा था.बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले को लेकर उन्होंने ये नारा दिया था. हालांकि, इस चुनावी माहौल में अब ये बीजेपी का बीज मंत्र सा बन गया है.जिसकी पहली परीक्षा यूपी के उप चुनाव से लेकर महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में होने वाली है. 

Latest and Breaking News on NDTV

इन सब के बीच, मथुरा में RSS के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक हुई. संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत देश भर के RSS के बड़े प्रचारक इसमें शामिल हुए. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मथुरा जाकर संघ प्रमुख भागवत से मिले. बैठक के आख़िरी दिन संघ में नंबर दो दत्तात्रेय होसबाले ने सीएम योगी के नारे बंटेंगे तो कटेंगे का समर्थन कर दिया. उन्होंने कहा कि इस नारे से एकता का भाव मिलता है. वहीं, सूत्र बताते हैं कि संघ के इस आशीर्वाद से मुख्यमंत्री योगी गदगद हैं. लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद से ही उन पर सवाल उठने लगे थे. 

बंटेंगे तो घटेंगे – यूपी में बीजेपी का वोटिंग पैटर्न – 2019 से 2024 में अंतर        

2019 लोकसभा  2024 लोकसभा       अंतर 
यादव  24%   15% -9%  
कोइरी-कुर्मी 80%   61%  -19%
अन्य ओबीसी   74%   59% -15%
जाटव 17% 24% +7%
अन्य एससी   49% 29% -20 %

(सोर्स- CSDC लोकनीति) 

(वोट बंटा तो बीजेपी 2019 में 62 के मुकाबले 2024 में 33 पर रह गई. वहीं सपा की सीटें 2019 के मुकाबले 5 से बढ़कर 37 हो गई.)

बंटेंगे तो कटेंगे का नारा अब इतना फेमस हो गया है कि इसपर पर गाने भी बनने लगे हैं.  बीजेपी कैंप के कन्हैया मित्तल ने तो इसपर झटपट एक म्यूज़िक वीडियो भी तैयार कर लिया है. अब बात अगर विपक्षी की करें तो वो भी इस नारे का काट ढूंढ़ने में लगा है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते हैं कि बीजेपी के लैब में ये नारा बना है. रिसर्च के बाद इसे तैयार किया गया. फिर तय हुआ कि किस नेता को ये दिया जाए. तो यूपी के मुख्यमंत्री के नाम पर ये नारा हो गया. शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत कहते हैं. ये लोग महाराष्ट्र में दंगा कराना चाहते हैं. पर ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. यहाँ न कोई कटेगा और न कोई बंटेगा, ये महाराष्ट्र है. मुंबई की सड़कों पर भी बंटेंगे तो कटेंगे के होर्डिंग बैनर लग गए हैं. 

Latest and Breaking News on NDTV

अब इस नारे के पीछे की राजनीति और उससे जुड़ी रणनीति को समझिए. लोकसभा चुनाव में यूपी में हीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद बंटेंगे तो कटेंगे के नारे की ज़रूरत पड़ी है. विपक्ष के सोशल इंजीनियरिंग को हिंदुत्व से काटने का फ़ार्मूला बना है. पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने ग़ैर यादव OBC, ग़ैर जाटव दलित और सवर्ण जाति के वोटरों को जोड़ कर नया सामाजिक समीकरण बनाया था. इसके दम पर बीजेपी लगातार चार चुनाव जीत चुकी है. 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव और साल 2017 और 2022 का यूपी चुनाव. पर पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के सामाजिक समीकरण को ध्वस्त कर दिया. OBC के वोटों का बंटवारा हो गया. बीजेपी की कोशिश नए नारे के बहाने इस बिखराव को रोकने की है. इसीलिए हिंदुत्व की आँच तेज की जा रही है. 

Latest and Breaking News on NDTV

बात उन दिनों की है. जब अयोध्या के राम मंदिर का आंदोलन शिखर पर था. साल 1993 के यूपी चुनाव के लिए मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने तालमेल कर लिया था. समाजवादी पार्टी और बीएसपी में पहली बार गठबंधन हुआ था. सामने कल्याण सिंह जैसे दमदार पिछड़े वर्ग के नेता थे. अयोध्या में विवादित ढाँचा गिरने के बाद हर तरफ़ राम नाम की लहर थी. पर सरकार मुलायम सिंह की बनी. जातियों के समीकरण ने हिंदुत्व के ज्वार को रोक दिया. बंटेंगे तो कटेंगे वाला फ़ार्मूला PDA की काट बन सकता है !



Source link

Leave A Reply

Your email address will not be published.