नई दिल्ली:
अमेरिका और कनाडा से खालिस्तानी आंदोलन को अंजाम दे रहे सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भारतीय राजदूत विनय क्वात्रा को धमकी दी है. पन्नू ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा खालिस्तान समर्थक सिखों के निशाने पर हैं. इस पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि उम्मीद है कि अमेरिका की सरकार इसे गंभीरता से लेगी और जरूरी कदम उठाएगी.
सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह द्वारा जारी धमकियों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को वीकली मीडिया ब्रीफिंग में ये बातें कही. उन्होंने कहा, “जब भी ऐसी धमकियां दी जाती हैं, हम उन्हें बहुत गंभीरता से लेते हैं और अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाते हैं. इस विशेष मामले में भी, हमने इसे अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाया है. हमें उम्मीद है कि संयुक्त राज्य सरकार हमारी सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेगी और इस पर कार्रवाई करेगी.”
#WATCH | Delhi: On threats issued by Sikh separatist Gurpatwant Singh against Indian Ambassador to the U.S, Vinay Mohan Kwatra, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, “…We take the threats very seriously and we raise it with the US government. In this case, also, we have raised… pic.twitter.com/4LR4dHgN8m
— ANI (@ANI) December 20, 2024
पन्नू ने क्या कहा था?
सिख फॉर जस्टिस के लीडर गुरुपतवंत सिंह पन्नू ने बीते शनिवार को दावा किया कि अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय क्वात्रा रूस के डिप्लोमेट्स और एजेंसियों के साथ मिलकर खालिस्तान समर्थकों को निशाना बना रहे हैं. इसकी वजह से वे अमेरिका में बसे प्रो-खालिस्तानी सिखों के निशाने पर हैं.
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सिख अलगाववादी नेता ने आरोप लगाया था कि भारत ने जान-बूझकर क्वात्रा को वॉशिंगटन में तैनात किया, ताकि वो रूसी डिप्लोमेट्स से साठगांठ कर सकें. रूसी एजेंसियां भी भारतीय गुप्तचर एजेंसियों को खुफिया जानकारी दे रही है, ताकि वे उन्हें खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ इस्तेमाल कर सकें.
विनय मोहन क्वात्रा कब बने राजदूत?
भारतीय विदेश मंत्रालय ने 19 जुलाई 2024 को 1988 बैच के वरिष्ठ भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी विनय मोहन क्वात्रा को अमेरिका में भारत का राजदूत नियुक्त किया था. क्वात्रा जुलाई में ही विदेश सचिव के पद से रिटायर हुए थे. क्वात्रा की जगह विक्रम मिस्री को विदेश सचिव नियुक्त किया गया है. क्वात्रा को मोदी सरकार के पसंदीदा अफसरों में से एक माना जाता है. विदेश सचिव बनने से पहले विनय मोहन क्वात्रा, भारत के दूत के रूप में चीन, अमेरिका, फ्रांस में काम कर चुके हैं.
अमेरिका में बढ़े भारत विरोधी हमले
पूर्व विदेश सचिव क्वात्रा ने इस साल अगस्त में तरनजीत सिंह संधू की जगह संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत का पदभार संभाला था. क्वात्रा की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब खालिस्तानी अलगाववादी अमेरिका में हिंदू समुदाय, हिंदू धार्मिक स्थलों और भारतीय दूतावास को निशाना बना रहे हैं.
खालिस्तानियों को कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क सहित अन्य स्थानों पर मंदिरों को क्षतिग्रस्त करने की घटनाओं में शामिल रहे. उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय दूतावास में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं को भी अंजाम दिया. मिशिगन राज्य से प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए डेमोक्रेट थानेदार सहित कई सांसदों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में हिंदुओं और उनके पूजा स्थलों पर हमलों में ‘काफी वृद्धि’ पर चिंता जताई.
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बांग्लादेश के समक्ष जताया कड़ा विरोध
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसके साथ ही बांग्लादेश के मुद्दों पर भी मीडिया के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने बताया कि भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सहयोगी महफूज आलम की कुछ विवादास्पद टिप्पणियों को लेकर ढाका के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है.
आलम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘फेसबुक’ पर एक पोस्ट में कहा था कि भारत को उस विद्रोह को मान्यता देनी चाहिए जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने इस मुद्दे पर बांग्लादेश के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है. हमें पता चला है कि जिस पोस्ट का जिक्र किया जा रहा है, उसे कथित तौर पर हटा दिया गया है.”
जायसवाल ने कहा, “भारत ने बांग्लादेश के लोगों और अंतरिम सरकार के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में बार-बार रुचि दिखाई है, इस तरह की टिप्पणियां सार्वजनिक अभिव्यक्ति में जिम्मेदारी की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं.”
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