इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस) ने कहा है कि बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोपों में गिरफ्तार चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के केस की पैरवी करने वाले वकील पर बर्बर हमला किया गया है. एक्स पर एक पोस्ट में, इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा, “कृपया एडवोकेट रमन रॉय के लिए प्रार्थना करें. उनकी एकमात्र गलती चिन्मय कृष्ण प्रभु का अदालत में बचाव करना था. इस्लामवादियों ने उनके घर में तोड़फोड़ की और उन पर बेरहमी से हमला किया, फिलहाल वे आईसीयू में अपने जीवन के लिए लड़ रहे हैं.
हालांकि, बांग्लादेश के कई वकीलों ने इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया है. पिछले महीने भी, सोशल मीडिया और कुछ समाचार आउटलेट्स पर दावे किए गए थे कि चिन्मय कृष्ण दास का केस लड़ने वाले वकील की हत्या कर दी गई, लेकिन जांच में पता चला कि जिस वकील की हत्या की बात की जा रही थी उनका नाम सैफुल इस्लाम था और वे एक सहायक सरकारी वकील थे. वह चिन्मय दास का केस नहीं लड़ रहे थे.
राधारमण दास की पोस्ट पढ़ें:
Please pray for Advocate Ramen Roy. His only ‘fault’ was defending Chinmoy Krishna Prabhu in court.
Islamists ransacked his home and brutally attacked him, leaving him in the ICU, fighting for his life.#SaveBangladeshiHindus #FreeChinmoyKrishnaPrabhu pic.twitter.com/uudpC10bpN
— Radharamn Das राधारमण दास (@RadharamnDas) December 2, 2024
बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के एक प्रमुख पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को पिछले महीने रंगपुर में हिंदू समुदाय के समर्थन में विरोध प्रदर्शन के बाद ढाका में गिरफ्तार किया गया था. उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है और मंगलवार को ढाका की एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था.
शेख हसीने के जाने के बाद बढ़ी हिंसा
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर व्यापक राजनीतिक हिंसा और विरोध प्रदर्शन हुए हैं. पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के बीच, राधारमण दास ने पहले एक्स पर पोस्ट किया कि एक दूसरे हिंदू भिक्षु श्याम दास प्रभु की गिरफ्तारी के बाद चिन्मय कृष्ण दास के दो शिष्य चट्टोग्राम में लापता हो गए हैं.
भारत चिंतित
भारत ने इन गिरफ्तारियों की निंदा की है और बांग्लादेशी अधिकारियों से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया. इस गिरफ्तारी की भारतीय धार्मिक नेताओं और नागरिक समाज के सदस्यों ने भी कड़ी आलोचना की है. पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करने वाले कई अन्य राज्यों में विरोध रैलियां आयोजित की गई हैं.