राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन, आज दौसा से जयपुर पहुंचेगी यात्रा

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पार्टी पर करीबी नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि इस यात्रा से 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पुनरुद्धार की राह पर चल रही कांग्रेस को कई ऐसे सवालों के जवाब मिल गए हैं, जिनकी उसे लंबे समय से तलाश थी हालांकि, सवाल बरकरार है कि क्या यह यात्रा चुनावी फायदा दिलाने में सफल होगी? अब तक 2,800 किलोमीटर से अधिक पदयात्रा कर चुके राहुल अपने समर्थकों के साथ-साथ विरोधियों का भी ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहे हैं. फिल्मी सितारों से लेकर अकादमिक विशेषज्ञों तक, विभिन्न क्षेत्रों की दिग्गज हस्तियां भी समय-समय पर उनके साथ कदमताल करती नजर आई हैं.

हालांकि, कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा के लिए कांग्रेस के पास अधिक ठोस राजनीतिक उद्देश्य होने चाहिए थे. उन्होंने गुजरात और हिमाचल प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों को छोड़ने के पार्टी के कदम पर सवाल भी उठाए हैं.

‘भारत जोड़ो यात्रा’ के चुनावी फायदे में तब्दील होने से जुड़े सवालों के बीच कांग्रेस के लिए हाल ही में संपन्न दो राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे मिश्रित रहे. हिमाचल में जहां पार्टी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया, वहीं गुजरात में सीट संख्या के लिहाज से वह अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई. हालांकि, पार्टी की चुनावी किस्मत पर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के असर की स्पष्ट तस्वीर अगले साल कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों से सामने आएगी, जहां पदयात्रा व्यापक पैमाने पर गुजरी.

कांग्रेस के पूर्व नेता संजय झा ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पार्टी के लिए लंबी अवधि में ‘गेम-चेंजर’ (खेल का रुख बदलने वाला कारक) साबित हो सकती है. झा पार्टी के प्रवक्ता भी रह चुके हैं.

उन्होंने कहा, “पहली बात, इस यात्रा ने राहुल गांधी के राजनीतिक ब्रांड का पुनरुद्धार किया है. भाजपा अब अपने ‘दुर्भावनापूर्ण फेक न्यूज अभियान’ का इस्तेमाल कर उनका मजाक नहीं उड़ा सकेगी. दूसरी बात, कांग्रेस आखिरकार इस जन आंदोलन के जरिये जनता से सीधे जुड़ पाई है.”

झा ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस इस यात्रा के जरिये जमीनी स्तर पर पैठ बनाने में सफल रहेगी और पार्टी के लिए जोश से भरे अपने कार्यकर्ताओं के जरिये लोगों को जोड़े रखना बेहद अहम है.

उन्होंने कहा, “हिमाचल चुनाव के नतीजों ने साबित किया है कि कांग्रेस अगर जीत के प्रति ललक दिखाए तो उसमें आज भी भाजपा के खिलाफ विजय हासिल करने का दमखम है.

अगले साल कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का चुनावी असर अधिक देखने को मिलेगा.” ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने में सफल रही है, इस बात को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है, लेकिन कई लोगों का कहना है कि यात्रा का असल असर चुनावी नतीजों से सामने आएगा. राजनीतिक टिप्पणीकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में प्रोफेसर संजय पांडे ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने कांग्रेस में ‘उम्मीद की किरण’ जगाई है और पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश पैदा किया है, लेकिन इसका प्रभाव चुनावी फायदे में तब्दील होगा या नहीं, यह तो समय ही बताएगा. यात्रा में समाज के अलग-अलग तबके के लोगों ने हिस्सा लिया है, जिनमें पूजा भट्ट, रिया सेन, सुशांत सिंह, स्वरा भास्कर, रश्मि देसाई, आकांक्षा पुरी और अमोल पालेकर जैसी फिल्मी और टीवी जगत की हस्तियां शामिल हैं.

मायानगरी की विभिन्न हस्तियों के अलावा पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास, शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जैसे कई दिग्गज भी समय-समय पर राहुल गांधी के साथ कदमताल करते नजर आए हैं.

(इनपुट्स भाषा से भी)

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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