“गाजा में शांति की गारंटी का एकमात्र यह तरीका…”: अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन में सऊदी ने कहा
अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की इमरजेंसी मीटिंग हमास के सात अक्टूबर के खूनी हमलों के बाद हुई है. इजरायली अधिकारियों का कहना है कि इन हमलों में करीब 1200 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर आम नागरिक थे. इसके अलावा 239 लोगों को बंधक बना लिया गया.
हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के बाद के हवाई और जमीनी हमले में 11,000 से अधिक लोग मारे गए हैं. इनमें ज्यादातर आम नागरिक हैं और उनमें कई बच्चे भी शामिल हैं.
खाड़ी देश साउदी अरब के शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने शनिवार को शिखर सम्मेलन शुरू होने पर कहा, मेजबान सऊदी अरब “यह पुष्टि करता है कि वह फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए कब्जे वाले (इजरायली) अधिकारियों को जिम्मेदार मानता है.”
उन्होंने गाजा और कब्जे वाले वेस्ट बैंक में इजरायल की कार्रवाई के बारे में कहा, “हमें यकीन है कि क्षेत्र में सुरक्षा, शांति और स्थिरता की गारंटी देने का एकमात्र तरीका बस्तियों पर कब्जा और घेराबंदी को खत्म करना है.”
मार्च में दोनों देशों के संबंधों में सुधार के बाद सऊदी अरब की अपनी पहली यात्रा पर ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा कि इस्लामिक देशों को गाजा के साथ किए गए बर्ताव के लिए इजरायली सेना को “आतंकवादी संगठन” घोषित करना चाहिए.
इज़रायल का कहना है कि वह हमास को खत्म करना चाहता है. उसने बड़ी तादाद में मौतों के लिए फिलिस्तीनी सशस्त्र समूह को दोषी ठहराया है और आरोप लगाया है कि वह नागरिकों का “मानव ढाल” के रूप में उपयोग कर रहा है. हमास इस आरोप से इनकार करता है.
अरब लीग और ओआईसी एक 57-सदस्यीय संगठन है जिसमें ईरान भी शामिल है.इन देशों के नेता पहले अलग-अलग मिलने वाले थे. अरब राजनयिकों ने एएफपी को बताया कि अलग-अलग बैठकों के बजाय एक बैठक करने का फैसला अरब लीग के प्रतिनिधिमंडलों के अंतिम बयान पर सहमति तक पहुंचने में विफल रहने के बाद आया.
राजनयिकों ने कहा कि अल्जीरिया और लेबनान सहित कुछ देशों ने गाजा में तबाही का जवाब देने के लिए इजरायल और उसके सहयोगियों को तेल आपूर्ति रोकने की धमकी दी. इसके साथ-साथ अरब लीग के कुछ देशों द्वारा इजरायल के साथ आर्थिक और राजनयिक संबंधों को तोड़ने की चेतावनी देने का प्रस्ताव रखा गया है.
नाम न छापने की शर्त पर कुछ राजनयिकों ने बताया कि, हालांकि कम से कम तीन देशों, जिनमें संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन शामिल हैं, जिन्होंने 2020 में इज़रायल के साथ अपने संबंध सामान्य किए हैं, ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया.