वन नेशन वन इलेक्शन पर बनी JPC के सदस्यों की बढ़ाई गई संख्या, शिवसेना UBT के अनिल देसाई को मिली जगह

वन नेशन वन इलेक्शन पर आम सहमति के लिए सरकार ने ज्वॉइंट पार्लियामेंट कमेटी (JPC) के सदस्यों की संख्या में इजाफा किया है. JPC में अब कुल 39 सदस्य होंगे. लोकसभा से 27 सदस्यों को शामिल किया गया है, जबकि राज्यसभा से सिर्फ 12 सदस्य रखे गए हैं. पहले JPC के लिए लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्यों का प्रावधान किया गया था. गुरुवार को सरकार ने सदस्यों की संख्या बढ़ा दी. ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि शिवसेना उद्धव ठाकरे और कुछ दूसरी पार्टियों ने उनके सदस्यों का नाम नहीं रहने पर अपना एतराज जताया था.

ज्वॉइंट पार्लियामेंट कमेटी में कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत सिंह को शामिल किया गया है. BJP की ओर से नई दिल्ली की सांसद बांसुरी स्वराज, संबित पात्रा और अनुराग सिंह ठाकुर समेत 10 सांसदों को जगह दी गई है. TMC से कल्याण बनर्जी को कमेटी में लिया गया है. शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) से अनिल देसाई को JPC में शामिल किया गया है.

अनिल देसाई के अलावा , छोटेलाल ( बीजेपी ) , वैजयंत पांडा ( बीजेपी ) , शांभवी चौधरी ( लोजपा रामविलास ) , संजय जायसवाल ( बीजेपी ) और के राधाकृष्णन ( सीपीएम ) को भी जोड़ा गया है. इसमें जेडीयू और टीडीपी का कोई लोकसभा सदस्य शामिल नहीं है , अभी राज्यसभा के 12 सदस्यों का नाम नहीं आया है.

कौन होगा चेयरमैन?

जेपीसी के चेयरमैन भर्तृहरि मेहताब हो सकते हैं.  फिलहाल पहले नंबर पर पीपी चौघरी का नाम चल रहा है.  अमूनन जिनका नाम पहले नंबर होता है, वही अध्यक्ष बनते हैं.

संसद में मंगलवार को पेश हुए 129 वें संविधान (संशोधन) बिल यानी एक देश एक चुनाव बिल की समीक्षा के लिए सरकार ने ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) बनाई है. इस कमेटी को अगले संसद सत्र यानी बजट सेशन के आखिरी हफ्ते के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी.

कानून मंत्री ने लोकसभा में पेश किया था बिल

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024′ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024′ को निचले सदन में मंगलवार को पेश किया था. विपक्षी दलों ने इसका पुरजोर विरोध किया. इस बिल पर डिविजन वोटिंग हुई. इस बिल को साधारण बहुमत से पारित किया किया. 269 ​​सांसदों ने इसके पक्ष में वोटिंग की. 198 सांसदों ने इस बिल के विरोध में वोट डाला. लोकसभा में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से वोटिंग हुई. पक्ष और विरोध में हुई वोटिंग के अंतर से विपक्ष की तरफ से ये दावा किया गया कि सरकार के पास विधेयकों को पारित करने के लिए जरूरी समर्थन की कमी है.

सदन में बिल के लिए दो बार हुई वोटिंग

  • लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल के लिए दो बार वोटिंग हुई. पहले स्पीकर ओम बिरला ने बिल पेश करने को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई. इसमें 369 सदस्यों ने वोट डाला. बिल के पक्ष में 220 और विपक्ष में 149 वोट पड़े. इसपर विपक्षी सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई.
  • इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने स्पीकर से कहा, “अगर उनको ऑब्जेक्शन है तो पर्ची दे दीजिए.” इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “हमने पहले ही कहा था कि अगर किसी सदस्य को लगे, तो वह पर्ची के जरिए भी अपना वोट संशोधित कर सकता है.”
  • इसके बाद दूसरी बार वोटिंग हुई. इस बार ज्यादा सांसदों ने वोट डाला. बिल के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. इसके बाद 1:15 बजे कानून मंत्री मेघवाल ने 12वां संविधान संशोधन बिल को दोबारा सदन के पटल पर रखा. विरोध के बाद बिल को JPC के पास भेजने का फैसला लिया गया.

वन नेशन वन इलेक्शन क्या है?

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं. वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों.

सरकार क्यों चाहती है एक साथ चुनाव?

नवंबर 2020 में PM नरेंद्र मोदी ने कई मंचों पर ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर बात की है. उन्होंने कहा है, “एक देश एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं, बल्कि भारत की जरूरत है. हर कुछ महीने में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे हैं. इससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है. पूरे देश की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे चुनाव पर होने वाले खर्च में कमी आएगी.

विरोध में क्या तर्क दिए जा रहे हैं?

वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विपक्ष कई तरह के तर्क दे रहा है. कांग्रेस का तर्क है कि एक साथ चुनाव हुए, तो वोटर्स के फैसले पर असर पड़ने की संभावना है. चुनाव 5 साल में एक बार होंगे, तो जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही कम हो जाएगी.


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