कैश फॉर क्वेश्चन केस : महुआ मोइत्रा के सबसे कठिन 22 घंटे? एक के बाद एक लगातार आईं तीन आफत!

0 5

पहला – बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी ने एफिडेविट देकर सार्वजनिक तौर पर ये माना कि वो महुआ मोइत्रा के करीबी हैं और उनकी तरफ से संसद की आधिकारिक ईमेल आईडी से खुद सवाल पूछ चुके हैं.

दूसरा – दिल्ली हाईकोर्ट में महुआ के वकील को जज से तगड़ी फटकार लगी है, जिसके बाद वकील गोपाल शंकरनारायणन को केस से हटना पड़ा.

तीसरा – एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने NDTV से कहा कि उनको हीरानंदानी का एफिडेविट मिल गया है और प्राइमा फेसी ये गंभीर मामला लगता है.

एथिक्स कमेटी के चेयरमैन और बीजेपी सांसद विनोद सोनकर ने बताया कि महुआ मोइत्रा मामले में उनको कई दस्तावेज़ मिले हैं और शुरुआती तौर पर ये प्रकरण बहुत गंभीर दिखाई देता है. 

विनोद सोनकर ने NDTV से बातचीत में कहा कि ये मामला अब प्रथम दृष्टया से आगे निकल चुका है. हमें दर्शन हीरानंदानी का हलफ़नामा मिला है. हम दर्शन हीरानंदानी को समन कर सकते हैं. पहले निशिकांत दुबे और देहाद्रई को बुलाया है. सभी पक्षों के साक्ष्य रिकॉर्ड करने के बाद महुआ मोइत्रा को बुलाएंगे. हम इसी लोकसभा कार्यकाल में जांच शुरू करेंगे और ख़त्म करेंगे.

इसके बाद दुर्गा पूजा करने के लिए बंगाल गईं महुआ मोइत्रा ने एक्स पर पोस्ट किया, “एथिक्स कमेटी के चेयरमैन खुलकर मीडिया से बात कर रहे हैं. कृपया लोकसभा के नियमों को देखिए. ‘एफिडेफिट’ कैसे मीडिया तक पहुंच गया? चेयरमैन को पहले इस मामले की जांच करानी चाहिए कि ये मीडिया तक कैसे लीक हो गया. मैं दोहराती हूं – बीजेपी का एक प्वाइंट एजेंडा है कि मुझे बर्खास्त कराया जाए, ताकि मैं चुप हो जाऊं.”

Latest and Breaking News on NDTV

इस पोस्ट के साथ उन्होंने लोकसभा की रूलबुक की तस्वीर भी पोस्ट की है, जिसका मतलब है कि कमेटी की सुनवाई होने तक कोई भी जानकारी किसी को भी सार्वजनिक नहीं करनी है. जब तक कि स्पीकर की अनुमति ना हो या इन सबूतों को सदन में पेश ना कर दिया गया हो.

वहीं दिल्ली हाईकोर्ट में महुआ मोइत्रा ने मानहानि याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि कई मीडिया हाउस और कुछ लोग उनके खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं, जिस पर रोक लगनी चाहिए. इस मामले में महुआ की तरफ से पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायण को जज के गुस्से का सामना करना पड़ा.

महुआ ने की डील की कोशिश!

दरअसल, हुआ ये कि कोर्ट में सुनवाई शुरू होने पर मुख्य शिकायतकर्ता जय अनंत देहाद्रई जो कि अपना मुकदमा खुद लड़ रहे हैं, उन्होंने कोर्ट को बताया कि कल रात शंकर नारायण ने उनसे संपर्क कर कहा कि वो कुत्ते (हेनरी) के बदले सीबीआई को दी गई शिकायत वापस ले लें. जय अनंत ने ये बताया कि उनके पास इस बातचीत की रिकार्डिंग भी है. तब जज ने महुआ के वकील से पूछा कि जब मध्यस्थता कर रहे हो तो फिर वकील के तौर पर कैसे पेश हो सकते हो.

