चीन के अधिकारियों के मुताबिक, शी जिनपिंग और पीएम मोदी के बीच पिछले महीने रूस के कज़ान में बढ़िया बातचीत हुई थी. उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं के बीच दोस्ती देखने को मिली. दोनों ही नेताओं ने द्विपक्षीय बैठक के लिए अपने सहयोगियों की तरफ से तैयार किए गए बातचीत के पॉइंट्स का जिक्र नहीं करने का फैसला लिया था. कोरोना महामारी और एलएसी पर टकराव के बाद पांच साल में यह उनकी पहली बैठक थी.
भारत-चीन के बीच मुलाकातों का दौर
दोनों देशों के नेताओं ने विशेष प्रतिनिधियों (एसआर), विदेश मंत्रियों और उप विदेश मंत्रियों से अगले कदमों और बैठकों पर चर्चा करने की बात भी कही. चीनी अधिकारी का कहना है कि एसआर और सीनियर मंत्री और अधिकारियों को 18-19 नवंबर को ब्राजील में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर मिल सकते हैं. उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि अब कॉल भारत के पाले में है.
चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि चीन वाइडर वर्ल्ड को एकीकृत और ओपन करना चाहता है. चीनी अधिकारी का कहना है कि इस मुद्दे पर चीन और भारत दोनों का दृष्टिकोण एक जैसा है. कज़ान की बैठक में दोनों नेता मिले और रिश्ते को रणनीतिक ऊंचाई पर लेकर गए. उनको सभी मुद्दों को एक साथ संबोधित करने की जरूरत है.
कैसे खास है पीएम मोदी और जिनपिंग का रिश्ता?
चीनी अधिकारियों का कहना है कि सबसे पहले बॉर्डर मुद्दे को तेज गति से सॉल्व करना होगा, लेकिन उनको ये नहीं लगता कि यह मुद्दा रिश्ते का केंद्र होना चाहिए. अब तक कमांडरों और राजनयिकों स्तर पर 20 राउंड बातचीत हो चुकी है. खास बिंदुओं पर डिसइंगेजमेंट हुआ है, ये दोनों नेताओं की मुलाकात से पहले हुआ. दोनों नेताओं की बातचीत पॉजिटिव रही. दोनों ही नेता रिश्ते को हमेशा बेहतर बनाना चाहते हैं. इस बार पीएम मोदी ने बातचीत के बिंदुओं या आधिकारिक नोट्स से कुछ नहीं पढ़ा. उन्होंने दिल से बात की. और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी कुछ ऐसा ही किया. इससे उनके बीच के खास रिश्ते का पता चलता है.
भारत-चीन को इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत
चीनी अधिकारियों ने दोनों पक्षों को आपसी बातचीत के जरिए रिश्ते को आगे बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को सीमा मुद्दे को सुलझाने समेत अन्य मुद्दों पर समन्वय करने की जरूरत है. लेकिन, सबसे पहले, दोनों को हर स्तर पर और हर मौको को लेकर बात करने की जरूरत है. कोरोना और सीमा के हालात की वजह से कई सालों तक दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि बाहरी ताकतों की वजह से गलतफहमी पैदा हुई. भारत और चीन को ज्यादा सहयोग करने और जलवायु परिवर्तन और एआई, हरित ऊर्जा परिवर्तन जैसे मुद्दों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.