राजस्थान : मंत्री ने मोबाइल इस्तेमाल करने पर जताई आपत्ति, बैठक छोड़कर चले गए जिला कलेक्टर

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मीणा रविंद्र रंगमंच में एक कार्यक्रम में महिलाओं को संबोधित कर रहे थे. मंच पर जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल सहित अन्य लोग बैठे थे.

अपने संबोधन के दौरान मंत्री की नजर कलेक्टर पर पड़ी जो अपने मोबाइल फोन में व्यस्त थे. उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि वह उनकी बात क्यों नहीं सुन रहे हैं. उन्होंने कहा,’आप हमारी बात क्यों नहीं सुन रहे हैं. क्या इस सरकार पर नौकरशाह (ब्यूरोक्रेट) इतने हावी हो गए हैं?”

इसके जवाब में कलेक्टर बिना कुछ बोले सोफे से उठ खड़े हुए. उसी समय मंत्री ने कहा, ‘आप यहां से जाइए.’ इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.

मीणा यहां राजीविका योजना के तहत लाभ ले रही महिलाओं से संवाद कर रहे थे. संपर्क करने पर मंत्री ने कहा कि कलेक्टर लगातार अपने फोन में व्यस्त थे और उनके संबोधन के दौरान उठाए गए मुद्दों को नहीं सुना.

मीणा ने कहा,’‘महिलाओं ने मनरेगा जैसी योजनाओं के बारे में कुछ बातें कही थीं और मैंने कलेक्टर को यह बताया, लेकिन उन्होंने नहीं सुना और वे अपने फोन को देखने में व्यस्त थे. वह बार-बार फोन पर भी बात कर रहे थे.”

मीणा ने कहा कि एक मंत्री कलेक्टर को कुछ महत्वपूर्ण बात बता रहा है और कलेक्टर अपने फोन में व्यस्त रहे. यह लापरवाही है, इससे जनता में क्या संदेश जाता है?

उन्होंने पूछा कि जब कलेक्टर मंत्री की बात नहीं सुनेंगे तो आम जनता की कैसे सुनेंगे और उनकी शिकायतों का समाधान कैसे होगा. मंत्री ने कहा कि वह घटना के बारे में मुख्यमंत्री से बात करेंगे और कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे.

उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के बाद जिला परिषद में समीक्षा बैठक हुई और उस बैठक में भी कलेक्टर ने वही रवैया दिखाया. वहीं, इस बारे में जब जिला कलेक्टर से जब बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. 

वहीं, राजस्थान आईएएस एसोसिएशन ने इस मामले को लेकर शाम को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन मुख्य सचिव उषा शर्मा को सौंपा. इसमें कुछ जनप्रतिनिधियों व मंत्रियों द्वारा अधिकारियों को निशाना बनाए जाने की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए कतिपय मंत्रियों के व्यवहार को निंदनीय व अस्वीकार्य बताया गया है.

       

विपक्ष दल भाजपा के नेता और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इस घटनाक्रम को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने एसोसिएशन के पत्र को ट्वीट पर साझा करते हुए कहा,’‘कांग्रेस की गुटबाजी की चक्की में प्रशासनिक अधिकारी पिसने को मजबूर हो रहे हैं. राज्य में पहले सत्तारूढ़ दल में आंतरिक कलह तो जगजाहिर थी ही और अब सत्ता के मद में चूर अहंकारी मंत्रियों के रवैये के कारण नौकरशाहों के साथ भी अंतर्द्वंद्व प्रारम्भ हो गया है.”

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