नई दिल्ली:
लेबनान पर इजरायल का हमला जारी है. बेरूत शहर पर एक हमले में 40 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है. इजरायल की तरफ से हिजबुल्लाह (Hezbollah) के ठिकानों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार इस हमले में 40 लोगों की मौत हो गयी. इजरायली सेना ने पहले शहर के कई हिस्सों को खाली करने का आदेश दिया था.
हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर हमले का किया दावा
हूती विद्रोहियों ने इजरायल के नेवातिम एयरबेस को एक ‘बैलिस्टिक मिसाइल’ से निशाना बनाने का दावा किया. इसके अलावा ग्रुप की ओर से कहा गया कि उसने यमन के अल-जौफ प्रांत के ऊपर एक अमेरिकी ‘एमक्यू-9 रीपर’ ड्रोन को मार गिराया है. हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सरेया ने अल-मसीरा टीवी पर प्रसारित एक बयान में कहा, “गाजा पट्टी में हमास और लेबनान में हिजबुल्लाह के समर्थन में, हमने नेवातिम एयरबेस की ओर एक हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल दागी. मिसाइल अपने लक्ष्य तक पहुंच गई.” अल मसीरा टीवी का संचालन हूती ग्रुप करता है.
सरिया ने कहा, “हमारे हवाई सुरक्षा बलों ने एक अमेरिकी एमक्यू-9 ड्रोन को मार गिराने में कामयाबी हासिल की, जो आज शुक्रवार तड़के अल-जौफ प्रांत के हवाई क्षेत्र में शत्रुतापूर्ण मिशन को अंजाम दे रहा था.”
लेबनान पर हमले रोकने की इजरायल ने रखी थी शर्तें
इजरायल लगातार लेबनान में हिजबुल्लाह पर ताबड़तोड़ हमले किए जा रहा है. साथ ही गाज़ा में भी हमास के नए ठिकानों को खोजकर इजरायल हमला कर रहा है. गाज़ा में मची तबाही के बाद भी इजरायल पर आरोप लग रहे हैं कि वह राहत कार्य को भी ठीक से चलने नहीं दे रहा है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र यानी युनाइटेड नेशंस की बात भी इजरायल ने अनसुनी कर दी है. इसके अलावा अमेरिका की बात को भी इजरायल दरकिनार करता जा रहा है.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन से बातचीत में नेतन्याहू ने साफ कहा था कि वह एकतरफा सीजफायर के खिलाफ है. इजरायल का कहना है कि अभी तक लेबनान में किसी भी तरह से स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और वह जो हुआ है उसका उसी तरह से जवाब देना जारी रखेगा. गौरतलब है कि इजरायल ने यह मांग रखी है कि इजरायल और लेबनान के बीच एक बफर जोन बनाया जाना चाहिए जिसमें किसी तरह से कोई भी हिजबुल्लाह का लड़ाका नहीं होगा. इसके अलावा इजरायल का कहना है कि इजरायल ऐसे किसी भी बात को नहीं स्वीकारेगा जिसमें बफर जोन न हो और ऐसी व्यवस्था न हो जिसमें हिजबुल्लाह को दोबारा संगठन बनाने और हथियार एकत्र करने की छूट हो.
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