पी साईनाथ, मशहूर लेखक और पत्रकार ने NDTV से कहा – “भारत की आज़ादी की लड़ाई में दलितों- महिलाओं का ज़िक्र तक नहीं”

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बता दें कि ‘द लास्ट हीरोज’ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के कम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों को याद करता है. पुस्तक स्वतंत्रता प्राप्त करने में साधारण लोगों की भूमिका पर नज़र रखती है, जो किसान, मजदूर अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए. ‘द लास्ट हीरोज’ उनकी कहानियों को बताता है, उन्हें वह पहचान देता है जिसके वे वास्तव में हकदार हैं.

लेखक-पत्रकार पी साईनाथ ने कहा, “अभी जो स्वतंत्रता सेनानी देश में मौजूद है. तीन-चार साल में एक भी नहीं रहेंगे. बीते कई महीनों में 7 स्वतंत्रता सेनानियों का निधन हो गया है. जो नए पीढ़ी के लोग है उनको इसके बारें किताब के माध्यम से जानकारी होगी. यह किताब स्वतंत्रता सेनानियों की कहानी को सामने लाने के लिए लिखा है.”

लेखक-पत्रकार पी साईनाथ ने कहा, “स्वतंत्रता संग्राम में दलित, आदिवासी और महिलाओं ने बड़े पैमाने पर भाग लिया. लेकिन उन्हें इतिहास में ज्यादा जगह नहीं मिली. इतिहास में दलितों, आदिवासियों और महिलाएं ये तीनों को हमने मार्जिनल कर दिया. एक स्वतंत्रता सेनानी हैं शोभाराम गहरवार, यहीं अजमेर में है. वो अभी फर्स्ट क्लास कंडीशन में है. वो दलित हैं. लेकिन जिस दिन मैंने इंटरव्यू के लिए उनके पास गया तो उस दिन अम्बेडकर जयंती थी, तो उन्होंने कहा कि हम आपके कार से अम्बेडकर की प्रतिमा तक जाएंगे. अंबेडकर की मूर्ति पर माल्या अर्पण करना है.

लेखन पी साईनाथ ने शोभाराम गहरवार से पूछा आप गांधी को मानते हैं या अंबेडकर को, तो  शोभाराम गहरवार ने कहा कि जहां मैं गांधी के विचारों से सहमत हूं वहां गांधी को मानता हूं. लेकिन जहां अंबेडकर के विचार से सहमत हूं. वहां अंबेडकर को मानता हूं. मैं दोनों में था गांधीवाद और क्रांतिवाद. उन्होंने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम में 4 प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी है वो आम लोग है.

लेखक-पत्रकार पी साईनाथ ने कहा, “मैं अभी-अभी पंजाब और चंडीगढ जर्नलिस्ट यूनियन गया था. लोग नहीं मानते हैं. भगत सिंह को लोग क्रांतिकारी कहते हैं. भगत सिंह क्रांतिकारी के साथ साथ एक पत्रकार भी थे. उन्होंने चार भाषा में लिखा था. उर्दू, पंजाबी, हिंदी, अंग्रेजी और ये सब 23 साल उम्र में. इस किताब में सावरकर के बारे में कुछ नहीं है. साथ ही नेताओं के बारे में भी कुछ नहीं है. यह किताब आम लोगों की कहानी पर आधारित है. दो सावरकर थे. एक 1911 के पहले के और दूसरा 1911 के बाद के. उन्होंने माफीनामा मांगा है. 

लेखक-पत्रकार पी साईनाथ ने कहा कि जो कृषि संकट है उसका कोई सलूशन अब तक नहीं मिला. किसान आंदोलन का जो अचीवमेन्ट है. कभी भी मीडिया में एडमिट नहीं करते हैं कि दुनिया में सबसे बडा सबसे महत्वपूर्ण शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुआ. दुनिया का सबसे बड़ा प्रदर्शन वॉल स्ट्रीट में हुआ. 2011 में 9 हफ्ते तक यह प्रदर्शन चला, जिसमें 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई. तब करीब 40 लेबर लॉ लेबर कानून सस्पेंड हो गया. उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा अच्छा है. लेकिन यात्रा से सबक लेने की जरुरत है.

लेखक-पत्रकार पी साईनाथ ने कहा, “आजकल हिंदुस्तान में असमानता लेवल बढ़ गई हैं. हिंदुस्तान में 1991 में एक भी अरबपति नहीं था. अरबपति के हाथ में जितना धन दौलत है वो आपका जीडीपी का 25-26 प्रतिशत है. स्वतंत्रता आजादी संग्राम गांव में शुरू हुई है. ग्लोबल ई-चार कंपनी मार्किट का 60 प्रतिशत कंट्रोल करते हैं तो ये किस के लिए कर रहा है. किसानों के लिए यह नहीं है.”

       

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