सुब्रत रॉय के निधन के बाद SEBI के अकाउंट में पड़े सहारा के 25000 करोड़ रुपये का क्या होगा?

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कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 2011 में सहारा ग्रुप की दो कंपनियों ‘सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (SIREL) और ‘सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (SHICL) को वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय बांड-optionally fully convertible debentures या (ओएफसीडी) के रूप में पहचाने जाने वाले कुछ बॉन्ड्स के जरिए करीब 3 करोड़ निवेशकों से जुटाई गए रकम को वापस करने का आदेश दिया था.

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सरकारी सूत्रों ने कहा कि सेबी के लिए इन्वेस्टर्स को रकम ट्रांसफर करना बहुत जल्दबाजी होगी, क्योंकि सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए ट्रांसफर की प्रक्रिया अभी भी चल रही है. 

2.5 लाख इन्वेस्टर्स को हुआ रिफंड

एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने NDTV को बताया, “हम 2.5 लाख इन्वेस्टर्स को लगभग 230 करोड़ रुपये का रिफंड करने में कामयाब रहे हैं. नए रजिस्ट्रेशन अभी भी हो रहे हैं. इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि सेबी से रकम भारत की संचित निधि में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.” 

अमित शाह ने लॉन्च किया था रिफंड पोर्टल

केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने पिछले साल जुलाई में सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च किया था. इसके वेरिफाई होने के बाद रजिस्ट्रेशन के 45 दिनों के भीतर सेबी में पड़े फंड से सरकार पैसे ट्रांसफर कर रही है.

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सुब्रत रॉय के सामने साल 2012 में आर्थिक समस्याएं आई थीं, जब सुप्रीम कोर्ट ने सेबी के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प को अपने निवेशकों को ब्याज के साथ रिफंड करने का निर्देश दिया गया था. तब कोर्ट ने सहारा ग्रुप की दोनों कंपनियों को सेबी के पास 25000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था.

को-ऑपरेटिव सोसाइटी के जरिए ​​जुटाए थे ​​80,000 करोड़ रुपये

सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया, “अदालत ने इन कंपनियों को सेबी के पास पैसा जमा करने के लिए कहा था. लेकिन चूंकि उनके पास कैश नहीं थे, इसलिए उन्होंने चार को-ऑपरेटिव सोसाइटी के जरिए ​​80,000 करोड़ रुपये जुटाए थे. इसमें से ​​25000 करोड़ रुपये सेबी और सहारा समूह को ट्रांसफर किए गए थे. बाकी की रकम एम्बी वैली सिटी में इन्वेस्ट की गई थी.”

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रिटेल इन्वेस्टर्स ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

सरकार ने दावा किया कि जब को-ऑपरेटिव सोसाइटियों में रकम जमा करने वाले रिटेल इन्वेस्टर्स अपना पैसा वापस चाहते थे, तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अदालत के आदेश के तहत शुरुआत में सेबी से ​​5,000 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए. इससे इंवेस्टर्स को सहारा रिफंड पोर्टल के जरिए पैसा मिलना शुरू हुआ. एक अधिकारी के मुताबिक, अगर आगे जरूरत पड़ी, तो सरकार सेबी से रिफंड पोर्टल पर और पैसे ट्रांसफर करने के लिए कहेगी.

अधिकारी के मुताबिक, “यह एक ऑटोमेटेड (स्वचालित), स्ट्रिमलाइंड (सुव्यवस्थित) और स्ट्रक्टर्ड (संरचित) प्रक्रिया है. फिलहाल ये प्रक्रिया अभी जारी है. एक बार प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद ही फंड के CFI (भारत की संचित निधि ) को ट्रांसफर करने की वैधता की जांच की जा सकती है.” 

2.76 करोड़ डिपॉजिटर्स ने किया था इन्वेस्ट

उन्होंने बताया कि चार को-ऑपरेटिव सोसाइटियों में 2.76 करोड़ डिपॉजिटर्स ने इन्वेस्ट किया था. उनमें से 97 फीसदी रिटेल इन्वेस्टर्स थे, जिन्होंने 40,000 रुपये से कम जमा किया था.

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ज्यादातर इन्वेस्टर्स उत्तर प्रदेश और बिहार से

सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि ज्यादातर इन्वेस्टर्स उत्तर प्रदेश और बिहार से थे. यूपी के करीब 85 लाख इन्वेस्टर्स ने 2,200 करोड़ रुपये और बिहार के 55 लाख इन्वेस्टर्स ने 1,500 करोड़ रुपये जमा किये थे.

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