‘द कश्मीर फाइल्स’ पर जूरी हेड का बयान उनकी निजी राय : जूरी बोर्ड
गोवा में 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया में विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर हो रहे विवाद से जूरी बोर्ड ने किनारा कर लिया है. जूरी बोर्ड ने मंगलवार को ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म पर जूरी हेड की टिप्पणियों से खुद को अलग कर लिया और उन्हें “पूरी तरह से उनका निजी बयान” बताया. इजराइली फिल्म निर्माता नादव लापिड ने द कश्मीर फाइल्स को अश्लील और प्रोपगेंडा पर आधारित फिल्म करार दिया था. वह इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के जूरी हेड हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी परेशान हैं कि ऐसी फिल्म को इस समारोह में दिखाया गया है. यह फिल्म बेहद ही वल्गर है.
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बता दें विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित ‘द कश्मीर फाइल्स’ 90 के दशक में उग्रवाद के चरम पर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित है. लैपिड की टिप्पणियों ने एक बड़ी बहस को जन्म दिया है, जिसमें कई लोगों ने उन पर कश्मीरी पंडितों की पीड़ा के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया है.
लैपिड ने क्या कहा था?
इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI) के जूरी हेड नदाव लैपिड ने कहा था- ‘द कश्मीर फाइल्स फिल्म देखकर हम सभी डिस्टर्ब और हैरान थे. यह फिल्म हमें अश्लील और प्रोपेगेंडा बेस्ड लगी. इतने प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के लिए ये फिल्म उचित नहीं है. मैं आप लोगों के साथ अपनी फीलिंग को खुले तौर पर इसीलिए शेयर कर सकता हूं, क्योंकि इस समारोह की आत्मा ही यही है कि हम यहां आलोचनाओं को स्वीकार करते हैं और उस पर चर्चा करते हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस समारोह में हमने डेब्यू कॉम्पटीशन में 7 फिल्में देखीं और इंटरनेशनल कॉम्पटीशन में 15 फिल्में देखीं. इसमें से 14 फिल्म सिनेमैटिक फीचर्स वाली थीं. 15वीं फिल्म द कश्मीर फाइल्स से हम सभी को परेशान और हैरान करने वाली थी.’
जूरी बोर्ड ने बयान से बनाई दूरी
जूरी बोर्ड ने कहा, “यह हमें इस तरह के एक प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के एक कलात्मक, प्रतिस्पर्धी वर्ग के लिए अनुपयुक्त एक प्रचारक फिल्म की तरह लग रहा था. हम मंच पर आपके साथ खुले तौर पर इन भावनाओं को साझा करने में पूरी तरह से सहज महसूस कर रहे हैं.”
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