गाजा के अस्पताल में फ्यूल खत्म, एक बेड पर 39 नवजात, एक दूसरे के बदन से गर्मी देकर बचाई जा रही जान

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समाचार एजेंसी ‘रॉयटर्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्यूल की सप्लाई बंद होने से मशीनें और मेडिकल इक्यूपमेंट्स नहीं चल रहे हैं, जिससे मरीजों की मौत हो रही है. इसमें नवजात बच्चे भी शामिल हैं. वहीं, इंक्यूबेटर में नवजात बच्चों को एक दूसरे से सटाकर रखा जा रहा है, ताकि उन्हें ह्यूमन हीट से सही टेंपरेचर दिया जा सके. डॉक्टर के मुताबिक, एक बेड पर 39 बच्चे लिटाए गए हैं.

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इजरायल के आंकड़ों के अनुसार, 7 अक्टूबर से शुरू हुए जंग में अब तक 12000 लोग मारे गए हैं. हमास ने 240 लोगों को बंधक बनाकर गाजा के सुरंगों में छिपा रखा है. इस जंग में आधे से ज्यादा गाजावासी बेघर हो गए हैं. इजरायल ने उत्तरी गाजा के आधे हिस्से को पूरी तरह से खाली करने का आदेश दिया है. गाजा के चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि जंग के बीच 11000 से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से लगभग 40% बच्चे हैं.

अल शिफा अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट का बुरा हाल है. यहां नवजात बच्चे एक-दूसरे के बगल में लिटाए गए हैं. इनमें से कुछ बच्चे हरे कपड़े में लिपटे हुए हैं, जो गर्मी के लिए उनके चारों ओर मोटे तौर पर टेप से बंधे हुए हैं. बाकी बच्चों को सिर्फ नैपी पहनाकर रखा गया है. अस्पताल में हर मिनट बीतने के साथ इन बच्चों की जिंदगी पर खतरा बढ़ता जा रहा है.

नवजात बच्चों को गाजा के अल शिफा अस्पताल में मजबूर डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया है. ये अस्पताल इजरायली टैंकों से घिरा हुआ है. यहां बिजली, पानी, भोजन, दवाओं और मेडिकल डिवाइस की किल्लत है.

अल शिफ़ा अस्पताल में पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की हेड डॉ. मोहम्मद तबाशा ने सोमवार को एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में कहा, “कल यहां 39 बच्चे थे और संख्या 36 हो गई है.” उन्होंने कहा, “मैं नहीं कह सकता कि वे कितने समय तक चल सकेंगे. मैं आज या अगले एक घंटे में दो और बच्चों को खो सकता हूं.”

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समय से पहले जन्मे बच्चों का वजन 1.5 किलोग्राम (3.3 पाउंड) से कम होता है और कुछ मामलों में सिर्फ 700 या 800 ग्राम होता है. इन बच्चों को इंक्यूबेटर में रखा जाना चाहिए, जहां टेंपरेचर और ह्यूमिडिटी (आर्द्रता) को उनकी व्यक्तिगत जरूरतों के मुताबिक, कंट्रोल किया जा सकता है.

तबाशा ने कहा, “इसके बजाय बिजली की कमी के कारण इन बच्चों को इंक्यूबेटर से जनरल बेड पर ले जाना पड़ा. उन्हें एक-दूसरे के बगल में लिटाया गया है. कुछ नैपी के पैकेट दिए गए हैं. बेड पर स्टराइल गॉज और प्लास्टिक की थैलियां भी पड़ी हैं.

डॉ. तबाशा ने कहा, “मैंने अपनी अब तक की जिंदगी में कभी नहीं सोचा था कि मैं 39 बच्चों को एक एक बेड पर रखूंगी. इनमें से हर बच्चे को अलग-अलग बीमारी होगी. मेडिकल स्टाफ और दूध की भारी कमी के बीच ये बच्चे ऐसे रह रहे हैं.”

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डॉ. मोहम्मद तबाशा कहती हैं, “इन बच्चों का शरीर ठंडा हो रहा है. बिजली कटौती के कारण तापमान स्थिर नहीं है. इंफेक्शन कंट्रोल उपायों की कमी की वजह से बच्चे एक-दूसरे तक वायरस पहुंचा रहे हैं और उनमें कोई इम्यूनिटी नहीं है.”

उन्होंने कहा, “अब उनके दूध और बोतल टीट को जरूरी मानक के हिसाब से स्टरलाइज़ करने का कोई तरीका नहीं है. इसके नतीजे के रूप में कुछ बच्चों को गैस्ट्राइटिस हो गया. वे दस्त और उल्टी से पीड़ित थे, जिसका मतलब उन्हें डिहाइड्रेशन का गंभीर खतरा है.”

“आप धीरे-धीरे उन्हें मार रहे हैं”

बच्चों की देखभाल में शामिल डॉ. अहमद अल मोखलालती ने मौजूदा हालात को घातक बताया. उन्होंने अल शिफा से टेलीफोन पर बातचीत में कहा, “वे बहुत बुरी स्थिति में हैं. आप उन्हें धीरे-धीरे मार रहे हैं. जब तक कि कोई उनकी स्थिति को समायोजित करने या सुधारने के लिए हस्तक्षेप नहीं करता.”

उन्होंने कहा, “ये बहुत ही गंभीर मामले हैं. आपको इनसे निपटने में बहुत संवेदनशील होना होगा. आपको इनमें से हर बच्चे का बहुत खास तरीके से ख्याल रखना होगा.”

इस दौरान डॉ. तबाशा ने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी चीजें भी बताई. उन्होंने कहा, “हमें इंक्यूबेटर चलाने के लिए बिजली, दूध और बोतल टीट्स के लिए एक उचित स्टरलाइज़र, दवाएं और अगर इन बच्चों में कोई सांस का मरीज है, तो हमें संबंधित मशीनें चाहिए.”

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