नई दिल्ली:
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट में राजनीतिक रूप से प्रेरित याचिकाएं लाने वाला एक “गुट” काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि यह गुट “भारत के हितों के लिए हानिकारक विदेशी शक्तियों के हित में काम कर रहा है”. हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद एनडीटीवी से बात करते हुए, उन्होंने इस फैसले को सबूत के रूप में उद्धृत करते हुए कहा कि अखबार की रिपोर्टों और अन्य कमजोर सबूतों के आधार पर लाई गई ऐसी याचिकाएं स्वीकार्य नहीं होंगी.उन्होंने कहा, ऐसी याचिकाएं ”अस्वीकार्य” हैं और यहां तक कि शीर्ष अदालत ने भी इसे स्पष्ट कर दिया है.
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जेठमलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक गिरोह है जो इस तरह की चीजों में आनंद लेता है और मुझे यह कहते हुए खेद है कि वे सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ मुद्दे उठाते हैं वे राष्ट्रीय हित में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग मामले से पहले एक मामला राफेल पर था, जिसे भी शीर्ष अदालत में असफलता मिली थी. उन्होंने कहा, हर बार ”वही वकील, वही याचिका” थी, यहां तक कि राफेल के लिए उनकी समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी गई. उन्होंने कहा कि जब भी ऐसी याचिकाएं लाई जाएंगी, तो इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज ही कर दिया जाएगा.
हिंडनबर्ग केस पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
बता दें कि हिंडनबर्ग केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि SEBI की जांच में कोई खामी नहीं है. ऐसे में अब इस मामले में SIT से जांच करवाने का कोई औचित्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SEBI की जांच नियमों के तहत हुई है. बता दें कि SEBI ने अभी तक 22 आरोपों की जांच की है जबकि 2 आरोपों की जांच बाकी है. CJI ने कहा है कि बाकी बचे मामलों की तीन महीने के अंदर जांच पूरी की जाए.
SEBI की जांच पर शक नहीं किया जा सकता-SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि OCCPR की रिपोर्ट के आधार पर SEBI की जांच पर शक नहीं किया जा सकता. सर्वोच्च अदालत ने निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए वित्तीय क्षेत्र में नियामक तंत्र को मजबूत करने, सुधार करने और यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करने को कहा है. अदालत ने कहा कि यह अस्थिरता का शिकार न हो, जैसा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने के बाद देखा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से जस्टिस एएम सपरे की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सुझावों को शामिल करने को कहा है.
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