जज की फटकार के बाद वकील ने महुआ से पल्ला झाड़ा

जज के क्रॉस क्वेश्चनिंग के बाद गोपाल नारायण ने माना कि उन्होंने कल रात सेटलमेंट के लिए जय अनंत से संपर्क किया था. नारायण ने ये भी बताया कि उन्होंने महुआ मोइत्रा के कहने पर संपर्क किया था. इसके बाद गोपाल शंकर नारायण से जज ने फटकारते हुये पूछा कि क्या आप अभी भी मुकदमा में बने रहना चाहेंगे. तब कोर्ट का मूड भांपते हुए नारायण ने कहा कि मैं नाम वापस लेता हूं. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली तारीख 31 अक्टूबर की दे दी. जज की फटकार के बाद वकील ने महुआ से पल्ला झाड़ लिया.

Latest and Breaking News on NDTV

इधर जिस उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी के हितों के लिए सवाल पूछने का आरोप टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर है. उन दर्शन हीरानंदानी ने स्वीकार कर लिया कि जो भी आरोप उनपर लगे हैं, वो सब सच हैं. दर्शन हीरानंदानी ने अपना दस्तखत किया हुआ एफिडेविट एथिक्स कमेटी को सौंप दिया है. 

दर्शन हीरानंदानी ने अपना हलफ़नामा सार्वजनिक किया, जिसके मुताबिक टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने उन्हें अपने संसद अकाउंट के लॉग-इन और पासवर्ड दिए. उन्होंने महुआ मोइत्रा के अकाउंट पर सवाल भी अपलोड किए. दर्शन ने माना, “मैंने अदाणी ग्रुप को टारगेट करने के लिए सवाल भेजे” अपुष्ट जानकारियों के आधार पर सवाल पोस्ट करता रहा. महुआ मोइत्रा राजनीति में तेजी से तरक्की चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने पीएम मोदी को निशाना बनाया. हलफ़नामे में कहा गया कि पीएम मोदी को निशाना बनाने के लिए महुआ ने अदाणी को टारगेट किया. मोदी-अदाणी को टारगेट करने के लिए महुआ राहुल गांधी, शशि थरूर के लगातार संपर्क में थीं.

कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे के बाद महुआ मोइत्रा ने भी एक्स पर अपना जबाव दिया. जिसके मुताबिक, हीरानेदानी पर दबाव डालकर ये एफिडेविट बनवाया गया है. महुआ मोइत्रा ने लिखा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के कहने पर हीरानंदानी का ये एफिडेविट तैयार कराया गया है. एक सादे काग़ज़ पर लिखवाकर हीरानंदानी से हस्ताक्षर कराया गया. हीरानंदानी CBI, किसी जांच एजेंसी या संसदीय आचार समिति से तलब नहीं हुए. हीरानंदानी ने ये हलफ़नामा किसे दिया है? हीरानंदानी ने अगर हलफ़नामा दिया, तो ये नोटरी पेपर या लेटरहेड पर क्यों नहीं है? ये हलफ़नामा मीडिया के एक गिने-चुने वर्ग को लीक किया गया.

लेकिन इतने लंबे और विस्तृत जवाब में भी सांसद महुआ मोइत्रा ने दो सबसे ठोस दिख रहे आरोपों पर चुप्पी साध ली.

  1. हीरानंदानी ने कबूल किया कि उन्होंने महुआ के संसद के लॉग-इन और पासवर्ड का इस्तेमल किया और कई सवाल सीधे ही पोस्ट किए. महुआ इस पर खामोश हैं.
  2. हीरानंदानी ने माना कि महुआ मोइत्रा कई विदेशी मीडिया हाउस और कुछ लोगों के संपर्क में थीं, ताकि अदाणी समूह को घेरा जा सके. महुआ इस इल्जाम पर भी चुप्पी साध गई हैं. 

Source link

Leave A Reply

Your email address will not be published.