कांग्रेस के नेताओं और सदस्यों ने पार्टी अध्यक्ष पद चुनाव की रेस में शामिल होने का अनुरोध किया : मल्लिकार्जुन खड़गे

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उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रेस से बातचीत के लिए आज दिन इसलिए चुना क्योंकि आज राष्ट्रपिता गांधी जी का जन्मदिन है और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्मदिन है, जिन्होंने जय जवान और जय किसान का नारा दिया था.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का कर्नाटक में अध्यक्ष रहा हूं. मैं उसूल के लिए लड़ता रहा हूं, 50 साल से अधिक समय से बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ लड़ता रहा हूं. चुनाव हारने पर समझा कि मेरे उसूलों का पराभव हुआ, अब फिर से लड़ना चाहता हूं. मैं जिस चीज को अपनाता हूं उसे दिल से करता हूं. मुझे सीनियर लीडर, युवा नेता सबका समर्थन मिला.

उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ती जा रही है, अमीर और अमीर बनता जा रहा है और गरीब और गरीब बनते जा रहे हैं. बीजेपी ने एक भी वादा नही निभाया. उन्होंने कहा कि मुझे मेरे साथियों के कहने पर चुनाव लड़ने की प्रेरणा मिली. सबने कहा मेरा सहयोग है, क्योंकि राहुल ,सोनिया और प्रियंका चुनाव नही लड़ना चाहतीं. जब समान विचारधारा के लोग एक साथ नहीं रहते तो मजबूती से मुकाबला नहीं हो सकता.

खड़गे ने कहा कि, मैं सबसे विनती करूंगा कि हमको समर्थन दें. सभी डेलिगेट का सहयोग चाहता हूं. पार्टी की बुनियादी विचारधारा के लिए लड़ता रहूंगा.

उन्होंने कहा कि शशि थरूर रिफॉर्म के विचार की बात करते हैं. 9300 डेलीगेट तय करेंगे, यह घर की बात है. जो सब तय करेंगे वही होगा. मैं नहीं हम करेंगे. जहां कुछ कमियां है कुछ अच्छा करना है सोचेंगे.

खड़गे ने कहा कि, बीजेपी हमेशा कांग्रेस को अनदेखा करने की कोशिश करती है. उसमें कहां चुनाव होते हैं. अब गांधी परिवार पर आरोप लगा रहे हैं जिन्होंने त्याग किया है. सोनिया गांधी राजनीति में आना नहीं चाहती थीं.  कभी वे पीएम बनीं या राहुल को बनाया?  उनका त्याग देश और पार्टी के लिए बहुत बड़ा है. राहुल देश के लिए पैदल चल रहे हैं. जब उनसे अच्छी बातें सीखता हूं, तो क्या कहेंगे. इसका मतलब ये नहीं है कि 50 साल मैंने कुछ नहीं सीखा. गांधी परिवार से अच्छी चीजें पूछूंगा.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, सबसे मिलकर काम करना है. हमारे युवाओं, राज्य के नेताओं ने कहा कि गांधी परिवार चुनाव में नही है आप लड़िए. लोगों और नेताओं का समर्थन है. हम सभी के कैंडिडेट हैं. अब जी 23 नहीं है. पार्टी को बचाना चाहते हैं, बीजेपी के ख़िलाफ़ लड़ना चाहते हैं.

उन्होंने कहा कि शशि थरूर की मर्जी है, वे चुनाव लड़ें या ना लड़ें. उन्होंने मुझे फोन किया था, मैंने कहा एक लड़े. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की बात है, अच्छी बात है.

उन्होंने कहा कि, मैं यहां पर सिर्फ दलित नेता के तौर पर नहीं हूं. क्या फर्क है आप में और मुझ में, यहां पर मैं  कांग्रेस के कार्यकता के तौर पर लड़ रहा हूं. चुनाव होने के बाद सभी लोग मिलकर फैसला लेंगे. उन्होंने कहा कि ये आपकी मानसिकता है कि हम कमजोर हैं. हम सब एकजुट होकर लड़ेंगे. 

उन्होंने थरूर की खुले डिबेट की चुनौती को लेकर कहा कि, मैं इस में नहीं पड़ता, बस काम करना चाहता हूं.

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