क्या पिछड़ों का आरक्षण बढ़ाने जा रही है बिहार सरकार? उठने लगी है मांग

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पटना:

बिहार विधान सभा (Bihar Assembly) का विशेष सत्र अगले सोमवार से शुरू होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने पहले ही घोषणा कर दी है कि जातीय गणना के सर्वे की रिपोर्ट के अलावा सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश नहीं की जाएगी, साथ ही इस पर बहस भी होगी. लेकिन माना जा रहा है कि नीतीश कुमार पिछड़े वर्ग ख़ासकर अति पिछड़े वर्ग के वर्तमान आरक्षण के प्रावधान में बढ़ोतरी का प्रस्ताव ला सकते हैं.

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आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में आरक्षण का अनुपात सामान्य नहीं

बिहार में गांधी जयंती के दिन जातिगत सर्वे की रिपोर्ट जारी हुई, उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक बुलाकर सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट विधान सभा के विशेष सत्र में पेश करने की घोषणा कर दी. लेकिन सर्वे के आंकड़ों के अनुसार राज्य में वर्तमान में शैक्षणिक और सरकारी नौकरियों में वर्तमान में आरक्षण का अनुपात सामान्य नहीं हैं.

बिहार में 15.52 प्रतिशत अगड़ी जाति को आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है. वहीं 19.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति के लोगों के लिए सोलह प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. इसकी तुलना में अति पिछड़ी जातियों जिनकी आबादी 36 प्रतिशत है, उनके लिए 18 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है और पिछड़ा वर्ग जिनकी आबादी 27 प्रतिशत है, उन्हें बारह प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है.

कई दलों ने जातिगत सर्वे के आंकड़े के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग कर डाली है. वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने भी बिहार में 63 प्रतिशत ओबीसी होने को लेकर उसी अनुपात में आरक्षण की मांग की है.

सदन में पेश होनी है जातीय गणना की रिपोर्ट

वहीं राज्य सरकार का कहना है कि फ़िलहाल जब तक सदन में जातीय गणना की पूरी रिपोर्ट पेश नहीं होती, आरक्षण का दायरा कितना बढ़ाया जाएगा, ये अभी कहना उचित नहीं होगा.

भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि आने वाले समय में माननीय नेता महत्वपूर्ण कार्य करेंगे. ऐसा हम लोगों को विश्वास है और आभास लगता है जातीय गणना सिर्फ़ जानकारी लेने के लिए नहीं, इस पर जरूर कुछ ना कुछ काम होगा.

 

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