चीन: शी चिनफिंग ने रचा इतिहास, सत्ता में रिकार्ड तीसरी बार वापसी

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शी (69) को केंद्रीय समिति ने रविवार सुबह महासचिव चुना. पांच साल में एक बार होने वाले महासम्मेलन (कांग्रेस) में एक दिन पहले इस समिति का गठन किया गया था. आधिकारिक जानकारी के अनुसार, चिनफिंग को रविवार को आयोजित समिति के पहले पूर्ण सत्र में सीपीसी की 20वीं केंद्रीय समिति का महासचिव चुना गया. चिनफिंग की अध्यक्षता वाले सत्र में सीपीसी केंद्रीय समिति के 203 सदस्यों और 168 वैकल्पिक सदस्यों ने भाग लिया. चिनफिंग को सत्र में केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) का अध्यक्ष भी नामित किया गया.

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जनरल झांग यूशिया और हे वीदोंग को सीएमसी का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. सीएमसी के अन्य सदस्यों में शीर्ष सैन्य अधिकारी ली शांगफू, लियू जेनली, मियाओ हुआ और झांग शेंगमिन शामिल हैं. वे नौसेना और रॉकेट फोर्स सहित सेना की विभिन्न शाखाओं का नेतृत्व करेंगे. पहले के कार्यकाल की तरह शी सीएमसी के एक मात्र असैन्य सदस्य हैं.

केंद्रीय समिति ने 24 सदस्यीय राजनीतिक ब्यूरो को भी स्वीकृत किया, जिसने सात सदस्यीय स्थायी समिति का चयन किया. इस समिति के सदस्य शी समर्थक हैं. मीडिया से मुखातिब होने के लिए देश को चलाने वाली सबसे शक्तिशाली संस्था स्थायी समिति के सदस्य शी के पीछे चल कर ग्रेट हॉल में पहुंचे और इसका राष्ट्रीय मीडिया पर सीधा प्रसारण किया गया.

शी ने कहा, ‘‘मुझे सीपीसी केंद्रीय समिति के महासचिव के तौर पर फिर से चुना गया है.” उन्होंने समिति के छह अन्य सदस्यों से सबका परिचय कराया, जिसमें से दो पूर्ववर्ती समिति में भी शामिल थे. समिति के छह अन्य सदस्यों में ली कियांग, झाओ लेजी, वांग हुनिंग, सिया क्वी, डिंग शुएशियांग और ली शी शामिल हैं. झाओ और वांग दोनों पूर्ववर्ती समिति के भी सदस्य थे.

शंघाई सीपीसी के प्रमुख ली कियांग (63) को शी का करीबी सहयोगी माना जाता है और व्यापक रूप से ऐसा माना जा रहा है कि उन्हें मार्च में प्रधानमंत्री बनाए जाने की उम्मीद है. झाओ लेजी (65) ने 2017 से केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग का संचालन किया है, जो भ्रष्टाचार और अन्य गड़बड़ी को रोकने के लिए पार्टी की बहुचर्चित संस्था है. हुनिंग (62) 2017 से पोलिब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य हैं. उन्हें शी के सबसे महत्वपूर्ण सलाहकारों में शामिल माना जाता है.

सिया क्वी समिति के नए सदस्य हैं। उन्हें पार्टी के अहम बुद्धिजीवियों में गिना जाता है. डिंग 2017 से जनरल ऑफिस के प्रमुख है। वह पार्टी में सबसे महत्वपूर्ण नौकरशाहों में शामिल हैं. ली शी (66) को भी समिति का सदस्य बनाया गया है। उन्हें लेजी के बाद केंद्रीय अनुशासन समिति का अध्यक्ष भी नामित किया गया है. इसके अलावा एक अन्य उल्लेखनीय अधिकारी जिन्हें राजनीतिक ब्यूरो का सदस्य बनाया गया है, उनमें विदेश मंत्री वांग यी हैं, जो पहले केंद्रीय समिति के सदस्य थे.

शी ने कहा कि चीन और दुनिया को एक दूसरे की आवश्यकता है और उन्होंने चीनी अर्थव्यवस्था की सकारात्मक तस्वीर पेश की, जो कोविड-19 के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के कारण मंदी के दौर से गुजर रही है. उन्होंने सीपीसी के काडर से कहा, ‘‘हमें चीनी संदर्भ में मार्क्सवाद को अपनाकर ऐतिहासिक पहल करनी चाहिए और नए युग में चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद के विकास में नए अध्याय को लिखना चाहिए.”

