यूपी में अखिलेश यादव के साथ राहुल गांधी क्या करने वाले हैं, समझिए कैसे बदल रहा समीकरण 

0 1

UP By Election 2024: राजनीति में जैसा दिखता है वैसा ही हो जाए कोई ज़रूरी नहीं. कई बार तो जो हो रहा होता हो वैसा क़तई दिखता नहीं है. अब अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के एक साथ हाथ उठाने वाली फ़ोटो को ही ले लीजिए. जिसे आज सबेरे अखिलेश ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. ये तस्वीर के बहाने ये बताने की कोशिश है कि हम साथ-साथ हैं. मतलब यूपी के उप चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक साथ हैं. राजनीति की एक तासीर ये भी है कि वक्त और हालात सब कराता है. बाक़ी बातें सब बेकार हैं.

प्रयागराज ऐसे आया हाथ 

Latest and Breaking News on NDTV

कुछ ही महीनों पहले की तो बात है. लोकसभा का चुनाव चल रहा था. गठबंधन में प्रयागराज की सीट समाजवादी पार्टी (SP) ने कांग्रेस (Congress) के लिए छोड़ दी. पर कांग्रेस से कौन लड़े ! पार्टी के पास अपना कोई मज़बूत उम्मीदवार नहीं था. प्रयागराज बीजेपी के लिए मज़बूत सीट थी. किसे टिकट दिया जाए? कांग्रेस नेतृत्व को समझ नहीं आ रहा था. फिर किसी ने उज्ज्वल रमण सिंह का नाम सुझाया. पर वे तो समाजवादी पार्टी में थे. उनके पिता रेवती रमण सिंह मुलायम सिंह के करीबी साथी रहे. केंद्र में मंत्री रहे. कई बार सांसद रहे. उज्ज्वल रमण सिंह भी समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री रह चुके थे. कांग्रेस के नेताओं ने अखिलेश यादव से बात की. अखिलेश ने उज्ज्वल रमण को लखनऊ बुलाया. उन्हें कांग्रेस से चुनाव लड़ने को कहा. फिर अखिलेश ने राहुल गांधी से बात की. समाजवादी पार्टी में रहे उज्ज्वल रमण सिंह प्रयागराज से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े. राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने साथ मिलकर उनके लिए प्रचार किया. उज्ज्वल रमण सिंह चुनाव जीत गए. राहुल और अखिलेश की दोस्ती ने बीजेपी से प्रयागराज सीट छीन ली. 

Latest and Breaking News on NDTV

कहने को तो राहुल गांधी और अखिलेश यादव अब भी साथ-साथ हैं. पर वक्त और हालात बदल गए हैं. समाजवादी पार्टी अकेले ही यूपी की सभी नौ सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने तो पांच सीटों पर चुनाव लड़ने का माहौल बनाया था. उसी हिसाब से समाजवादी पार्टी के आसपास दबाव वाली रणनीति का चक्रव्यूह बना. उप चुनाव वाली विधानसभा की सभी दस सीटों पर संविधान सभा करने का फ़ैसला हुआ. कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सभी जगहों पर गए. लोकसभा में छह सीटें जीतने वाली कांग्रेस के नेताओं का जोश हाई था. नैरेटिव गढ़ा गया कि यूपी में मुस्लिम और दलित वोटरों की पहली पसंद समाजवादी पार्टी नहीं कांग्रेस है. सवर्ण जाति के वोटर समाजवादी पार्टी के साथ नहीं जा सकते पर कांग्रेस से उनका बैर नहीं है. इस गुना गणित के आधार पर कांग्रेस ने पांच सीटों की डिमांड कर दी. तर्क ये रहा कि जिन सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दल जीते थे, उन पर कांग्रेस को लड़ना है. पार्टी ने लिखित रूप से अखिलेश यादव को अपनी डिमांड भेज दी. ये बात 17 अगस्त की है. 

हरियाणा चुनाव ने बदला खेल

Latest and Breaking News on NDTV

कांग्रेस नेताओं ने आपस में ही सीटों का बंटवारा कर लिया. मुज़फ़्फ़रनगर की मीरापुर सीट पर इमरान मसूद की नज़र पड़ गई. सहारनपुर से कांग्रेस के सांसद मसूद अपने किसी करीबी के लिए टिकट चाहते थे. मिर्ज़ापुर की मंझवा सीट यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय मांग रहे थे. वे यहां से अपने बेटे को लड़ाने की जुगाड़ में थे. फूलपुर सीट तो प्रियंका गांधी ने अखिलेश यादवों से ही मांग ली. सूत्र बताते हैं कि वे अपने किसी करीबी को यहां से टिकट देना चाहती थीं. समाजवादी पार्टी के कान तब खड़े हुए जब कांग्रेस ने मिल्कीपुर सीट तक की डिमांड कर दी. जबकि इस सीट पर पिछली बार फ़ैज़ाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद जीते थे. कांग्रेस कैंप का हाल ये रहा कि जितने मुंह उतनी बातें. इसी दौरान हरियाणा चुनाव के नतीजे आ गए. बस यही से कहानी में ट्विस्ट आ गया. 

