रवीश कुमार का प्राइम टाइम: रुपया कमज़ोर नहीं, डॉलर मज़बूत! वित्त मंत्री के बयान पर क्या है आपकी राय?

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डॉलर को उसके हाल पर छोड दीजिए. उसने भारतीय रुपए को जितना कमजोर नहीं किया है उससे कहीं ज्यादा भारत की राजनीति को झूठा बना दिया है. उसके नाम पर दो हजार तेरह चौदह के साल में एक से एक उत्तर कर दिए गए. इन कुतर्कों ने कई लोगों को ने नेता बना दिया. अब डॉलर आपने झूठ का बदला लेना चाहता है. वह रुपए को छोडकर उन नेताओं और साधु बाबाओं का पीछा कर रहा है जो कुतर्क गढ़ रहे थे कि रुपया कमजोर होता है तो सरकार की साख समाप्त हो जाती है और एक डॉलर चालीस रुपए का हो जाएगा. जब मोदी जी आएँगे, उन्हें पता था कि ऐसा होना नहीं है. उन्हें यह भी पता था कि जनता में कुतर्क और झूठ की भूख बहुत बढ गई है. इसलिए सप्लाई में कमी नहीं होनी चाहिए. जो लोग आज के से दो हजार तेरह के आधार पर जवाब मांग रहे हैं, उन्हें जवाब नहीं मिलेगा.

उम्मीद है गोदी मीडिया ने निर्मला सीतारमण के बयान को चर्चा लायक नहीं समझा होगा. एक अपराधबोध की तरह ये मुद्दा भारत के राजनीतिक मानस में धंसा रहेगा. इसलिए दो हजार चौदह के मुद्दे और वादे भूत बनकर जनता का पीछा करते रहेंगे. जब तक दो हजार तेरह चौदह के समय के डॉलर एक्स्पर्ट और आज के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी सफाई नहीं देंगे, तब ऐसा क्यों कहा करते थे? तब तक वित्त मंत्री को इसकी शिकायत नहीं करनी चाहिए कि उनकी बात को ठीक से नहीं समझा जा रहा. हर जगह यही हैडलाइन है कि रुपया कमजोर नहीं हुआ है. डॉलर मजबूत हो गया है. आज एक भी रुपया ही कमजोर हुआ है और डॉलर मजबूत हुआ है. एक डॉलर बयासी रुपये उनतालीस पैसे के भाव पर पहुँच गया. फर्स्ट फॉर आर्ट रूपी उं लाइडिंग ऍम डॉलर्स ट्रॅफी डॉलर्स ट्रॅाली. सो भी इसलिए ऑल करुँगी. परफॉर्मिंग कॅालिंग डोनर ऍम ऍम रूपी प्रॉक्टर एट इन फेवरट डॉलर स्टॉक मुँह फॅस. डॉलर मजबूत हुआ है. रुपया कमजोर नहीं हुआ है. इस एक लाइन को लेकर सोशल मीडिया में खूब लतीफे बनाए जा रहे हैं. यही राजनीति दो हजार चौदह में इस देश में आयी. अब वो पलट कर वही करना सीख गई है. कोई कह रहा है कि न्यूटन जी होते तो कहते कि सेव पेड से नहीं गिरा था. धरती पेड के पास उठकर आ गई थी, जो भी है गोदी मीडिया को इस पर बहस करनी चाहिए थी ताकि यह मुद्दा कहीं तो जाकर ठहरे. उसका समापन हो या मसला हंसी मजाक का नहीं है बल्कि पत्रकारिता का है और जवाबदेही का है.

महंगाई बढ़ती जा रही है. सितंबर में महंगाई की दर सात दशमलव चार प्रतिशत पर पहुंच गयी. इस महीने भी तमाम चीजों के दाम बढ़ते जा रहे हैं. वित्त मंत्री कह सकती हैं कि चीजों के दाम बढ़ रहे हैं. महंगाई नहीं बढ़ रही है. राशन दुकानदार अशोक पुराना तनाव में हैं. कहते हैं खाने के तेल और घी से लेकर आता साबुन, डिटर्जेंट तक सब महंगे हो गए हैं और बिक्री भी पिछले एक महीने में पचास फीसदी तक घट गई है. अक्टूबर के पहले हफ्ते तक खाने पीने के तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज हुई थी और एक नया ट्रेंड दिख रहा था. कीमतें धीरे धीरे घटने लगी थी, लेकिन पिछले एक हफ्ते में एक बार फिर खाने पीने के तेल की कीमतें जो है वो बढ़ने लगी है और सबसे ज्यादा बढ़ोतरी सरसों के तेल और सोयाबीन रिफाइंड तेल में हुआ है, जिनकी कीमतें पिछले एक हफ्ते में पंद्रह से बीस रुपए प्रति लीटर तक बढ़ गई है. पिछले ऍम सोयाबीन रिफाइंड मस्टर्ड ऑयल दोनों की कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ी. फॅमिली स्ट पंद्रह से बीस रुपए किलो दोनों दोनों एक हफ्ते पहले कितनी थी और ऍम एक हफ्ता पहले वन थर्टी टू वन फोर्टी फाइव वन फिफ्टी हो गया और बराबर बढता जा रहा. सोमवार को महंगाई पर खाद्य मंत्रालय का रुख करते हुए खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी असामान्य नहीं है.

