Karwa Chauth 2022 Vrat Niyam: करवा चौथ का व्रत रखने जा रही महिलाएं भूल से भी न करें ये काम, व्रत के इन नियमों का जरूर करें पालन

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16 श्रृंगार और मेहंदी

मान्यतानुसार, जो महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखने जा रही हैं, उन्हें एक दि पहले ही मेहंदी लगानी चाहिए. हिंदू धर्म में महेंदी को सुहाग का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही करवा चौथ व्रत के दिन 16 श्रृंगार जरूर करना चाहि. माना जाता है कि इसके बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता है. ऐसे में हर विवाहित महिलाओं को इस दिन इसका नियम का पालन करना अनिवार्य होता है. 

लाल रंग के वस्त्र पहनकर करें पूजा

करवा चौथ व्रत में लाल रंग (Karwa Chauth Vrat Colour) का विशेष महत्व है. इस लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. इसके अलावा इस दिन विवाहित महिलाओं के सफेद या काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए. करवा चौथ व्रत में लाल रंग के अलावा हरे, गुलाबी, नारंगी के वस्त्र पहन सकती हैं.

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सरगी का करें पालन

करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat 2022) में सरगी का रस्म अहम होता है. कहा जाता है कि इसके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा रह जाता है. ऐसे में इस दिन व्रती महिलाओं को चाहिए कि सास के द्वारा दी गई सरगी में दी गई भोज्य सामग्री को सूर्योदय से पहले स्नान करके खाएं. सरगी खाने के बाद ही व्रत आरंभ किया जाता है. सरगी छोड़ना शुभ नहीं माना जाता है.  

बाया 

व्रत की परंपरा के अनुसार, करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth 2022 Date) के दिन बहु अपनी सास को उपहार देती हैं. जिसे बाया कहा जाता है. बाया में वस्त्र, आभूषण, सुहाग की सामग्रियां और खाने की वस्तुएं होती हैं. इस दिन व्रती महिलाएं साल को बायां देने के बाद उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. 

व्रत में के दौरान मांसाहारी भोजन से रहे दूर 

करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth Vrat) के दिन व्रती महिलाओं को मांसाहारी भोजन के संपर्क से भी दूर रहना चाहिए. माना जाता है कि जो व्रती महिलाएं इस नियम का पालन नहीं करती हैं, उन्हें व्रत का शुभ फल प्राप्त नहीं होता है. 

ऐसे खोला जाता है व्रत

करवा चौथ (Karwa Chauth 2022) का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है. इस दिन व्रत खोलने के लिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सबसे पहेल चंद्रमा को छलनी के देखा जाता है. इसके बाद चंद्र देव को जल से अर्घ्य दिया जाता है. फिर उसी छलनी से अपने पति को देखा जाता है. जिसके बाद पति अपने हाथों से पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण करवाते हैं. इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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