मुंबई :
महाराष्ट्र में लंबे इंतजार के बाद महायुति सरकार का गठन तो हो गया. देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री भी बन गए. एकनाथ शिंदे और अजित पवार को डिप्टी CM बनाया गया. अब विभागों के बंटवारे को लेकर मामला फंसा हुआ है. 5 दिसंबर को फडणवीस सरकार का शपथ ग्रहण हुआ था. 6 दिन बाद भी महायुति के घटक दलों BJP, शिवसेना (शिंदे गुट), NCP (अजित पवार गुट) के बीच विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है. सूत्रों के मुताबिक, शिंदे गुट ने गृह मंत्रालय और राजस्व मंत्रालय की डिमांड की है. BJP ये दोनों मंत्रालय ही अपने पास रखना चाहती है. उधर, अजित पवार ने भी अपनी पसंदीदा मंत्रालयों की लिस्ट दे दी है. ऐसे में BJP लीडरशिप से चर्चा करने के लिए CM फडणवीस बुधवार को दिल्ली पहुंचे हैं.
एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिसके बाद करीब दो हफ्तों से चल रहा सस्पेंस खत्म हो गया. शपथ ग्रहण से पहले यह सवाल पूछा जा रहा था कि क्या शिवसेना नेता सौहार्दपूर्ण ढंग से BJP नेता देवेंद्र फडणवीस के लिए कुर्सी छोड़ देंगे? शिंदे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी और देवेंद्र फडणवीस सरकार में डिप्टी CM बनना चुन लिया है. हालांकि, एकनाथ शिंदे महायुति के लिए तनाव का एक नया दौर शुरू कर सकते हैं.
सूत्रों ने NDTV को बताया कि जब देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार विभागों पर चर्चा के लिए गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे तो हो सकता है कि शिंदे मौजूद नहीं हो.
दोनों सहयोगी मांग रहे बड़े विभाग
BJP और देवेंद्र फडणवीस के लिए ‘किसको कौनसा मंत्रालय मिले’ और महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल का गठन अगली बड़ी चुनौती हो सकती है. खासकर तब जब दोनों सहयोगियों ने समर्थन के बदले बड़े विभागों की मांग की है. उदाहरण के लिए माना जाता है कि शिंदे का सेना गुट हाई-प्रोफाइल गृह मंत्रालय चाहता है, जो पिछली सरकार में देवेंद्र फड़णवीस के पास था.
तर्क दिया जा रहा है कि यह मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के लिए बड़ा पुरस्कार होगा. हालांकि, इस बात की संभावना नहीं है कि भाजपा गृह विभाग छोड़ना चाहेगी. तर्क यह है कि पार्टी को लगता है कि उसके पास ऐसे कई उम्मीदवार हैं जो विभाग को प्रभावी ढंग से चला सकते हैं.
शिवसेना को शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग और रेवेन्यू की पेशकश की जा सकती है.
NCP चाहती है बराबर की हिस्सेदारी!
साथ ही यह कहा जा रहा है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी बराबरी की हिस्सेदारी चाहती है, भले ही उसने कम सीटों पर जीत दर्ज की हो, लेकिन पार्टी ने अपने दावे को साबित करने के लिए बेहतर ‘स्ट्राइक रेट’ यानी लड़ी गई और जीती गई सीटों के प्रतिशत की ओर इशारा किया है. विशेष रूप से NCP चाहती है कि पिछली सरकार में जो वित्त विभाग उनके पास था, उसे वापस किया जाए.
हालांकि, यह मामला BJP के लिए परेशान करने वाला बन गया है, क्योंकि शिवसेना भी वित्त चाहती है. यह शिंदे की ऐसी इच्छा है, जिसका पूरा होना बेहद मुश्किल नजर आता है क्योंकि वित्त, योजना और सिंचाई विभाग एनसीपी के पास जा सकता है.
विभागों के आवंटन को लेकर पिछले महीने रूपरेखा बनी थी. इस समझौते के तहत BJP को 22 सीटें, सेना को करीब 12 सीटें और NCP को करीब नौ मंत्री पद मिलेंगे.
विभागों का बंटवारा 16 दिसंबर तक लागू करना होगा, क्योंकि उस वक्त नई विधानसभा की पहली बैठक होगी. इसका अर्थ है कि महायुति 2.0 सरकार के गठन के इस दूसरे अध्याय में अब वक्त बहुत कम है.