खाद्य सचिव के मुताबिक गेहूँ निर्यात को नियंत्रित करने से देश में गेहूँ की कीमतों पर काबू पाने में मदद मिली है. मैं ये फिगर से आपको यही शो करने की कोशिश कर रहा हूँ कि ये असामान्य नहीं है. ये फिर आपके सामने हैं, जिनको आप यूज कर सकते हैं. ये असामान्य नहीं है जब गवर्नमेंट को लगेगा कि ये ऍम नॉर्मल इन्क्रीज है. गवर्नमेंट इंटरवीन करेगी टीवी से बातचीत में फुटबॉल परेश इन इंडिया के चेयरमैन अशोक मीणा ने कहा, देश में खाद्य सुरक्षा के लिए अगले साल अप्रैल तक की जरूरत के मुताबिक हूँ और चाय बल्कि पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होंगे. गेहूँ की हमारी रिक्वायरमेंट फर्स्ट अक्टूबर को जो होते हैं और जो परेशां रिक्वायरमेंट है उस हिसाब से दो सौ पाँच लाख होना चाहिए और जो मेरा स्टॉक रहा है फर्स्ट अक्टूबर को वो है दो दो सौ सत्ताईस लाख. सरकार का आकलन है कि रबी सीजन के दौरान गेहूं की पैदावार सामान्य रहेगी और इस वजह से आने वाले महीनों में गेहूँ की उपलब्धता जरूरत के मुताबिक बनी रहेगी. दिल्ली से अश्विनी मेहरा के साथ इंडिया खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने गेहूँ की बढ़ती कीमतों पर कहा कि जितना बढ़ा चढ़ाकर बताया जा रहा है उस अनुपात में कीमतें इतनी भी असामान्य तरीके से नहीं बढ़ रही हैं. चुनावों का दाम पर असर पड़ने लगा है. जहाँ चुनाव है वहां रेट अलग है. गुजरात सरकार ने सी ऍम जी और पि ऍफ में दस प्रतिशत की कमी कर दी है.

दोनों का रेट कई शहर में काफी तेजी से बढ़ा है. आज कैबिनेट मंत्री गुजरात के कैबिनेट मंत्री जीतू वघानी ने बताया कि दीवाली से पहले गुजरात की जनता को गैस सिलिंडर पर साढ़े छह सौ करोड़ की राहत दी जाएगी. इससे अड़तीस लाख उपभोक्ताओं को फायदा होगा. उज्ज्वला योजना के हर उपभोक्ता को साल में दो सिलिंडर मुफ्त दिए जाएंगे. दिव्य भास्कर ने इसे गॅाड लिखा है. क्या गोदी मीडिया प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करेगा कि कहाँ गए मुफ्त की रेवडी की बहस जिसे महान विचार बनाकर हफ्तों पन्ने भरे गए और डीबेट किए गए. असल में आपको ये खेल समझना होगा. इसी तरह का महान सा लगने वाला आइडी समय समय पर क्यों लाया जाता है ताकि उसके बहाने इस तरह से चर्चा हो कि ये काम हो जाता तो बाकी सारे सवालों के जवाब मिल जाते. हमारे आपके दुख दूर हो जाते हैं. फिर उसके नाम पर उस समय के जरूरी सवाल गायब कर दिए जाते हैं. सिंपल सवाल है जब गुजरात का इतना विकास हुआ है, विकास के मामले में गुजरात एक मिडल है, तब वहाँ के लोगों को राहत देने के लिए साढ़े सोलह सौ करोड़ की सब्सिडी की क्या जरूरत पड़ गयी. कम ही काफी था. काम दिखाकर भी वोट लिया जा सकता था. क्या ये रेवडी नहीं है? क्या गोदी मीडिया पूछ सकता है? क्योंकि रेवडियों के खिलाफ बहस वही कर रहा था.

इस उसके बाद भी इस पोस्टर को देखकर आप खुश नहीं हो सकता. मध्य प्रदेश के दामों में प्रेस क्लब में पोस्टर ही लगा दिया कि दलाल पत्रकारों पत्रकारिता छोड़ दो. इस से पता चलता है कि प्रेस के भीतर काम करने वाले पत्रकारों का भी दम घुटता जा रहा है. वे गोदी मीडिया करण को झेल नहीं पा रहे हैं. हर अच्छा पत्रकार अपने भीतर किसी बड़ी खबर को लेकर घूम रहा है. मगर वो ना छप रही है न दिखाई जा रही. यह पोस्टर दामों की जनता से संवाद कर रहा है. उन का आह्वान कर रहा है कि इस हालत को जनता समझे वरना प्रेस क्लब की तरफ से यह पोस्टर नहीं लगाया जा रहा है. यह पोस्टर शहर के लोगों को दीपावली की शुभकामनाएं देने के लिए है, लेकिन इस पर यह भी लिखा है कि दलालों पत्रकारिता छोड इस बात की राहत है कि ये पोस्टर वॉशिंगटन पोस्ट में नहीं छपा है बल्कि भारत के पत्रकारों ने ही छपवाकर भारत में लगवा दिया. पत्रकारिता की ये हालत हो जाएगी किसने सोचा था. ऐसे लोग जो पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं, दलाली कर रहे हैं, नेताओं की चमचा के लिए कर रहे है, सच्चाई को छुपाकर उनका गुणगान कर रहे हैं. ऐसे लोगों के बहिष्कार के लिए हम लोगों ने यह होर्डिंग लगाया है और हम लोगों का यह प्रयास है कि ऐसे लोग जो दलाली करके पत्रकारिता वो बदनाम कर रहे हैं उन का बहिष्कार किया जाना चाहिए. इस चीज के लिए कुछ परसों पहले तक पत्रकारिता हम देखते थे. चाहे होती थी पत्रकारिता लोग बात करके करके पत्रकारिता में आते थे, अध्ययन करते थे, जुझारू हुआ करते थे, पराकाष्ठा हो चुकी है. जहाँ सवाल होना चाहिए थे, वहाँ पत्रकार कर रहे है सरकार की सत्ता की और संवाददाता के रूप में पार्टी के प्रतिनिधि बनके ऍम करिंग करते तब लगने लगता है कि गिर रही है पत्रकारिता का.