माओ त्से तुंग को छोड़कर चिनफिंग से पहले देश के सभी राष्ट्रपतियों ने लगभग तीन दशक तक 10 साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त होने के नियम का पालन किया. चिनफिंग की तीसरी बार सत्ता में वापसी से यह नियम औपचारिक रूप से समाप्त हो गया. चिनफिंग को पहले 2012 में चुना गया था और उनका 10 साल का कार्यकाल इस साल पूरा हो जाएगा.

पार्टी में नंबर दो समझे जाने वाले प्रधानमंत्री ली क्विंग समेत कई उदारवादी नेता 300 सदस्यीय केंद्रीय समिति में शनिवार को जगह बनाने में नाकाम रहे. सीपीसी के पांच साल में एक बार होने वाले महासम्मेलन (कांग्रेस) में वे समिति में चुने नहीं गए. समिति की रविवार को हुई बैठक में 25 सदस्यीय राजनीतिक ब्यूरो का चयन किया गया.

राजनीतिक ब्यूरो ने सात सदस्यीय स्थायी समिति का चयन किया, जिसने शी चिनफिंग को तीसरे कार्यकाल के लिए महासचिव चुना. चिनफिंग को अपेक्षा के अनुसार शनिवार को केंद्रीय समिति में चुना गया. इसके बाद उन्हें राजनीतिक ब्यूरो और फिर स्थायी समिति में चुना गया और वह आसानी से महासचिव चुन लिए गए. महासम्मेलन में पार्टी के संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन पारित कर उसकी ‘‘मूल” स्थिति को फिर से लागू कर निर्देश दिया गया कि उनके (चिनफिंग के) निर्देशों और सिद्धांतों का पालन करना पार्टी के सभी सदस्यों का ‘‘दायित्व” है.

पर्यवेक्षकों ने कहा कि राष्ट्रपति, पार्टी नेता एवं सैन्य प्रमुख के रूप में सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में चिनफिंग के उभरने और माओ के नक्शेकदम पर उनके इस पद पर आजीवन बने रहने की संभावना को चिंता एवं घबराहट के साथ देखा जा रहा है, क्योंकि एक पार्टी वाला देश अब एक नेता वाला देश बन गया है.

सीपीसी का सप्ताह भर चला 20वां महासम्मेलन शनिवार को नाटकीय अंदाज में सपंन्न हुआ था और मीडिया के सामने ही पूर्व राष्ट्रपति हु जिंताओ को ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल (संसद भवन) से बाहर ले जाया गया. यह घटना एक विडम्बना के रूप में देखी जा रही है, क्योंकि 79 वर्षीय हु ने 2012 में 10 साल पहले चिनफिंग को शांति से सत्ता सौंप दी थी. बहरहाल, आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनका स्वास्थ्य खराब है.

इस बीच, नए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक अलग केंद्रीय प्रशासन औपचारिक रूप से मार्च में कार्यभार संभालेगा. पार्टी के महासम्मेलन में शनिवार को इसके संविधान में संशोधन को भी मंजूरी दी गई, जिससे चीन के नेता के रूप में चिनफिंग का कद और बढ़ गया. चिनफिंग ने शनिवार को कहा कि संविधान में संशोधन पार्टी के समग्र नेतृत्व को बनाए रखने और मजबूत करने की स्पष्ट आवश्यकताओं को निर्धारित करता है.

उन्होंने महासम्मेलन के समापन सत्र में कहा, ‘‘संघर्ष करने की हिम्मत करो, जीतने की हिम्मत करो और कड़ी मेहनत करो. आगे बढ़ते रहने के लिए दृढ़ संकल्पित रहो.” चिनफिंग ने अमेरिका और पश्चिम में चीन के खिलाफ बढ़ती नकारात्मकता का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमें तेज हवाओं, भीषण लहरों और खतरनाक तूफान का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में नाटकीय बदलाव के बीच, विशेष रूप से ब्लैकमेल करने, रोकने (और) बाधित किए जाने के बाहरी प्रयासों के बीच चीन ने, हमने अपने राष्ट्रीय हितों को पहले रखा है.”

महासम्मेलन में पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग (सीसीडीआई) का नया दल भी नियुक्त किया गया, जो सीधे चिनफिंग के अधीन कार्य करता है. संशोधन संबंधी प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘नए युग के लिए चीनी विशेषताओं वाले समाजवाद पर चिनफिंग का विचार समकालीन चीन और 21वीं सदी का मार्क्सवाद है तथा इस युग की सर्वश्रेष्ठ चीनी संस्कृति एवं लोकाचार का प्रतीक है.”

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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