Kim Jong Un Will Be Happy For South Korea’s Crisis: उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम-जोंग-उन को तानाशाह कहा जाता है. उत्तर कोरिया पर तमाम प्रतिबंध लगे हुए हैं और उसके इतिहास को खूनी कहा जाता है, लेकिन दक्षिण कोरिया की राजनीति भी साफ-सुथरी नहीं रही है. आज दक्षिण कोरिया भले ही विकास के मामले में उत्तर कोरिया से दशकों आगे हो, लेकिन वहां का इतिहास भी खून-खराबे से भरा पड़ा है. उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में सबसे बड़ा अंतर यही है कि उत्तर कोरिया में तानाशाही है और दक्षिण कोरिया में लोकतंत्र. हालांकि, दक्षिण कोरिया में भी कई तानाशाह सत्ता पर काबिज हुए हैं. इसके अलावा दक्षिण कोरिया में भ्रष्टाचार के आरोप में कई नेताओं को जेल जाना पड़ा है.
अब एक बार फिर दक्षिण कोरिया सुलग रहा है. कुछ घंटों के लिए मार्शल लॉ लगाने वाले यहां के राष्ट्रपति और रक्षामंत्री के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग तेज हो चुकी है. राजधानी सियोल समेत पूरे देश में इसको लेकर प्रदर्शन किए जा रहे हैं. राजधानी सियोल में राष्ट्रपति यूं सूक येओल के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग करते हुए लोगों ने रैली निकाली. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल को शनिवार को दूसरे महाभियोग वोट का सामना करना पड़ा. जाहिर है दक्षिण कोरिया के इस हालात पर किम तो खुश तो बहुत होंगे. यहां जानिए दक्षिण कोरिया में कब-कब आया इस तरह का बवंडर…
2016: पार्क पर महाभियोग, जेल
2013 से राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे पर दिसंबर 2016 में संसद में महाभियोग चलाया गया. फिर संवैधानिक न्यायालय ने मार्च 2017 में एक निर्णय में जेल भेज दिया. वह पूर्व तानाशाह पार्क चुंग-ही की बेटी हैं. वह दक्षिण कोरिया की पहली महिला राष्ट्रपति थीं और उन्होंने खुद को ईमानदार के रूप में दक्षिण कोरिया में पेश किया था, लेकिन उन पर सैमसंग सहित अन्य समूहों से लाखों डॉलर पाने या मांगने का आरोप लगाया गया था. उन पर लगे अन्य आरोपों में वर्गीकृत दस्तावेजों को साझा करना, उनकी नीतियों की आलोचना करने वाले कलाकारों को “ब्लैकलिस्ट” पर रखना और उनका विरोध करने वाले अधिकारियों को बर्खास्त करना शामिल था. पार्क को 2021 में 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी और भारी जुर्माना लगाया गया था, लेकिन 2021 के अंत में उनके उत्तराधिकारी मून जे-इन ने इन्हें क्षमादान दे दिया था. वर्तमान राष्ट्रपति यून उस समय सियोल के अभियोजक थे और उन्होंने पार्क ग्यून-हे की बर्खास्तगी और बाद में कैद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
ली म्युंग-बक: 15 साल जेल
2008 से 2013 तक सत्ता में पार्क के पूर्ववर्ती ली म्युंग-बक को अक्टूबर 2018 में भ्रष्टाचार के लिए 15 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. उन्हें भी सैमसंग से रिश्वत लेने का दोषी पाया गया था.इन्हें भी दिसंबर 2022 में राष्ट्रपति यून ने माफ कर दिया था.
रोह मू-ह्यून: आत्महत्या
2003 से 2008 तक राष्ट्रपति और उत्तर कोरिया के साथ तालमेल के मजबूत समर्थक रोह मू-ह्यून ने मई 2009 में एक पहाड़ से कूदकर आत्महत्या कर ली. उन पर आरोप लगे थे कि उनकी पत्नी को एक अमीर जूता कंपनी ने एक मिलियन डॉलर और भतीजी के पति को पांच मिलियन डॉलर के भुगतान की पेमेंटे की थी.
1987: निरंकुश चुन रिटायर हुए
“ग्वांगजू के कसाई” के रूप में जाने जाने वाले चुन डू-ह्वान ने 1987 में बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों के बाद पद छोड़ने पर सहमति व्यक्त की. इसके बाद उन्होंने अपने शिष्य रोह ताए-वू को सत्ता सौंप दी. रोह और चुन दशकों से करीब थे. कोरियाई युद्ध के दौरान सैन्य अकादमी में दोनों की पहली मुलाकात हुई थी. 1996 में, दोनों को 1979 के तख्तापलट पर राजद्रोह का दोषी ठहराया गया था. इसी तख्तापलट से चुन को सत्ता मिली थी. उन्हें 1980 ग्वांगजू विद्रोह, भ्रष्टाचार और अन्य अपराध का दोषी भी ठहराया गया. रोह को 22.5 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. बाद में इसे घटाकर 17 साल कर दिया गया था, जबकि चुन को मौत की सजा सुनाई गई थी. बाद में इसे उम्रकैद की सजा में बदल दिया गया था. अंतत: उन्हें 1998 में माफी दी गई. उन्होंने सिर्फ दो साल सलाखों के पीछे बिताए.
1979: तानाशाह पार्क की हत्या
पार्क चुंग-ही की अक्टूबर 1979 में एक निजी रात्रिभोज के दौरान उनके ही देश के खुफिया एजेंसी के चीफ ने हत्या कर दी थी. उस रात की घटनाएं दक्षिण कोरिया में चर्चा का विषय रही हैं, खासकर इस बात पर कि क्या हत्या पूर्व नियोजित थी. तत्कालीन सेना के जनरलों चुन डू-ह्वान और रोह ताए-वू ने दिसंबर 1979 में तख्तापलट करने के लिए इसी राजनीतिक भ्रम का फायदा उठाया था.
1961: यूं को तख्तापलट में उखाड़ फेंका गया
राष्ट्रपति यूं पो-सुन को 1961 में सेना अधिकारी पार्क चुंग-ही के नेतृत्व में तख्तापलट में उखाड़ फेंका गया था. पार्क ने यूं को पद पर तो रहने दिया, लेकिन सरकार का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया, फिर 1963 में चुनाव जीतने के बाद यूं को पद से हटा दिया.
1960: प्रथम राष्ट्रपति का निर्वासन
दक्षिण कोरिया के पहले राष्ट्रपति सिनगमैन री 1948 में चुने गए. 1960 में एक लोकप्रिय छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन पर धांधली वाले चुनावों के माध्यम से अपना कार्यकाल बढ़ाने का प्रयास करने के आरोप लगे थे. री को हवाई में निर्वासन के लिए मजबूर किया गया था और वहीं 1965 में उनकी मौत हो गई थी.