Dussehra 2022: दशहरा पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग, जानें पूजा के लिए मुहूर्त और महत्व

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Dussehra 2022: दशहरा पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग, जानें पूजा के लिए मुहूर्त और महत्व

Dussehra 2022 Date: दशहरा पर 3 शुभ योग बन रहे हैं.

खास बातें

  • इस बार दशहरा पर बन रहे हैं 3 खास योग.
  • दशहरा पर पूजन के लिए ये है शुभ मुहूर्त.
  • इस दिन रावण दहन किया जाता है.

Dussehra 2022 Date Shubh Yog: दशहरा हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2022 में दशहरा 5 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा और कलश विसर्जन के साथ ही रावण दहन का भी विधान है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन श्रीराम ने लंकापति रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया था. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार दशहरा (Dussehra 2022) बेहद खास संयोग मनाया जाएगा. इस दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं. आइए जानते हैं कि इस बार दशहरा किन संयोगों (Dussehra Shubh Yog) में मनाया जाएगा. 

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पंचांग के अनुसार, इस बार दशहरा आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि यानी 5 अक्टूबर, 2022 को पड़ रहा है. हालांकि दशमी तिथि 04 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है. वहीं दशमी तिथि का समापन 5 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे होगा.

दशहरा 2022 शुभ योग | Dussehra 2022 Shubh Yog

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार दशहरा पर 3 शुभ योग बन रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र की गणना मुताबिक इस दिन सुकर्मा, धृति और रवि योग का खास संयोग रहेगा. ऐसे में इस बार दशहरा का पर्व बेहद खास माना जा रहा है. इस दिन रवि योग सुबह 6 बजकर 21 मिनट से रात 9 बजकर 18 मिनट तक है. वहीं सुकर्मा योग सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक है. इसके अलावा इस दिन धृति योग सुबह 8 बजकर 21 मिनट से अगले दिन सुबह 5 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.

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दशहरा 2022 पूजा मुहूर्त | Dussehra 2022 Puja Muhurat

  • विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 07 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक
  • अपराह्न का शुभ मुहूर्त- 1 बजकर 20 मिनट से 3 बजकर 41 मिनट तक

दशहरा का महत्व | Importance of Dussehra

पौराणिक कथाओं के आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को भगवान श्री राम ने रावण का वध करने के पश्चात् के लंका पर विजय प्राप्त की थी. यही कारण है कि दशहरा को विजय दशमी के नाम से जाना जाता है. दरशहरा की एक अन्य कथा के मुताबिक मां दुर्गा का महिषासुर के साथ 10 दिनों तक भीषण युद्ध हुआ. जिसके परिणामस्वरूप मां दुर्गा ने आश्विन शुक्ल दशमी को राक्षस महिषासुर का वध किया. युद्ध के दौरान सभी देवतागणों ने मां दुर्गा को अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए. मान्यता है कि तभी से इस दिन को विजयादशमी उत्वस के रूप में मनाया जाने लगा. ये दोनों घटनाएं बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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