क्या आपने ईडी और सीबीआई के सामने कभी भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों, नेताओं की पेशी देखी है? क्या ये मान लिया जाए कि कोई भ्रष्टाचार ही नहीं हो रहा है? या फिर भारत की राजनीति में जितने भी ईमानदार लोग हैं वो सब बीजेपी में आ गए हैं और बीजेपी में भी पहले से है. अगर ये एजेंसियां स्वतंत्र है तो क्यों हर बार विपक्ष का कोई मुख्य चेहरा बुलाया जाता है और गिरफ्तार होता है. सरकार इन आलोचनाओं के साथ अब सामान्य हो. एजेंसियां स्वतंत्र है, यह कहकर अपना काम चला लेती है और एजेंसियां अपना काम करती रहती है. जून के महीने में जब केस के मामले में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी से कई घंटे की पूछताछ हुई, तब आधिकारिक तौर पर पता ही नहीं चला कि इससे निकला किया सूत्रों के हवाले से खबरें छपती रही. राहुल गाँधी से ने बारह घंटे की पूछताछ की. राहुल गाँधी भी जब पूछताछ के लिए गए तो उनके साथ कांग्रेस के नेता पैदल चलने लगे. कांग्रेस ने जवाब देने की कोशिश की. इन छापों और पूछताछ से डरने वाली नहीं है. पूछताछ के बाद कांग्रेस मुख्यालय में एक कार्यक्रम भी हुआ जिसमें एक तरह से राहुल का सम्मान किया गया. राहुल गाँधी ने खुद को भगत सिंह तो नहीं बताया मगर ये जरूर कहा कि वे विपश्यना करते हैं और ये पूछताछ इसलिए हो रही है कि काँग्रेस अग्निवीर योजना से लेकर बेरोजगारी के सवालों को उठाती रही है. आखिरी दिन कहते हैं राहुल जी आपने इतनी पेशेंट ली सवाल का जवाब दिए.

हर सवाल को अपने सुना आपने जवाब दिया फिर आपने चेक किया तो इतनी पेशेंट आप में से आपको कहाँ से मिल गई? आप जानते हो पेशेंट कहाँ से आई कह देना था कांग्रेस पार्टी में दो हजार चार से काम कर रहा हूँ. पेशेंट नहीं आएगी तो क्या आएगी इस बात को. काँग्रेस पार्टी का हर नेता समझता है. देखो बैठे हुए सचिन पायलट कि बैठे हुए हैं. विपक्ष अब मानसिक रूप से तैयार होने लगा है कि जाँच एजेंसियों का सामना करना पड़ेगा. कुछ विपक्षी दल एक साथ आलोचना करते हैं तो कुछ नहीं अपनी राह चुन ली है. अकेले लड़ रहे हैं. आज ही ईडी मामले में शिवसेना के नेता संजय राउत की जमानत को लेकर सुनवाई होनी थी. टल गई. आज संजय राउत की न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त हो रही थी. उधर आम आदमी पार्टी आज कई घंटे तक सीबीआई मुख्यालय के बाहर जमी रही और जाँच एजेंसी से लेकर मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाती रही. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डेढ़ सौ दिनों से जेल में हैं रॉ के जिला जज ने ईडी की मांग पर सत्येंद्र जैन का मामला दूसरे कोर्ट में ट्रान्स्फर कर दिया था. इसे सत्येंद्र जैन ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. मगर वहाँ उनकी याचिका रद हो गई. इसके बाद जैन सुप्रीम कोर्ट गए. वहाँ से आज अपनी याचिका उन्होंने वापस ले ली क्योंकि मंगलवार को जयंती याचिका पर नियमित सुनवाई होनी है. सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पूछताछ के लिए बुला लिया तो पार्टी ने भी अभी ज्ञान छेड दिया की गिरफ्तारी की योजना है. मनीष सिसोदिया के बयान के साथ एक पोस्टर जारी किया गया कि मेरे जेल जाने पर मत करना गर्व करना. मनीष सिसोदिया की तस्वीरों के के साथ आम आदमी पार्टी ने एक और पोस्टर जारी किया और उस पर लिखा आज के भगत सिंह. इस पोस्टर में अनिमेष इनका इस्तेमाल किया गया जिसमें सिसोदिया को बच्चों का रक्षक दर्शाया गया है.

वे तमाम हमलों को ढाल से रोक रहे हैं ताकि बच्चे की पढ़ाई पर असर ना पड़े. प्रेस कांफ्रेंस में आतिशी ने कहा कि मनीष सिसोदिया भगत सिंह जी का बसंती रंग पहन कर सीबीआई मुख्यालय गए. अरविंद केजरीवाल, सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को भगत सिंह बता रहे हैं. जब सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया गया तब से अरविंद केजरीवाल कहते आ रहे हैं कि मनीष सिसोदिया को भी गिरफ्तार किया जाएगा. आम आदमी पार्टी इसे गुजरात के चुनाव से जोड़ रही है. पार्टी यह भी नारा लगा रही है कि आठ दिसंबर को जब गुजरात और हिमाचल के नतीजे आएंगे तब जेल के ताले टूटेंगे. जिस तरह से आम आदमी पार्टी मनीष सिसोदिया से सीबीआई की पूछताछ को गुजरात से जोड रही है, लगता है हिमाचल प्रदेश उसको छोड़ दे रही है. मनीष सिसोदिया सीबीआई दफ्तर जाने से पहले राजघाट गए रोड शो भी किया. इस दौरान सीबीआई मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे संजय सिंह समेत आम आदमी पार्टी के कई नेताओं को हिरासत में भी लिया गया. मुकेश सिंह सिंगर की ये रिपोर्ट देखिए… इसीलिए बीजेपी घबरा गई है. बीजेपी डर गई है और इसीलिए केस मेरे ऊपर करवा के मुझको जेल में डालना चाहती है. लेकिन मैं आपको ये कहना चाहता हूँ कि हम लोग भगत सिंह के लोग हैं, हम जेल जाने से नहीं जाते. सोमवार सुबह नौ बजे मनीष सिसोदिया ने माँ का आशीर्वाद लिया और फिर ये कहते हुए निकल पड़े कि वो सीबीआई मुख्यालय जा रहे हैं.

