मध्य प्रदेश में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों में उत्साह कम
चुनाव आयोग के मुताबिक, 230 सीटों पर 3832 लोगों ने नामांकन पत्र दाखिल किया. लेकिन जब नामांकन फार्म भरने की बात आई तो 29 सीटों पर सबसे कम उम्मीदवार थे, छह से 10 के बीच. इन 29 सीटों, जिन पर उम्मीदवारों की संख्या सबसे कम है, उनमें से 18 यानी (62 प्रतिशत) सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं. यह 18 सीटें उन 47 सीटों का 38 प्रतिशत हैं जो आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं.
जनजातीय क्षेत्र में चुनावी साक्षरता की कमी नहीं
बीजेपी के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि, ”मैं यह नहीं मानता कि जनजातीय क्षेत्र में किसी प्रकार की चुनावी साक्षरता की कमी है. यह बात सच है कि तुलनात्मक रूप से अन्य सीटों पर प्रत्याशियों की संख्या जनजातीय सीटों की अपेक्षा ज्यादा है. जनजातीय सीटों पर 6, 7,8 प्रत्याशी देखने को मिल रहे हैं. तो मैं ऐसा मानता हूं कि साक्षरता की कमी नहीं है. उस क्षेत्र का निर्णय हो सकता है. वहां के लोगों को लगा होगा कि जो लोग प्रतिस्पर्धा में हैं, चुनाव में हैं, मैदान में हैं, वे पर्याप्त हैं. इसलिए किसी की आवश्यकता नहीं हैं. सब चुनावी रूप से साक्षर हैं, शिक्षा के हिसाब से साक्षर हैं और भारतीय जनता पार्टी के विकास के साथ अपना मत करेंगे.”
आदिवासियों ने मतों का विभाजन नहीं करने का संकल्प लिया : कांग्रेस
कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि, ”आदिवासियों में मनोवैज्ञानिक लिट्रेसी अधिक है. वह कारण मानता हूं, क्योंकि जिस तरह सो काल्ड टंट्या मामू के अवतार का ग्राफ आदिवासियों में गिरा है. इसलिए आदिवासी तय करके बैठे हैं कि हमें ट्राइबल विरोधी सरकार का हिसाब करना है. उन्होंने अपने मतों का विभाजन नहीं करने का संकल्प लिया है. पिछले ट्राइबल कैरेक्टर भी आप देखेंगे तो उनके लिए आरक्षित सीटों में से उन्होंने सर्वाधिक कांग्रेस पार्टी पर भरोसा किया था. अब तो मुझे यकीन है कि शत प्रतिशत ट्राइबल माननीय कमलनाथ जी के चेहरे को देख रहा है क्योंकि वही उनका कल्याण कर सकते हैं. आदिवासियों की हत्या करवाने वाले लोग, आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा करवाने वाले लोग, वनाधिकार पट्टों को एक साथ एक मुश्त कैंसिल करने वाले लोग, उन्हें गाड़ियों में घसीटकर मार डालने वाले लोग या उनकी विचारधारा.. उसके बाद भी आदिवासी क्या इसे मोहब्बत करेगा.”
गंधवानी सीट पर सबसे कम छह उम्मीदवार
भील और भिलाला जनजाति बहुल धार जिले की गंधवानी-एसटी सीट पर सबसे कम छह उम्मीदवार हैं. पिछले तीन चुनावों से यह सीट कांग्रेस के तेजतर्रार आदिवासी नेता और पूर्व मंत्री उमंग सिंघार ने जीती है. उन्होंने कुछ महीने पहले राज्य में आदिवासी सीएम की मांग उठाई थी.
महत्वपूर्ण आदिवासी सीटों पर सात से आठ उम्मीदवार
धार जिले की धरमपुरी-एसटी सीट और सरदारपुर-एसटी सीट पर केवल सात-सात उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया. इसके अलावा भीखनगांव-एसटी, बागली-एसटी सीट पर भी सात-सात उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है. बड़वानी-एसटी सीट, अलीराजपुर-एसटी, निवास-एसटी सीट (जहां से छह बार के बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मैदान में हैं) और ब्योहारी सीट पर आठ-आठ उम्मीदवार ही मैदान में हैं.
हालांकि मध्य प्रदेश में देश में सबसे अधिक आदिवासी आबादी है, लेकिन जब 17 नवंबर को होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ने की बात आती है तो अनुसूचित जनजातियां में सबसे कम उत्साह दिख रहा है.
यह भी पढ़ें –
‘जय, वीरू’ लूटे गए माल के बंटवारे पर लड़ रहे हैं : MP के CM चौहान का दिग्विजय और कमलनाथ पर कटाक्ष
“INDIA के लिए अच्छी बात नहीं”: कांग्रेस-समाजवादी पार्टी के बीच मतभेद पर बोले उमर अब्दुल्ला