अखिलेश ने फिर चला दांव

Latest and Breaking News on NDTV

हरियाणा में कांग्रेस जीतते जीतते चुनाव हार गई. नतीजे आने के ठीक अगले ही दिन अखिलेश यादव ने छह उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. वो भी कांग्रेस को भरोसे में लिए बिना. पर हरियाणा हारने के बाद कांग्रेस ने “ख़ामोश” रहना ही बेहतर समझा.पर अखिलेश यादव के मन में कुछ और ही चल रहा था. उनकी स्क्रिप्ट तैयार थी.वे जानते हैं कि कांग्रेस बढ़ी तो नुक़सान सिर्फ़ उनका है.हालांकि,गठबंधन के गड़बड़ होने का ठीकरा अखिलेश अपने सर लेने के मूड में नहीं थे. उन्होंने कांग्रेस को हर दांव खेलने देने की तैयारी कर ली थी. 

खैर-गाजियाबाद इसलिए दी

कांग्रेस यूपी में अखिलेश यादव का तोड़ ढूंढने में जुटी थी.इसी दौरान अखिलेश ने अपना फ़ोकस बदल लिया.वे दो दिनों के दौरे पर महाराष्ट्र पहुंच गए.वहां जाकर पांच सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी.इनमें वो दो सीटें भी हैं जहां पिछली बार ओवैसी की पार्टी चुनाव जीत गई थी.मतलब अखिलेश ये दिखाना और बताना चाहते हैं कि मुस्लिम वोटों का बंटवारा वे रोक सकते हैं.कांग्रेस पर अखिलेश यादव का ये प्रेशर पॉलिटिक्स वाला दांव था.वहां से लखनऊ लौट कर उन्होंने मुज़फ़्फ़रनगर की मीरापुर सीट पर टिकट फ़ाइनल कर दिया.उन्होंने कांग्रेस के लिए दोनों ऐसी सीटें छोड़ी जहां समाजवादी पार्टी के जीतने की संभावना ज़ीरो थी. अलीगढ़ की खैर और ग़ाज़ियाबाद सीट कांग्रेस के खाते में डाल दी गई. 

राहुल गांधी ने फिर मानी हार

Latest and Breaking News on NDTV

अखिलेश यादव ने हरियाणा से सबक़ लेते हुए कांग्रेस के लिए बचने की गुंजाइश नहीं छोड़ी.समाजवादी पार्टी सात सीटों पर अपने उम्मीदवार पहले ही तय कर चुकी थी.अखिलेश से जब भी सीटों के गठबंधन पर पत्रकारों ने पूछा जवाब बस एक ही आया.हमारा गठबंधन अटूट है और हम मिल कर बीजेपी को हरायेंगे. वादा और इरादा तो अखिलेश का यही रहा.पर उनके मन में प्लान लगातार चलता रहा.बीच में राहुल गांधी का फ़ोन आया.अखिलेश झट से फूलपुर सीट देने को तैयार हो गए. पर कुछ ही घंटों बाद समाजवादी पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार से नामांकन करा दिया.आख़िर में राहुल गांधी का फ़ोन आया. फिर ये तय हुआ कि कांग्रेस इस बार उप चुनाव नहीं लड़ेगी.कांग्रेस ने भी दिल्ली में प्रेस कान्फ़्रेंस कर कहा कि संविधान और आरक्षण बचाने के लिए हम साथ हैं.साथ रहेंगे. ये साथ साथ रहने और दिखने की राजनीति भी पानी और तेल के मिलने जैसी ही है.

यूपी उपचुनाव : बसपा ने आठ प्रत्‍याशियों के नाम का किया ऐलान, जानें किसे कहां से मिला टिकट

समाजवादी पार्टी ने 2 और प्रत्याशियों की घोषणा की, खैर विधानसभा सीट पर चारु केन को बनाया गया प्रत्याशी


Source link

Leave A Reply

Your email address will not be published.