इंडिया ब्लॉक मोदी से क्या सीख सकता है?

0 17

स्थान : छत्तीसगढ़, महासमुंद जिले का गांव. विधानसभा के 2023 के चुनाव हो चुके हैं. नतीजे भी आ चुके हैं. महासमुंद के एक गांव में मेरी मुलाकात गांव की महिला रंजनी से हुई. जिनके मार्फत मिला था उनके संग रंजनी खुलकर बीते चुनावों पर बात कर रहीं थीं. बातों ही बातों में उन्होंने वो कह दिया जिसकी बात तो होती लेकिन उसका मर्म कई बार चुनावी पंडित भी नहीं पकड़ पाते. मेरा सवाल था आपने मोदी को वोट क्यों दिया? वहां से जवाब आया ” उसके बनाए घर में रहती हूं, उसको वोट क्यों न दें.” 

मेरा दूसरा सवाल था तो ये काम तो दूसरे भी कर रहे हैं, दूसरे दल भी तो बता रहे हैं कि वे क्या-क्या कर सकते हैं. महिला का जवाब था ” पता नहीं भैया उन सब पर यकीन नहीं होता, हमको कई बार लगता है मोदी जी आएंगे तो सब ठीक हो जाएगा.”

ऐसा नहीं है कि मोदी की अपील नई है. दूरदराज के इलाकों में जब आप जाते हैं तो आपको पता लगता है कि मोदी की अपील अब एक इमोशन भी है, खासकर के गरीबों के लिए. घर सरकारें पहले भी देती रहीं हैं लेकिन मोदी ने दिया है ये अहसास उन्हें सफलतापूर्वक करवाया गया है.

पिछले 10 साल में बीजेपी और खासकर मोदी का पूरा फोकस गरीब कल्याण रहा है. वे इस इमेज को बनाने में कामयाब हुए हैं कि गरीब का कल्याण सिर्फ वही कर सकते हैं. ठीक वैसे ही जैसे एक वक्त में कभी इंदिरा गांधी गरीबी हटाओ का नारा दे रहीं थीं. और जनता उस नारे पर हर चुनाव में यकीन कर रही थी. 

बीजेपी ने खुद को ब्राह्मण बनिया के टैग से मुक्त किया

ऐसा नहीं हैं कि ये सब अचानक हो गया है. इस यकीन को जनता के बीच ले जाने के पहले रणनीतिक तौर पर बीजेपी ने खुद को ब्राह्मण बनिया के टैग से मुक्त किया है. प्रधानमंत्री मोदी जी की कई साल पहले महाराष्ट्र के कुछ प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात हुई, उस मुलाकात में एक सवाल किया गया कि बीजेपी का परसेप्शन सिर्फ अगड़े लोगों की पार्टी का हैं. उन्होंने तब कहा था कि पार्टी आने वाले दौर में सब बदल देगी. ये बीजेपी ने करके भी दिखाया है. उसकी सोशल इंजीनियरिंग सिर्फ ऊपरी मामला नहीं है. 

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में मेरी मुलाकात मुकेश यादव से हुई. मुकेश ने लंबे अरसे से बीजेपी का दामन थाम रखा है. मेरा सवाल था कि ऐसा क्या है कि उन्हें कांग्रेस पर यकीन नहीं है और बीजेपी पर है, जबकि योजनाएं तो दोनों की अब तकरीबन एक जैसी हैं. उनका जवाब भी टीकमगढ़ से सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठी महासमुंद की महिला रंजनी जैसा ही था, लेकिन उन्होंने एक और बात जोड़ दी- “कांग्रेस आई तो ठाकुरों की बहुत चलेगी. अभी तो सबकी चल रही है.”

घर, जल, शौचालय… गरीब की जिंदगी बदल रहे

मौजूदा दौर में विपक्ष गरीब के बीच अपनी अपील ले जाने की बजाय इसमें ताकत लगा रहा है कि मोदी बड़े उद्योगपतियों के दोस्त हैं. विपक्ष के भाषण में इसको लेकर एक तबके की तालियां जरूर मिल जाएंगी लेकिन उससे वोट नहीं मिलने वाले. वोट के लिए तो ग्राउंड पर जाकर यकीन दिलाना होगा कि विपक्ष जो कह रहा है वह उसमें यकीन भी करता है. गरीब कल्याण की काट ये नहीं हो सकती कि फलां नेता उद्योगपतियों के साथ है. 

घर, जल, शौचालय.. ये गरीब की जिंदगी बदल रहे हैं. मोदी और उनकी टीम ये बता रही है कि ये सब उनकी वजह से हो रहा है. गरीब जो महसूस कर रहा है विपक्ष उसके उलट उसको कुछ और बता रहा है. यही वजह है कि दिल्ली-मुंबई में जो लोग विपक्ष के भाषणों पर लाइक दे रहे हैं वे चुनावी नतीजों को लेकर हैरान होते हैं. 

मुफ्त की सलाह वैसे तो किसी काम की नहीं होती लेकिन फिर भी देने का साहस कर रहा हूं : विपक्ष को पहले अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने वाले कार्यक्रम लाने होंगे.

(अभिषेक शर्मा एनडीटीवी इंडिया के मुंबई के संपादक रहे हैं. वे आपातकाल के बाद की राजनीतिक लामबंदी पर लगातार लेखन करते रहे हैं. )

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

Source link

Leave A Reply

Your email address will not be published.