हलाल प्रमाणीकरण वाले खाद्य उत्पादन, वितरण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध, मामला दर्ज
लखनऊ के ऐशबाग में मोतीझील कॉलोनी के निवासी शैलेंद्र कुमार शर्मा की शिकायत पर शुक्रवार को हजरतगंज थाने में यह मामला दर्ज किया गया.
बयान के अनुसार, यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र का अपराध), 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता को बढ़ावा देने), 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करने के इरादे से शब्द आदि कहना), 384 (फिरौती), 420 (धोखाधड़ी), 471 (फर्जी दस्तावेज को असली जैसा उपयोग करना) और 505 (लोगों को बेवकूफ बनाने वाले बयान) के तहत दर्ज किया गया.
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बयान में कहा कि चेन्नई स्थित हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, दिल्ली स्थित जमीयत उलमा हिन्द हलाल ट्रस्ट, मुंबई स्थित हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया, मुंबई स्थित जमीयत उलमा महाराष्ट्र के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.
प्राथमिकी के हवाले से कहा गया कि ये कंपनियां और संगठन न केवल वित्तीय लाभ के लिए बल्कि सामाजिक वैमनस्यता बढ़ाते हुए फर्जी प्रमाण पत्र तैयार कर रहे हैं और हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं.
इस बीच, जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने आरोपों को ‘निराधार’ बताया. उसने एक बयान में कहा कि वह ‘इस तरह की गलत सूचना का मुकाबला करने के लिए आवश्यक कानूनी उपाय करेगा.”
जमीयत उलमा हिंद हलाल ट्रस्ट के नियाज अहमद फारुखी ने शनिवार को एक बयान में कहा, ” हमारी छवि खराब करने के उद्देश्य से लगाए गए निराधार आरोपों के जवाब में, जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ऐसी गलत सूचनाओं के खिलाफ आवश्यक कानूनी कदम उठाएगा. हलाल प्रमाणन से जुड़ी गलतफहमियों को दूर करना महत्वपूर्ण है.”
बयान में यह भी कहा गया ,‘‘जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट में प्रमाणन प्रक्रिया भारत में निर्यात के उद्देश्यों और घरेलू वितरण दोनों के लिए निर्माताओं की आवश्यकताओं के अनुरूप है. हलाल प्रमाणित उत्पादों की वैश्विक मांग मजबूत है और भारतीय कंपनियों के लिए ऐसा प्रमाणन प्राप्त करना अनिवार्य है, यह तथ्य हमारे वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भी निर्दिष्ट है.”
उसमें कहा गया है, ‘‘ यह व्यक्तियों और निर्माताओं की पसंद का भी मामला है जो प्रमाणन प्राधिकारियों द्वारा प्राप्त प्रमाण-पत्रों के आधार पर अपनी संतुष्टि के लिए इस प्रकार के प्रमाणन को प्राथमिकता देते हैं. यह बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को उन उत्पादों का उपयोग करने से बचाता है जो वे कई कारणों से नहीं चाहते हैं इसलिये यह प्रमाणन बाजार में आवश्यकता आधारित उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है.”
संगठन ने कहा कि जो लोग ऐसे उत्पादों का उपयोग नहीं करना चाहते, वे इनका उपयोग न करने के लिए स्वतंत्र हैं.
उसने कहा, ‘‘हलाल प्रमाणीकरण हमारे देश को लाभ पहुंचाने वाली एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है. यह न केवल आयात करने वाले देशों के लिए बल्कि भारत आने वाले पर्यटकों के लिए भी एक आवश्यकता है, विशेष रूप से उनके प्रवास के दौरान हलाल प्रमाणित उत्पादों की तलाश करने वालों के लिए, जैसा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ( दिनांक छह अप्रैल 2023) द्वारा रेखांकित किया गया है.”
इस बीच भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि ”हलाल काउंसिल आफ इंडिया जो हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रही है, वह पूरी तरह अवैधानिक है, गैर कानूनी है और इसके खिलाफ कई मुकदमे भी दर्ज हुए हैं.”
उन्होंने कहा, ”सरकारी संस्थाओं ने याचिका भी दायर की है. खाद्य वस्तुओं को लेकर प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार केवल खाद्य सुरक्षा प्रमाणन प्राधिकरण को है, जो खाद्य वस्तुओं को लेकर प्रमाण पत्र जारी करता है, ऐसे में यह जो संस्था हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रही है, वह पूरी तरह आपत्तिजनक है, इसके खिलाफ त्वरित कार्रवाई भी होनी चाहिए और मैं मांग करता हूं कि तत्काल इसे प्रतिबंधित कर इनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.”
भाजपा नेता ने कहा कि ”समानांतर व्यवस्था बनाकर जो लोग बड़ा रैकेट चला रहे थे, अब सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है और उनका पर्दाफाश होगा.”
वहीं, शिकायतकर्ता ने कहा है कि जिन अन्य कंपनियों के पास हलाल प्रमाण पत्र नहीं हैं, उनके उत्पादों की बिक्री घटाने के प्रयास के तहत ऐसा किया जा रहा है जो अवैध है. आशंका है कि इस अवैध कमाई से आतंकवादी संगठनों एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का वित्त पोषण किया जा रहा है. दिलचस्प है कि शाकाहारी उत्पादों जैसे तेल, साबुन, मंजन और शहद के लिए हलाल प्रमाण पत्र की कोई जरूरत नहीं है, लेकिऩ इन उत्पादों के लिए हलाल प्रमाण पत्र जारी कर समुदाय विशेष और इसके उत्पादों को निशाना बनाया जा रहा है.
शिकायतकर्ता का आरोप है कि मजहब की आड़ लेकर एक वर्ग विशेष में अनर्गल प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है कि ऐसे उत्पाद का प्रयोग न करें जिसे इनकी कंपनी द्वारा हलाल प्रमाणपत्र न दिया गया हो. परिणाम स्वरुप दूसरे समुदाय विशेष के व्यावसायिक हितों का नुकसान हो रहा है. इस प्रकार आम नागरिकों के लिये उपयोग होने वाली वस्तुओं पर भी हलाल प्रमाण पत्र जारी कर अनुचित आर्थिक लाभ कमाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है.
शिकायतकर्ता ने उक्त लोगों द्वारा करोड़ों रुपये का अनुचित लाभ भी कमा कर उससे आतंकवादी संगठनों एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की ‘फन्डिंग’ किये जाने की आशंका भी जताई है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)