दिल्ली की तरह गैस चेंबर बनी मुंबई, हवा में सांस लेना एक दिन में 100 सिगरेट पीने के बराबर: डॉक्टर

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ग्लोबल हॉस्पिटल्स के क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंटर के डायरेक्टर डॉ. प्रशांत बोराडे ने कहा, “इस प्रदूषित हवा में सांस लेना कम समय में 1000 सिगरेट पीने के बराबर है. दिवाली के बाद यह और भी खराब होने वाला है.” डॉक्टर बोराडे ने कहा कि उन्हें युवा मरीजों में भी ऐसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं. कई गंभीर मरीजों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा है.

डॉ. प्रशांत बोराडे ने कहा, “पिछले कुछ महीनों में मैं ऐसे मरीजों को देख रहा हूं, जो फेफड़ों के इंफेक्शन से ठीक होने के बाद भी सांस फूलने की शिकायत कर रहे हैं. इन रोगियों के फेफड़ों में सूजन या हाइपरक्यूट एयरवे डीसीस (Hyperacute Airway Diseases) का इलाज किया जाता है.”

स्पेशल आईसीयू

मुंबई शहर के तट पर स्थित होने और तीन तरफ से पानी से घिरे होने के भौगोलिक लाभ के बावजूद ऐसा हाल है. NDTV ने सेंट्रल मुंबई के परेल में ग्लोबल हॉस्पिटल्स द्वारा शुरू किए गए स्पेशल इंटेंसिव रेस्पिरेटरी केयर यूनिट का दौरा किया. इस दौरान हमने पाया कि पिछले छह महीनों में सांस के मरीजों के मामले दोगुने हो गए हैं.

डॉ. प्रशांत बोराडे ने बताया, “ऐसे लक्षणों वाले सभी मरीजों में करीब 50% या दो में से एक जो ओपीडी में आ रहे हैं, उन्हें कम से कम एक या दो दिनों के लिए भर्ती होना पड़ रहा है. करीब 30% मरीजों को आईसीयू में एडमिट होने की जरूरत होती है. लंग्स कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं.”

डॉ. बोराडे ने लंग्स कैंसर के लिए कोविड को भी जिम्मेदार माना है. उन्होंने कहा, “इसके अलावा, दूसरा कारण वायु प्रदूषण है. एयर क्वालिटी इंडेक्स हर दिन बढ़ रहा है और 10 माइक्रोन से कम के कण भी बढ़ रहे हैं. ये कण फेफड़ों में प्रवेश करते हैं. अगर वे 10 माइक्रोन से ज्यादा है, तो फ़िल्टर हो सकते हैं. लेकिन 10 माइक्रोन से कम वाले कण फिल्टर नहीं हो पाते और इंसान के लिए समस्या पैदा करते हैं.” 

डॉक्टर बोराडे ने कहा कि अस्पताल में सांस के बीमारियों के मरीजों में 100% का इजाफा देखा गया है. पुराने सांस संबंधी मरीजों की हालत में बढ़ते प्रदूषण में खराब हो रही है. यहां तक ​​कि युवा भी सांस लेने में दिक्कत लेकर अस्पताल आ रहे हैं.

डॉक्टर बोराडे ने कहा, “इस तरह की सांस की बीमारियों में सांस फूलना, घरघराहट और पुरानी खांसी शामिल है, जो एंटीबायोटिक्स देने पर भी दूर नहीं होती है. यह अस्थमा जैसा दिखता है लेकिन यह अस्थमा हो भी सकता है और नहीं भी… हमें इनहेलर और कुछ दवाएं देनी होंगी. कुछ मरीजों को स्टेरॉयड की भी जरूरत पड़ती है. वायु प्रदूषण फेफड़ों की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है.”

बरतें ये सावधानियां

डॉक्टर ने कहा कि ब्रोंकाइटिस, अस्थमा या फेफड़ों के मरीजों के लिए इस समय बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल करना जरूरी है. बुजुर्ग और शुगर या कैंसर के मरीजों को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना है. उन्होंने शाम की सैर न करने की भी सलाह दी. डॉक्टर ने कहा कि लोगों को हरियाली वाली जगहों पर सुबह की सैर का विकल्प चुनना चाहिए.

निर्माण उल्लंघन

NDTV ने इस दौरान 29.5 किलोमीटर लंबी तटीय सड़क परियोजना के निर्माण स्थल का भी दौरा किया, जो दक्षिण में मरीन लाइन्स से उत्तर में कांदिवली तक फैलेगी. बृहन्मुंबई नगर निगम यहां अपने ही बनाए दिशा-निर्देशों का उल्लंघन कर रहा है. नगर निकाय ने पिछले सप्ताह एक ही दिन में इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए 400 से अधिक नोटिस जारी किए थे.

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