पूछताछ के लिए इन लोगों ने आज मुझे सीबीआई में बुलाया है. इनकी तैयारी अब मुझ को गिरफ्तार करने की है. उन्होंने पहले सीबीआई रेड कराई, मेरे इस घर में इन को उसमें कुछ नहीं मिला. एक पैसे का कोई भ्रष्टाचार नहीं मिला, इनको मेरे घर में ये पूरा केस मेरे खिलाफ जो चलाया जा रहा है, पूरा फर्जी केस है. इनका मकसद मुझे गिरफ्तार करके जेल में डालना है, ताकि मैं गुजरात ना जा सकूँ, लेकिन सिसोदिया घर से सीधे पार्टी मुख्यालय गई जहाँ से एक रोड शो निकला. देश भक्ति के गानों के साथ उनका काफिला राजघाट पहुंचा. बापू को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद वो सुबह सवा ग्यारह बजे सीबीआई मुख्यालय पहुंचे और आबकारी पाँच. इसी में कथित घोटाले को लेकर उनसे पूछताछ शुरू हुई. बीजेपी ने उनके रोड शो को एक ड्रामा करार दिया. आज सुबह से ही हाँ और आम आदमी पार्टी की नौटंकी हम सभी टॅाम के माध्यम से देख पा रहे हैं. अगर वर्ल्ड कप होगा करप्शन का तो आम आदमी पार्टी उसमें दुनिया की नंबर एक पार्टी साबित होगी. सिद्धू होगी तो ये कहना आज अतिश्योक्ति नहीं होगा कि जिस प्रकार की दृश्य आज भारत देख रही है ये आम आदमी पार्टी का ऍफ करप शिन आप कार्यकर्ताओं को सीबीआई मुख्यालय तक आने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने सुबह से ही सडक बंद कर रिकेट इंग् की हुई थी. करीब दो सौ आप कार्यकर्ता बैरिकेट के पास इकट्ठा हो गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे. करीब साढ़े बारह बजे पुलिस ने कार्रवाई शुरू की और आप नेताओं को इस तरह से उठाकर उन्हें डिटेन किया गया. इनमें संजय सिंह समेत कई आप नेता शामिल हैं.

इस दौरान आपकी कई महिला कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर बदसलूकी के आरोप लगाये. गाली दे रहा है पुलिस महिलाओं गालियाँ पहुंच क्या आप लोग इसलिए यहाँ पर आए थे. हम लोग इसलिए आया है ये गुजरात में चुनाव हो रहे हैं और इन को चुनाव हारने मनीष सिसोदिया जी उन्होंने गिरफ्तार कर लिया है. मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में आबकारी मंत्री हैं. आरोप है कि उन्होंने शराब कारोबारियों के साथ मिलकर ऐसी नीति बनाई जिससे शराब कारोबारियों को लाभ मिला और उसके बाल दी. सिसोदिया और उनके करीबियों को कमिशन दिया गया जिसमें शराब के ठेकों के लाइसेंस से लेकर ऍफ करने और डिस्ट्रिब्यूशन में गड़बड़ी तक के आरोप ने जो केस दर्ज किया है उसमें सिसोदिया आरोपी नंबर वन हैं. अभी उन्होंने गुजरात आना था, लेकिन आज इन लोगों ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया. वो नहीं चाहते कि मनीष सिसोदिया गुजरात में जाके चुनाव का प्रचार करें. एक महीने तक ये मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करेंगे. जैसे ही आठ तारीख को नतीजे आएंगे गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी जेल के ताने, मनीष सिसोदिया छूटेंगे इस घोटाले को लेकर ने भी मनी लॉन्डरिंग का केस दर्ज किया है. चार बार छापेमारी कर आरोपियों के करीब डेढ़ सौ परिसरों की तलाशी ले चुकी है ने इस मामले में दिल्ली के जोरबाग में रहने वाले शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया है. जबकि सीबीआई आप नेता विजय नायर और हैदराबाद के शराब कारोबार से जुडे अभिषेक बोवेनपल्ली को गिरफ्तार कर चुकी है. सीबीआई की टीम मनीष सिसोदिया के घर में चौदह घंटे तक तलाशी अभियान चलाती रही. उनका मोबाइल फोन जब्त किया गया. उनके बैंक लॉकर देखे गए. सीबीआई की टीम उनके गाँव तक गई, लेकिन ये पहला मौका है जब सीबीआई ने मनीष सिसोदिया का बयान दर्ज किया है. सीबीआई का दावा है कि दूसरे आरोपियों से पूछताछ और कुछ सबूतों के मिलने के बाद मनीष सिसोदिया से पूछताछ का आधार बना. हालांकि इस कार्रवाई को सियासी कार्यवाही भी कहा जा रहा है. अब देखना होगा कि जाँच एजेंसी मनीष सिसोदिया पर शिकंजा कहाँ तक कसेगी. नई दिल्ली से कॅश मनोज ठाकुर के साथ मैं मुकेश सिंह.


