KK Venugopal On Judicial Independence: वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने एनडीटीवी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत की न्यायपालिका इस हद तक स्वतंत्र थी कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उनके खिलाफ कड़े बयान दिए थे.वेणुगोपाल संवैधानिक मामलों के जानकार हैं. उन्होंने जुलाई 2017 से सितंबर 2022 में अपनी सेवानिवृत्ति तक भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में कार्य किया. वेणुगोपाल ने कहा कि आजादी के समय न्यायाधीश इतने स्वतंत्र थे कि जवाहरलाल नेहरू यह कहने की सीमा तक चले गए कि “वे (न्यायाधीश) संसद के चौथे सदन के रूप में नहीं बैठ सकते.”
1931 में जन्मे वेणुगोपाल ने “दो या तीन” को छोड़कर, देश के लगभग हर उच्च न्यायालय में काम किया है.
वेणुगोपाल ने एनडीटीवी को बताया, “मोहन कुमारमंगलम ने न्यायपालिका के खिलाफ तीखा हमला किया था, क्योंकि लगातार भूमि सुधार के लिए बनाए कानूनों को न्यायपालिका ने रद्द कर दिया था. शायद, वे एक बहुत ही संभ्रांत वर्ग के थे. उन सभी कानूनों को, जिन्हें रद्द कर दिया गया था, को संविधान में एक संशोधन कर बहाल किया गया. इस तरह अनुच्छेद 31ए, 31बी, 31सी, सभी अस्तित्व में आए.”
वेणुगोपाल ने कहा, “और इसके साथ ही, जहां तक न्यायाधीशों का सवाल था, उन्हें उस समय की कार्यपालिका द्वारा नियुक्त किया गया था. तब, नेहरू ने कोट पैक करने की धमकी दी थी, लेकिन वह अनावश्यक हो गया, क्योंकि बाद में जनहित याचिका के माध्यम से भूमि सुधार देश की राजनीति का केंद्रबिंदु बन गया था. मानवीय गतिविधि का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं था, जिस पर न्यायाधीशों ने चिंता न की हो. इसलिए, आपको अजीब फैसले मिलेंगे. पिछले लगभग दो दशकों से शासन का कुछ हिस्सा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने अपने हाथ में ले लिया है.”
दिग्गज वकील ने कहा कि आज भी सुप्रीम कोर्ट में बहुत सारे जज ऐसे हैं, जो बहुत स्वतंत्र हैं और आज आप पाएंगे कि वे फैसले दे रहे हैं, बहुत संतुलित फैसले दे रहे हैं, और यदि आवश्यक हो तो पूरी तरह से सरकार के खिलाफ भी. लेकिन एक छोटा सा वर्ग है, एक बहुत छोटा वर्ग, जो मुझे लगता है कि सरकार के काफी अनुकूल है. और वे ऐसे फैसले हैं, जिनके परिणामस्वरूप उन राजनीतिक या अन्य बंदियों को जमानत देने से इनकार कर दिया गया है, या हम उदाहरण के लिए एक या दो न्यायाधीशों को जानते हैं, शायद पहले से जानते हैं कि यदि आप सरकार पर हमला कर रहे हैं तो आप सफल नहीं हो पाएंगे. हालांकि, एक अच्छा वर्ग है, जो पूरी तरह से स्वतंत्र है.
एनडीटीवी के इस सवाल पर कि वो अपनी विरासत का असली हकदार किसे मानते हैं, वेणुगोपाल ने दो नाम लिए – न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि रोहिंटन फली नरीमन और अब विश्वनाथन कई वर्षों तक मेरे साथ थे. वह आने वाले समय में एक या दो साल के लिए मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे हैं.”