नई दिल्ली:
एनपीपी ने बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. मणिपुर में हिंसा के मद्देनजर एनपीपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.
हालांकि एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बाद भी सरकार सुरक्षित है, क्योंकि मणिपुर में एनपीपी भाजपा के साथ गठबंधन में नहीं थी. चुनाव के बाद उसने बाहर से समर्थन दिया था.
60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के सात सदस्य हैं.
भाजपा के पास वर्तमान में अपने दम पर 37 सीटें हैं, जो बहुमत के आधे आंकड़े 31 से काफी अधिक है. इसमें जनता दल (यूनाइटेड) के पांच विधायक भी शामिल हैं, जो 2022 के अंत में भाजपा में शामिल हुए थे.
इसके अतिरिक्त, भाजपा को नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के पांच विधायकों, जेडीयू के एक विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन प्राप्त है.
अधिकारियों द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष करने के कारण सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गईं. मुख्य सचिव विनीत जोशी ने गलत सूचना और हिंसा के और बढ़ने की संभावना का हवाला देते हुए इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को निलंबित करने का आदेश दिया है.