जांच एजेंसियों को चाहिए कि वे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सभी सवालों का सामना करें और बताए कि क्या क्या आरोप है और छापों में क्या क्या मिल रहा है. सूत्रों के हवाले से आने वाली सूचनाएँ राजनीतिक रूप से एकतरफा माहौल बनाने लग जाती है तो मनीष सिसोदिया को भी कहने का मौका मिल जाता है कि घर और गाँव में जांच हो गई है. कुछ मिला नहीं तो का रास्ता खोज रहे हैं. सन दो हजार के बाद कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ है. शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खरगे के लिए वोट डाले गए. उन्नीस अक्टूबर को नतीजे आएंगे. इस चुनाव को जानकार नाटक बता रहे हैं. वहीं जानकार बीजेपी के अध्यक्ष के चुनाव को लेकर कुछ नहीं बता रहे. जेपी नड्डा पहले मनोनीत किए गए फिर बिना विरोध के निर्वाचित किए गए और अब उनका कार्यकाल दो हजार चौबीस के लिए बढ़ा दिया गया है. प्रतीकात्मक रूप से ही सही कांग्रेस पार्टी में दो पक्ष चुनाव करते नजर आए. दोनों ने पार्टी के भीतर और बाहर दिए गए इंटरव्यू में पार्टी को लेकर बहुत सारी बातें रखीं. आलोचनाएं भी कि बीजेपी दुनिया की सबसे बडी पार्टी बन गई. वहीं अध्यक्ष पद का चुनाव वहाँ पर कैसे होता है किसी को पता नहीं.

उमा शंकर सिंह और हमारे तमाम सहयोगियों की ये रिपोर्ट देखिए फ्रॉड वोटिंग सचिन पायलट अकेले कॉंग्रेस नेता नहीं है जो पहली बार काँग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वोट दे रहे हैं. काँग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव करीब बाईस साल बाद हो रहा है और काँग्रेस की एक पूरी पीढ़ी इस दौरान युवा कार्यकर्ताओं से अब अनुभवी नेताओं में बदल चुकी है जो अपने अपने राज्यों में स्थापित हो चुके हैं और अब कॉंग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. फॅमिली तो किसी के लिए भी वोट डाल सकता है, लेकिन जो प्रक्रिया है वो बड़ी, निष्पक्ष रही और बडे तरीके से चुनाव प्रचार भी हुआ है. लोगों ने अपनी बात को रखा है और दो प्रत्याशी थे और दोनों अच्छे कांग्रेस नेता है और उन्नीस तारीख को मत करने के बाद में अध्यक्ष मिले. इस बार काँग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की एक खास बात ये है कि इसमें खड़े दोनों उम्मीदवार गाँधी परिवार से बाहर के हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर दोनों ही उम्मीदवारों ने अपने वोट अपने गृह राज्यों में डाले. मल्लिकार्जुन खडगे ने जहाँ अपना वोट कर्नाटक के बेंगलुरु में डाला वहीं शशि थरूर ने केरल के तिरुवनंतपुरम में मतदान किया. बीते चालीस दिन से भारत जोडो यात्रा में शामिल राहुल गांधी ने कर्नाटक के बेल्लारी में मतदान किया. उन के साथ उनतालीस और डेलिगेट्स ने वोट डाले. इसके लिए भारत जोडो यात्रा के रास्ते में ही एक खास बूत बनाया गया था. काँग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिल्ली में मतदान किया. फॅस अस्सी की उम्र छू रहे मल्लिकार्जुन खडगे की उम्मीदवारी के पीछे गांधी परिवार का समर्थन देखा जा रहा है.

खड़गे अनुसूचित जाति से आते हैं और लगातार नौ बार विधान सभा चुनाव जीत चुके हैं. उन्हें सोलह लादा सरदार यानी अजय योद्धा कहा जाता है. अध्यक्ष पद के चुनाव में भी उन्हें अपनी जीत का पूरा भरोसा है. मुँह-मुँह पाँच और इंटरनल ऍम अस ऍम डिस्कॅाम मुँह नतिन. बिल्ड पार्टी टुडे आई कॉल ऍम अस ऍम फोर टो वर्किंग ऍफ टर मुँह ऍम. इस चुनाव में मल्लिकार्जुन खडगे की जीत तय मानी जा रही है. वो जीते तो कर्नाटक से कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे नेता होंगे. उनसे पहले एस निजलिंगप्पा उन्नीस सौ अडसठ से उनहत्तर तक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं. उस समय भी काँग्रेस में संकट का दौर था और अब भी कांग्रिस संकट में है और किसी के लिए भी अध्यक्ष पद को निभाना एक बड़ी चुनौती होने जा रहा है. नए काँग्रेस अध्यक्ष को पदभार संभालते ही अग्नि परीक्षा देनी होगी. राजस्थान में सत्ता का संघर्ष थमा है. पूरी तरह से नहीं हुआ. इसके बाद दो हजार चौबीस का आम चुनाव सामने राजस्थान काँग्रेस में सत्ता संघर्ष अभी ताजा ही है. पूरी तरह थमा नहीं. राजस्थान ही नहीं कई राज्यों में पार्टी के अनुभवी नेताओं को युवाओं से चुनौती मिल रही है. अनुभवी नेताओं के बीच भी संघर्ष आए दिन देखने को मिलता है. नए अध्यक्ष के लिए इस सब के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती रहेगी. कल के साथ बहुत भारी जीतेंगे. अनुभव व्यक्ति देनी है उनका अनुभव भी कम आएगा और अनुभव से ही काम होता है. देखिए युवा शक्ति होती है वो अपनी मेहनत कर सकती है. अनुभव का कोई विकल्प नहीं होता है.

