नई दिल्ली:
वन नेशन वन इलेक्शन पर आम सहमति के लिए सरकार ने ज्वॉइंट पार्लियामेंट कमेटी (JPC) के सदस्यों का ऐलान कर दिया है. लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सांसदों को इस JPC के लिए चुना गया है. कमेटी में कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी वाड्रा, मनीष तिवारी और सुखदेव भगत सिंह को शामिल किया गया है. BJP की ओर से नई दिल्ली की सांसद बांसुरी स्वराज, संबित पात्रा और अनुराग सिंह ठाकुर समेत 10 सांसदों को जगह दी गई हैं. TMC से कल्याण बनर्जी को कमेटी में लिया गया है. अभी तक राज्यसभा की तरफ से 10 सदस्यों का ऐलान नहीं किया गया है. केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल गुरुवार को लोकसभा में JPC के सदस्यों के नामों का ऐलान करेंगे.
बता दें कि संसद में मंगलवार को पेश हुए 129 वें संविधान (संशोधन) बिल यानी एक देश एक चुनाव बिल की समीक्षा के लिए सरकार ने बनने ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) बनाई है. इस कमेटी को अगले संसद सत्र यानी बजट सेशन के आखिरी हफ्ते के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी.
21 members from Lok Sabha; 10 from Rajya Sabha in Joint Parliamentary Committee (JPC) for ‘One Nation One Election’
Priyanka Gandhi Vadra, Manish Tewari, Dharmendra Yadav, Kalyan Banerjee, Supriya Sule, Shrikant Eknath Shinde, Sambit Patra, Anil Baluni, Anurag Singh Thakur named… pic.twitter.com/GaZ1aw3z8m
— ANI (@ANI) December 18, 2024
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल लोकसभा में पेश किया था बिल
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024′ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024′ को निचले सदन में पेश किया. विपक्षी दलों ने इनका पुरजोर विरोध किया. इस बिल पर डिविजन वोटिंग हुई. इस बिल को साधारण बहुमत से पारित किया किया. 269 सांसदों ने इसके पक्ष में वोटिंग की. 198 सांसदों ने इस बिल के विरोध में वोट डाला. लोकसभा में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से वोटिंग हुई. पक्ष और विरोध में हुई वोटिंग के अंतर से विपक्ष की तरफ से ये दावा किया गया कि सरकार के पास विधेयकों को पारित करने के लिए जरूरी समर्थन की कमी है.
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सदन में बिल के लिए दो बार हुई वोटिंग
-लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल के लिए आज दो बार वोटिंग हुई. पहले स्पीकर ओम बिरला ने बिल पेश करने को लेकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई. इसमें 369 सदस्यों ने वोट डाला. बिल के पक्ष में 220 और विपक्ष में 149 वोट पड़े. इसपर विपक्षी सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई.
-इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने स्पीकर से कहा, “अगर उनको ऑब्जेक्शन है तो पर्ची दे दीजिए.” इस पर स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “हमने पहले ही कहा था कि अगर किसी सदस्य को लगे, तो वह पर्ची के जरिए भी अपना वोट संशोधित कर सकता है.”
-इसके बाद दूसरी बार वोटिंग हुई. इस बार ज्यादा सांसदों ने वोट डाला. बिल के पक्ष में 269 और विपक्ष में 198 वोट पड़े. इसके बाद 1:15 बजे कानून मंत्री मेघवाल ने 12वां संविधान संशोधन बिल को दोबारा सदन के पटल पर रखा. विरोध के बाद बिल को JPC के पास भेजने का फैसला लिया गया है.
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वन नेशन वन इलेक्शन क्या है?
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं. वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों.
सरकार क्यों चाहती है एक साथ चुनाव?
नवंबर 2020 में PM नरेंद्र मोदी ने कई मंचों पर ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर बात की है. उन्होंने कहा है, “एक देश एक चुनाव सिर्फ चर्चा का विषय नहीं, बल्कि भारत की जरूरत है. हर कुछ महीने में कहीं न कहीं चुनाव हो रहे हैं. इससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है. पूरे देश की विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे चुनाव पर होने वाले खर्च में कमी आएगी.
इस बिल के विरोध में क्या तर्क दिए जा रहे हैं?
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विपक्ष कई तरह के तर्क दे रहा है. कांग्रेस का तर्क है कि एक साथ चुनाव हुए, तो वोटर्स के फैसले पर असर पड़ने की संभावना है. चुनाव 5 साल में एक बार होंगे, तो जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही कम हो जाएगी.
क्या देश में एक साथ चुनाव कराना संभव है?
वन नेशन वन इलेक्शन को संसद में पास कराने के लिए दो-तिहाई राज्यों की रजामंदी की जरूरत होगी. अगर बाकी राज्यों से सहमति लेने की जरूरत हुई, तो ज्यादातर नॉन BJP सरकारें इसका विरोध करेंगी. विपक्ष के कई दलों ने इसके संकेत पहले ही दे दिए हैं. वहीं, अगर सिर्फ संसद से पारित कराकर कानून बनाना संभव हुआ, तब भी कानूनी तौर पर कई दिक्कतें आ सकती हैं. जिन राज्यों में हाल में सरकार चुनी गई है, वो इसका विरोध करेंगे. टेन्योर को लेकर वो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं. BJP और नॉन BJP राज्य सरकारों में मतभेद इतना ज्यादा है कि वन नेशन वन इलेक्शन पर आम सहमति बनाएंगे, ऐसा मुमकिन नहीं लगता.
वन नेशन वन इलेक्शन लागू हुआ तो किन विधानसभाओं का कम हो सकता है कार्यकाल?
वन नेशन वन इलेक्शन लागू हुआ तो उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंड का मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा. गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा का कार्यकाल भी 13 से 17 माह घटेगा. असम, केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल और पुडुचेरी मौजूदा कार्यकाल कम होगा.
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