कोरोना काल में फिकी पड़ने के बाद इस दिवाली चमकी भारतीय अर्थव्यवस्था, जानें क्या है वजह
भारतीय खरीदार ऑनलाइन खरीदारी और दुकानों में वापस आ गए हैं. पिछले दो साल में कोरोनो महामारी के कारण फीकी पड़ी बाजार की रौनक इस त्योहारी सीजन में लौट आई है. कंसल्टिंग फर्म का अनुमान है कि त्योहारी सीजन की 22-30 सितंबर के बीच पहली बिक्री के दौरान ऑनलाइन मार्केटप्लेस Amazon.com इंक और वॉलमार्ट इंक के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट की बिक्री एक साल पहले की तुलना में 27 प्रतिशत बढ़कर 5.7 अरब डॉलर हो गई.
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व्यापारियों का अनुमान है कि दुकानों पर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये (30.2 अरब डॉलर) खर्च हुए होंगे. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल की दिवाली जो 24 अक्टूबर मनाया जा रहा है, जो विदेशों में मनाए जाने वाले क्रिसमस के बराबर होता है, भारत में उत्सव का पहला मौसम होगा जो महामारी वायरस से संबंधित प्रतिबंधों के बिना शुरू हुआ. खरीदारी की वापसी अर्थव्यवस्था की रीढ़को मजबूत करने के साथ ही, खपत को बढ़ावा देने का काम करेगी.
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के आंकड़ों से पता चलता है कि दिवाली से पहले नौ दिनों की ‘नवरात्रि’ अवधि के दौरान एक साल पहले की तुलना में नए वाहनों की बिक्री में 57 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. भारत में दोपहिया वाहनों की बिक्री (ग्रामीण मांग का एक संकेत) 2019 के स्तर से 3.7 प्रतिशत बढ़ी. सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के मुताबिक सितंबर में कारों और स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों की बिक्री एक साल पहले की तुलना में 92 फीसदी बढ़ी है.
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड ने अपनी कारों की मांग में सालाना आधार पर 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी, जिसका नेतृत्व इसकी प्रीमियम पेशकश से हुआ. जैसे ही माल की मांग बढ़ी, व्यवसायों ने क्षमता बढ़ा दी. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, बैंकों और गैर-बैंकों से वाणिज्यिक क्षेत्र में वित्तीय संसाधनों का कुल प्रवाह अप्रैल-सितंबर की अवधि के बीच लगभग पांच गुना बढ़कर 9.3 ट्रिलियन रुपये हो गया, जो एक साल पहले 1.7 ट्रिलियन रुपये था.
अच्छी मॉनसून बारिश और महामारी प्रतिबंधों के हटने के बाद कृषि, सेवा क्षेत्र व छोटे और मध्यम उद्यमों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है. इसके साथ ही सितंबर में बेरोजगारी दर में चार साल से अधिक समय में सबसे कम गिरावट आई थी. ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार से उपभोक्ता फर्मों को अपनी मूल्य निर्धारण रणनीति को सामान्य बनाने में भी मदद मिल रही है. आरबीआई के सर्वेक्षणों के अनुसार, आर्थिक सुधार आकार लेने और आय के स्तर को सामान्य करने के साथ, भारतीय परिवारों को अधिक खर्च करने की उम्मीद है.
इंडसइंड बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री गौरव कपूर ने कहा, “तीन साल में पहली बार इस त्योहारी सीजन में मजबूत मांग देखी जा रही है.” उन्होंने कहा, “साल की शुरुआत के बाद से, लोग वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च कर रहे हैं. मॉल की भीड़ बढ़ रही है. टिकट की ऊंची कीमतों के बावजूद एयरलाइन सीट अधिभोग दरों में उछाल आया है.”
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