कायदे से काँग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में अशोक गहलोत को शामिल होना था लेकिन वो शुरू में ही इससे बाहर हो गए और जिस समाधान की कांग्रेस को तलाश थी वो अब उनके लिए सबसे बड़ा संकट बन चुका है. देश की आजादी के पचहत्तर सालों में बयालीस साल कांग्रेस का अध्यक्ष पद गांधी परिवार के पास रहा और तैंतीस साल गांधी परिवार के बाहर. एक बार फिर अध्यक्ष पद गांधी परिवार के बाहर रहेगा. जो भी नया अध्यक्ष होगा उसे राहुल की भारत जोडो यात्रा से ताकत जरूर मिलेगी, लेकिन उस ताकत को वो कैसे आगामी राज्य विधानसभा चुनाव और दो हजार चौबीस के आम चुनाव में भुना पाएगा ये देखना दिलचस्प रहेगा. पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव के लिए कांग्रेस में लंबा मंथन चला. नए अध्यक्ष के लिए चुनाव का अध्याय हो चुका है. उन्नीस अक्टूबर को मतगणना की औपचारिकता होगी. चौबीस साल बाद कांग्रेस को कोई नया गैर गाँधी अध्यक्ष मिलने जा रहा है, लेकिन देखना है कि चौबीस में वो पार्टी को क्या देते हैं. रिपोर्ट के साथ उमा शंकर सिंह एनडीटीवी इंडिया.

कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वो इतिहास का दर्दनाक हिस्सा है. लेकिन उन्हें लेकर जो राजनीति हुई जिस तरह से उनका राजनीतिक इस्तेमाल हुआ वो और भी दर्दनाक है. जब कश्मीर फाइव फिल्म आयी तो ऍम यूनिवर्सिटी के जरिए हाउसिंग सोसाइटी के मॅन ओने माहौल बनाना शुरू कर दिया. गोदी मीडिया भी लग गया. लोगों से अपील की जाने लगी की इस फिल्म को देखने आइए देश की रक्षा से जुड़ी, लेकिन वही कश्मीरी पंडित अपने ही नाम पर की जाने वाली राजनीति से लगता है बाहर कर दिए गए. जम्मू कश्मीर में जब से कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों ने निशाना बनाया है, कश्मीरी पंडित असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. जाहिर है उनके साथ जो अतीत में हुआ है ऐसी घटनाओं से उनके मन में आशंकाएं पैदा होंगी. कश्मीरी पंडित घाटी में भी प्रदर्शन करते रहे. कई दिनों तक माता की औरत, माता की कश्मीर जम्मू तक इन कश्मीरी पंडितों की मायूसी भरी आवाज ना केंद्र सरकार तक पहुँच रही है और ना ही जम्मू कश्मीर के प्रशासन का भाई तेरे बलिदान. पिछले एक सौ अट्ठावन दिनों से ये जम्मू के इलाके में प्रदर्शन कर रहे हैं कि इन लोगों को रीलोकेट किया जाए क्योंकि उनकी जान घाटी में सुरक्षित नहीं है. सरकार ने तो इनकी आवाज नहीं सुनी लेकिन स्पीच कई और टारगेट किलिंग हो गई.

मोदी जी आप हमें बताइए करना क्या है? हमें जीना है या मारना है. आप हमारे करता डर बताइए. इन लोगों का दावा है कि कश्मीर में सुरक्षा हालत गंभीर है, लेकिन केंद्र सरकार इससे बेपरवाह और बस सामान्य हालात की रट लगाए हुए हैं. जिस सरकार ने इस समाज को बचाने की बात की थी, इस समाज को न्याय दिलाने की बात की थी, आज वहीं सरकार आंखें मूंदे हुए बैठी है. मौन व्रत धारण करे हुए बैठी है. कश्मीरी पंडित समाज पिछले पाँच महीनों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं. मोदी जी से बता रहा है कि मोदी जी हमारी जाने बचाइए. कश्मीरी पंडित डेढ साल में मारे गए हैं. तेईस हिंदू कश्मीर में मारे गए टूरिजम की वाहवाही लूटी जाती है. ट्विटर पे गीत गाए जाते हैं बट यह हिंदू समाज जो कि पिछले बत्तीस साल से प्रताडित है, इसकी आवाज नहीं सुनाई. घाटी में फिलहाल आठ सौ कश्मीरी पंडितों के परिवार हैं लेकिन अब ताजा हत्याओं के बाद उनमें से भी कई घाटी छोड रहे हैं. उधर पंडितों को घाटी छोड़ता देख प्रशासन ने बायोमीट्रिक से हाजिरी शुरू कर दी है. लोग इसे भी खतरनाक मानते हैं क्योंकि इससे उनकी मौजूदगी किसी भी दफ्तर में निश्चित की जा सकती है. शोपियां, कुपवाडा, बांदीपुरा में ज्यादातर लोग डर के मारे अपनी नौकरी पर रिपोर्ट नहीं कर पा रहे हैं, जिसके चलते प्रशासन ने अब इन की तनख्वाह काट ली है.  हर बार हमारे को फॅस बंद की जा रही है. अभी भी हमारी पाँच महीने छह महीने इसी तरीके से सांस बंद रखी जा रही है, जबकि फेस्टिवल सी दिवाली है.

आगे हर एक को बोनस मिलता है. इस चीज के लिए हर एक जगह पे खुशियाँ मनाई जाती हैं पर हमारे घर में हमेशा अंधेरा ही रहता है. फैमिली महोदय द्वारा एक नोडल ऑफिसर बट से कहना पड़ रहा है आज तक वो हमारे पास यहाँ लेने नहीं हम आज गवर्न्मेंट करते ऍम फारुख अब्दुल्लाह का कहना है कि भारत सरकार के दावे फेल हो चुके हैं. फॅमिली होगा जब तक इंसाफ नहीं होगा कभी बंद नहीं और उसको बंद करने के लिए जितने लोग शोर करते हैं कहते हैं कहते थे पहले तीन सौ सत्तर से आज तो तीन सौ सत्तर नहीं हो रही है और कौन है? बताइए मुझे कश्मीर घाटी इस साल ना जाने कितनी बार लाल हो चुकी है. कश्मीरी पंडितों का ये आरोप है कि राजनीतिक पार्टियों को सिर्फ चुनाव लडने से मतलब है. उनकी सुधबुध लेने का समय उनके पास नहीं है. इस बीच विपक्ष का यह आरोप है कि धारा तीन सौ सत्तर हटाए जाने के बावजूद भी घाटी में ना तो आतंकवाद और ना ही अलगाववाद हुआ है. नई दिल्ली से अनीता शर्मा एनडीटीवी इंडिया के लिए महाराष्ट्र में अंधेरी पूर्व की सीट पर उपचुनाव हो रहा है.


बीजेपी ने मूरजी पटेल की उम्मीदवारी वापस ले ली है. उद्धव ठाकरे को बेदखल करने के बाद यह पहला चुनाव है, जहाँ ठाकरे बनाम शाह के बीच परीक्षा होती, लेकिन बीजेपी ने अपना उम्मीदवार ही वापस ले लिया. दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी इस तरह से बीजेपी और उद्धव ठाकरे शिवसेना गुट अब आमने- सामने नहीं होंगे. बात अगर किसी परंपरा की है या थी तो बीजेपी को उम्मीदवारी का ऐलान करते समय इसका ध्यान क्यों नहीं आया. पहले राज ठाकरे, श्री शरद पवार और एकनाथ शिंदे गुट के विधायक प्रताप सरनाईक की अपील काम कर गई. बीजेपी ने अंधेरी विधानसभा उपचुनाव से अपने उम्मीदवार मूरमी पटेल का नाम वापस लेने की घोषणा कर पार्टी के कार्यकर्ता है पार्टी किसी दिवंगत विधायक की पत्नी जब चुनाव लगती है तो सहानुभूतिपूर्वक की बाते होनी चाहिए. ये महाराष्ट्र की संस्कृति है और मुझे लगता है ये संस्कृति की हम ने सब ने बात करनी चाहिए. महाराष्ट्र का इतिहास की बात करनी चाहिए. महाराष्ट्र को आगे लेके जाने की बात करनी चाहिए शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे गुट की उम्मीदवार ऋतुजा लटके ने इसके लिए सभी दलों का आभार माना भाजपा के या किसी जिन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया है और जिन्होंने बताया कि आप ये ऍम विरोध होना चाहिए उन सब के मैं आभारी. महाराष्ट्र में सांसदों विधायकों की मौत के बाद उसके परिवार वालों की उम्मीदवारी पर अमूमन दूसरे दलों के उम्मीदवार ना खडे करने का चलन है. हालांकि अंधेरी में ये परंपरा टूटी लग रही थी. चौदह अक्टूबर को लटके और मुर्गी पटेल दोनों ने अपने हजारों समर्थकों के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए अपना नामांकन पर्चा भरा था. फिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक से सबको महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा याद आ गई.

शिवसेना इसे बीजेपी की हर का डर बता रही है. उन्होंने खेल रचा की अपनी बी टीम को कहा कि आप एक पत्र लिखिए. सीटिंग को कहा आप एक पत्र लिखिए ताकि हम ये महाराष्ट्र की जनता के सामने मुंबई की जनता के सामने कह सकें कि हम आप लोगों के निवेदन से पीछे जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि बीजेपी को हार का डर सता रहा था और डर के मारे भागे हुए हैं. वो कोई सहानुभूति, कोई नैतिकता, इन सब से बीजेपी का कोई लेना देना नहीं. हालांकि रमेश लटके के निधन पर उनकी पत्नी के सामने कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं करने का सुझाव देने वाले शरद पवार ने बीजेपी के फैसले का स्वागत किया है.

जल्दी कर सकता है फॅमिली किया है उन्होंने कहा कि क्या है हम? जब से बीजेपी शिवसेना अलग हुई है तब से महाराष्ट्र की राजनीति में कटुता बढ गई है. एक ना शिंदे की बगावत के बाद से तो नफरत की राजनीति राजनीति चरम पर है. पिछले जानकारों का मानना है कि बीजेपी के इस फैसले में महाराष्ट्र की राजनीतिक परंपरा का सम्मान कम भविष्य के राजनीतिक समीकरण गुणा भाग जा रहा है. मुंबई से कॅाम इंडिया के लिए अगर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार वापस लिया होता, कल्पना कीजिए या उद्धव ठाकरे ने अपना उम्मीदवार वापस लिया होता तो गोदी मीडिया क्या करता. यही कारण है कि इतने सारे चैनल और अखबार के होने के बाद भी बहुत कम जानकारियाँ आप तक पहुँच रही हैं. ब्रेक ले लीजिये. छत्तीसगढ की गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपए प्रति किलो गोबर खरीदा जा रहा है. कई राज्य इस योजना को अपनाने की बात करने लगे हैं. मगर विधानसभा में सरकार ने जो आंकडे पेश किए हैं उसे भी देख लेने की जरूरत है. अनुराग द्वारी की ये रिपोर्ट देखिए छत्तीसगढ में करीब एक करोड गोवंश है. सुराजी गाँव योजना के तहत आवारा घूमने वाले मवेशियों के लिए भी ऐसे गौठान बनाये गए. बाद में इसमें गोधन न्याय योजना जुड़ी दो रुपए में पशुपालकों से गोबर खरीदा गया.

इसी गौठान में मिले गोबर से गाँव में स्वसहायता समूह की महिलाएं दस रुपए प्रति किलो में जैविक खाद और दूसरे उत्पाद बनाकर बेचती हैं. योजना इतनी कामयाब की कोरबा में चोरों ने तीस क्विंटल गोबर पर हाथ साफ कर दिया. ऐसा सरकार ने विधानसभा में खुद मना सरकार ने विधानसभा के पटल पर एक और बात रखी जिसे सुर्खियों में आई इस योजना की कामयाबी पर सवाल है. बीस जुलाई दो हजार बीस में जब ये योजना शुरू हुई तब गोबर खरीदने के केंद्र भी गिने चुने थे. फिर भी इकतीस मार्च दो हजार इक्कीस तक हर दिन औसतन अठारह हजार क्विंटल गोबर की खरीदी हुई, लेकिन अगले ही साल यानी मार्च दो हजार बाईस तक हर दिन औसतन पाँच हजार क्विंटल गोबर ही खरीदा गया. यही नहीं गरियाबंद, मुंगेली, बलौदाबाजार, कांकेर जैसे जिले में गोबर खरीद से ज्यादा मात्रा का इस्तेमाल वर्मीकंपोस्ट बनाने में हुआ. सूरजपुर जिले में तो बाईस हजार दो सौ तीस क्विंटल गोबर की खरीद हुई, लेकिन खाद बनाने में उनहत्तर हजार चार सौ चौरासी क्विंटल गोबर का उपयोग हो गया. सरकार का दावा है कि योजना से दो लाख नवासी हजार से अधिक ग्रामीण जुडे हैं. गोबर से जुडे उत्पाद ग्यारह हजार एक सौ सत्तासी महिला स्वसहायता समूह बना रहे हैं जिससे तिरासी हजार आठ सौ चौहत्तर महिलाओं को सीधा हो रहा है. बचाव में सरकार की अपनी दलील है. विपक्ष के आपने बार उसे योजना में भ्रष्टाचार दिख रहा है और पूंजीपतियों का भी आरोप बिल्कुल और सामान्य तौर पर ऐसा मतलब जॅनरल टाइप की बात नहीं होना चाहिए. इस पसिफिक बताओ कहाँ पे हुआ है और जब ये जानकारी दी जाएगी जगह हुआ तो निश्चित रूप से कार्रवाई योजना के तहत में उन्होंने पिछली बार अठारह हजार मैट्रिक टन उन्होंने गोबर ऐसा उन्होंने जानकारी दिया और उसमें से आधा मुँह गया क्योंकि उन्होंने ही नहीं था पैसे का लेन देन हुआ. अभी इनका कहना है कि पाँच हजार मैट्रिक टन इन्होंने गोबर खरीदा है. पिछली बार जब गोबर था उसमें भी उन्होंने मिट्टी मिलाकर के हमारे जो किसान है, उनको अधिक दरों पर उन्होंने चलते हैं. किसानों को दे दिया ये इस सरकार की सोची संचाल है.

किसानों को किस तरीके से बनाया जाए और इसमें जमकर भ्रष्टाचार हुआ है. इस भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. बस्तर के कांकेर जिले के दुर्गु कांगल गाँव में गोठान का बोर्ड लगा है. समिति बनी है, लेकिन ना तो गोबर जा रहा है ना ही गोवंश की देखभाल होती है. उल्टा ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी जमीन गौठान के नाम पर कब्जा ली गई है. यहाँ पे बोलते हैं गोबर खरीदते खरीदते हैं, क्या आज तक नहीं कर रही थी आज तक नहीं यहाँ पे पानी पिलाते हो, बोर बंद करा देते हैं की नहीं कहाँ कहाँ आप वहाँ से मेरा जमीन को चम्पक दिया और पैसा दे दूंगा. बोल रहा हूँ आप तक पैसा नहीं लगता. मतलब आपका जमीन कहाँ है? यही आप पटाका है ना यहाँ बेचते हो ये गोबर बेचे है सर गोबर नहीं बेचे.

यहाँ डॉक्टर लोग आते हैं. बताते हैं कि पूरा जानवर लोग को जाके ऍन लगाते हैं तो आती है डॉक्टर अब पता नहीं. वैसे सरकार दीपावली से पहले किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूरों और गोबर विक्रेताओं को लगभग एक सौ अस्सी करोड़ रुपए से अधिक की राशि के भुगतान की बात कह रही है. संसद में कृषि की स्थायी समिति ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि वो गोधन न्याय योजना की तरह गोबर खरीदने की कोई योजना बनाए. मध्य प्रदेश समेत आठ राज्य इस पर काम भी कर रहे हैं. योजना का प्रारूप अच्छा है, सुराजी गाँव का सपना भी लेकिन धरातल पर सब कुछ ठीक नहीं और छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश आंकडे इसकी ही तस्दीक कर रहे हैं. बस्तर से अपने सहयोगी विकास तिवारी और रिजवान खान के साथ अनुराग द्वारी एनडीटीवी इंडिया आप देख रहे थे प्राइमटाइम नमस्कार.

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